मूत्राशय कैंसर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

मूत्राशय कैंसर मूत्राशय[1] के ऊतको से उतपन्न होने वाली एक बीमारी हैं। यह एक ऐसी बीमारी हैं, जिसमे कोशिकाये असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं व शारीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने की क्षमता रखती हैं। मूत्र में रक्त,पेशाब के साथ दर्द और पीठ के निचले हिस्से[2] में दर्द इसके कुछ लक्षणों में शामिल हैं।

संक्रमणकालीन सेल कार्सिनोमा

मूत्राशय कैंसर के जोखिम कारकों में धूम्रपान, पारिवारिक इतिहास, पूर्व विकिरण चिकित्सा, लगातार मूत्राशय संक्रमण और कुछ रसायन[3] भी शामिल हैं। संक्रमणकालीन सेल कार्सिनोमा[4] इसका सबसे आम प्रकार हैं। स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और ऐडीनोंमोकार्सिनोमा[5] इसके अन्य प्रकार के कैंसर हैं। इसका निदान आमतौर पर ऊतक बायोप्सी के साथ सायटोस्कोपी के द्वारा किया जाता हैं। कैंसर के चरण (स्टेज) ज्ञात करने के लिए इसमें सिटीस्कैन और हड्डीस्कैन का सहारा लिया जाता हैं। इसका उपचार कैंसर के चरण पर निर्भर करता हैं। इसके इलाज के लिए शल्यचिकित्सा, विकिरण चिकित्सा, कीमोथेरेपी या इम्म्युनोथेरेपी का संयोजन इस्तेमाल किया जाता हैं। शल्यचिकित्सकीय विकल्पों में ट्रांसयूरेथ्रल शोधन, आंशिक या मूत्राशय को पूर्ण हटाने, या मूत्र विचलन शामिल हो सकता हैं। संयुक्त राज्य अमरीका मे विशिष्ट तौर पर जीवन दर ७७% पाई गयी हैं। मूत्राशय कैंसर सालाना तौर पर विश्व स्तर पर ३.४ मिलियन लोगो को प्रभावित करता हैं।[6] साल २०१५ में इस बीमारी के कारण १८८,००० मौते हुई। यह ज्यादातर ६५ से ८५ साल की उम्र के लोगो में पाया जाता हैं।[7] मादाओ की तुलना में नर इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

संकेत और लक्षण[संपादित करें]

मूत्राशय कैंसर में विशेष रूप से मूत्र में रक्त (हेमेटुरिया) की उपस्तिथि देखी जाती हैं, जों कि दिखाई दे सकता हैं या फिर सिर्फ सूक्ष्मदर्शी के दवारा ही देखा जा सकता हैं। मूत्र में रक्त आना व दर्द-रहित इसका सबसे आम लक्षण हैं। मूत्र में दृश्यमान रक्त केवल छोटी अवधि के लिए हो सकता हैं, व गैरदृश्य रक्त की पुष्टि करने के लिए मूत्र परिक्षण आवश्यकहैं। ] मूत्र में रक्त अन्य स्थितियों में भी हो सकता हैं, जैसे मूत्राशय (स्टोन) या मूत्रवर्धक पत्थरों (किडनी स्टोन), संक्रमण, गुर्दे की बीमारी, गुर्दे के कैंसर या संवहनी विकृतियों के कारण भी हो सकता है, हालांकि इन स्थितियों (गुर्दे के कैंसर को छोड़कर) आमतौर पर दर्दनाक होगा। इसके अन्य संभावित लक्षण पेशाब के दौरान दर्द, लगातार पेशाब आना या ऐसा करने में सक्षम होने के बिना पेशाब की आवश्यकता महसूस होती है।यह लक्षण मूत्राशय कैंसर के लिए विशिष्ट नहीं हैं तथा अन्य स्तिथियों के कारण भी हो सकते हैं। उन्नत बीमारी वाले मरीजों में श्रोणि या हड्डी का दर्द, निचला हिस्से में दर्द या सूजन की शिकायत होती हैं। शायद ही, शारीरिक परीक्षा पर एक स्पष्ट द्रव्यमान का पता लगाया जा सकता है।

कारण[संपादित करें]

