मूसा (इस्लाम)
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मूसा (इस्लाम) (अंग्रेज़ी:Moses in Islam) क़ुरआन में वर्णित अरबी भाषा में नबी पैग़म्बर का नाम है। उनका नाम क़ुरआन में 136 बार उल्लेखित है। उनकी बातें क़ुरआन में नबियों में सबसे अधिक वर्णित है। मुसलमानों द्वारा उन्हें ईसा, इब्राहीम, नूह और मुहम्मद के साथ इस्लाम के पांच सबसे प्रमुख पैगम्बरों में से एक माना जाता है। इन पांच भविष्यवक्ताओं को उलूल आज़म नबी के नाम से जाना जाता है। तौरात ग्रंथ आपको ही दिया गया।
इस्लाम धर्म की महत्वपूर्ण पुस्तक क़िसासुल अंबिया और ऐतिहासिक पुस्तकों के अनुसार उस समय के फिरौन बादशाह से बचपन से ही बहुत सी कहानियां जुड़ी हैं। क़ुरआन में उनकी जादूई लाठी, समुद्र का उन्हें रास्ता देना, मछली और हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम से मुलाकात,मन्न व सलवा, तूर पहाड़ जैसी कई बातों का विवरण दिया गया है। [1] [2]
फिरौन के दरबार में आगमन
[संपादित करें]जादूगरों के साथ टकराव
[संपादित करें]मुद्र का बंटवारा
[संपादित करें]क़ुरआन में वर्णन
[संपादित करें]- और जब मूसा ने अपनी कौम से कहा, ऐ कौम! तुम पर जो अल्लाह का एहसान रहा है, उसको याद करो कि उसने तुममें नबी और पैगम्बर बनाए और तुमको बादशाह और हुक्मरा बनाया और वह कुछ दिन जो जहानों में किसी को नहीं दिया। ऐ कौम! उस मुकद्दस सरजमीन में दाखिल हो जिसको अल्लाह तआला ने तुम पर फ़र्ज कर दिया है और पीठ फेरकर न लौटो (कि नतीजा यह निकले) कि तुम घाटा और नुक्सान उठाने वाले बनकर लौटो।' [अल-माइदा 20-21]
- और मूसा ने अपने भाई हारून से कहा, तू मेरे पीछे मेरी क़ौम में नायब रहना और उनकी इस्लाह का ख्याल करना और फ़साद पैदा करने वाले की राह पर न चलना।‘ [क़ुरआन 7:142]
- परवरदिगार! मुझे अपना जमाल दिखा कि तेरी तरफ़ नज़र कर सकू। हुक्म हुआ, तू मुझे नहीं देख सकेगा, मगर हां, इस पहाड़ की तरफ़ देख! अगर यह (तजल्ली-ए-हक़ की ताब ले आया और) अपनी जगह टिका रहा, तो मुझे देख सकेगा, फिर जब उसके परवरदिगार ने तजल्ली की तो उस तजल्ली ने पहाड़ को रेजा-रेजा(छोटे - छोटे टुकड़े) कर दिया और मूसा गश खाकर गिर परे। जब मूसा को होश आया, तो बोले, ‘ए अल्लाह! तेरे लिए हर तरह की तक्दिस हो। मैं तेरे सामने तौबा करता हूं और सबसे पहले यक़ीन करने वालों में हूं।‘ [अल-आराफ़ 7:143]
इस्लाम के पैगम्बर कुरान अनुसार | |||||||||||||
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आदम | इदरीस | नुह | हुद | सालेह | इब्राहीम | लूत | इस्माइल | इसहाक | याकूब | यूसुफ़ | अय्यूब | ||
آدم | إدريس | نوح | هود | صالح | إبراهيم | لوط | إسماعيل | إسحاق | يعقوب | يوسف | أيوب | ||
आदम (बाइबल) | इनोच | नोअह | एबर | शेलह | अब्राहम | लॉट | इश्माएल | आइजै़क | जैकब | जोसफ | जॉब | ||
शोएब | मूसा | हारुन | जुल-किफ्ल | दाऊद | सुलेमान | इलियास | अल-यासा | यूनुस | ज़कारिया | यहया | ईसा | मुहम्मद | |
شُعيب | موسى | هارون | ذو الكفل | داود | سليمان | إلياس | إليسع | يونس | زكريا | يحيى | عيسى | مُحمد | |
जेथ्रो | मोजे़ज़ | आरोन | एजी़कल | डैविड | सोलोमन | एलीजाह | एलीशाह | जोनाह | जे़करिया | जॉन | ईशु मसीह | पैराच्लीट |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ ""हज़रत मूसा" व हारून अलैहिमस्सलाम क़ससुल अंबिया-पृष्ठ 140". https://archive.org/.
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में बाहरी कड़ी (मदद) - ↑ हजरत मूसा अलैहि सलाम https://ummat-e-nabi.com/musa-alaihi-salam-part-15-6/
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- [https://www.australianislamiclibrary.org/prophets.html[मृत कड़ियाँ] किससुल अंबिया - (उर्दू / अरबी / अंग्रेजी / बंगला / पश्तो) नबियों / पैग़म्बरों से सम्बंधित पुस्तकें
- हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का समंदर वाला किस्सा