तम्बाकू धूम्रपान मूत्राशय कैंसर का सबसे बड़ा कारण हैं, जिसके कारण लगभग आदमियों में आधे मामले धूम्रपान से व महिलओं में एक-तिहाई मामले इससे से जुड़े होते हैं।[8] हालांकि इन मामलो में वृद्धि कम हुई हैं, क्युकी यूरोप और उत्तरी अमरीका में धूम्रपान करने वाले लोगो में कमी आई हैं। धुम्रपान से इसका जोखिम कम टो होता हैं, परन्तु जों पहले धूम्रपान करते थे, उनको इस बीमारी का खतरा बना रहता हैं। लगभग ३०% मामले मूत्राशय कैंसर के व्यावसायिक जोखिमो जैसे बेंजीडीन जैसे कैंसर-कारकों से जुड़े होते हैं। २-नेफथायलअमीन जों सिगरेट के धुएं में पाया जाता हैं, जिसके कारण भी यह कैंसर फैलता हैं। व्यवसाय बस चालक, रबर श्रमिक, मोटर यांत्रिकी, चमड़े (जूते सहित) श्रमिक, लोहार, मशीन सेटर्स, और यांत्रिकी ऐसे व्यवसाय हैं, जिनमे इसका जोखिम परस्पर बना रहता हैं। कुछ मामलो में एचआरऐएस, केआरऐएस२ और एफजीएफआर३ में उत्परिवर्तन के कारण पाए गए हैं।

निदान[संपादित करें]

वर्तमान में, मूत्राशय की स्थिति का सबसे अच्छा निदान सिस्टोस्कोपी के माध्यम से होता है, जो एक प्रक्रिया है जिसमें एक लचीली ट्यूब एक कैमरा और विभिन्न उपकरणों को मूत्रमार्ग के माध्यम से मूत्राशय में पेश किया जाता है। इस प्रक्रिया में मूत्राशय का निरिक्षण किया जाता हैं।

बचाव[संपादित करें]

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किये गए २००८ के अध्ययन के अनुसार कुछ विशिष्ट सब्जियांव फल इसका खतरा कम कर सकती हैं। फल व पीले रंग की सब्जियां, विशेष रूप से गाजर और सेलेनियम युक्त फल-सब्जियां मूत्राशय कैंसर के जोखिम को कम करता हैं।

इलाज[संपादित करें]

मूत्राशय कैंसर का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूमर मूत्राशय की दीवार में कितना गहराई से आक्रमण करता है। सतही ट्यूमर (जों मांसपेशियों की परत में प्रवेश नहीं करते) उनको सिस्टोस्कोप के साथ जोड़ कर इलेक्ट्रोकोट्री डीवाईस के द्वारा मूंड दिया जा सकता हैं। इम्म्युनोथेरेपी भी सतही कैंसर के इलाज में उपयोगी सिद्ध हैं। बीसीजी इम्म्युनोथेरेपी भी दो-तिहाई मामलो में इस चरण पर कीमोथेरेपी से ज्यादा सहयोगी साबित हुई हैं।[9]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Bladder Cancer Treatment". National Cancer Institute. Archived from the original on 14 July 2017. Retrieved 18 July 2017.
  2. "Bladder Cancer Treatment". National Cancer Institute. Archived from the original on 14 July 2017. Retrieved 18 July 2017.
  3. "Bladder Cancer Treatment". National Cancer Institute. Archived from the original on 14 July 2017. Retrieved 18 July 2017.
  4. "Bladder Cancer". National Cancer Institute. Archived from the original on 17 July 2017. Retrieved 18 July 2017.
  5. "Bladder Cancer". National Cancer Institute. Archived from the original on 17 July 2017. Retrieved 18 July 2017.
  6. GBD 2015 Disease and Injury Incidence and Prevalence, Collaborators. (8 October 2016). "Global, regional, and national incidence, prevalence, and years lived with disability for 310 diseases and injuries, 1990–2015: a systematic analysis for the Global Burden of Disease Study 2015". Lancet. 388 (10053): 1545–1602. doi:10.1016/S0140-6736(16)31678-6. PMC 5055577. PMID 27733282.
  7. "Cancer of the Urinary Bladder – Cancer Stat Facts". seer.cancer.gov. Archived from the original on 8 July 2017. Retrieved 18 July 2017.
  8. Zeegers MP; Tan, FE; Dorant, E; Van Den Brandt, PA (2000). "The impact of characteristics of cigarette smoking on urinary tract cancer risk: a meta-analysis of epidemiologic studies". Cancer. 89 (3): 630–9. doi:10.1002/1097-0142(20000801)89:3<630::AID-CNCR19>3.0.CO;2-Q. PMID 10931463.
  9. Lamm, Donald L.; Blumenstein, Brent A.; Crawford, E. David; Montie, James E.; Scardino, Peter; Grossman, H. Barton; Stanisic, Thomas H.; Smith Jr, Joseph A.; Sullivan, Jerry; Sarosdy, Michael F.; Crissman, John D.; Coltman, Charles A. (1991). "A Randomized Trial of Intravesical Doxorubicin and Immunotherapy with Bacille Calmette–Guérin for Transitional-Cell Carcinoma of the Bladder". New England Journal of Medicine. 325 (17): 1205–9. doi:10.1056/NEJM199110243251703. PMID 1922207.