मुलायम सिंह यादव
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कार्यकाल 5 दिसम्बर 1988 – 24 जून 1991 | |
पूर्व अधिकारी | नारायण दत्त तिवारी |
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उत्तराधिकारी | कल्याण सिंह |
कार्यकाल 5 दिसम्बर 1993 – 3 जून 1995 | |
पूर्व अधिकारी | राष्ट्रपति शासन |
उत्तराधिकारी | मायावती |
कार्यकाल 29 अगस्त 2003 – 13 मई 2007 | |
पूर्व अधिकारी | मायावती |
उत्तराधिकारी | मायावती |
कार्यकाल 1 जून 1996 – 19 मार्च 1998 | |
पूर्व अधिकारी | प्रमोद महाजन |
उत्तराधिकारी | जॉर्ज फ़र्नान्डिस |
जन्म | 22 नवम्बर 1939 सैफई, इटावा, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 10 अक्टूबर 2022[1] | (उम्र 82)
राजनैतिक पार्टी | सोशलिस्ट पार्टी , लोकदल , जनता दल , समाजवादी पार्टी 1992 से 2022 तक |
संतान | अखिलेश यादव |
मुलायम सिंह यादव (जन्म : 22 नवम्बर 1939-10 अक्टूबर 2022) भारत के एक राजनेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे। वे भारत के रक्षामंत्री भी रह चुके हैं। वे मूलतः एक शिक्षक थे किन्तु शिक्षण कार्य छोड़कर वे राजनीति में आये थे। तथा समाजवादी पार्टी बनायी थी। नेताजी को 26 जनवरी 2023 की पूर्व संध्या पर पद्म विभूषण से भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर राव मोदी जी के द्वारा सम्मानित किया गया [2]
व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुघर सिंह यादव के किसान परिवार में हुआ। मुलायम सिंह यादव अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं। प्रोफेसर रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं।पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।[3]
राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम०ए०) और बी० टी० करने के उपरान्त इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। मुलायम सिंह जी का काफ़ी लंबी बीमारी के कारण 10 अक्टूबर 2022 को मेदांता अस्पताल गुरुग्राम में निधन हो गया[4]।
राजनीतिक जीवन[संपादित करें]
मुलायम सिंह उत्तर भारत के बड़े समाजवादी और किसान नेता रहे हैं। एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश में विधायक के रूप में शुरू किया। बहुत कम समय में ही मुलायम सिंह का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश में नज़र आने लगा। मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज का सामाजिक स्तर को ऊपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया। सामाजिक चेतना के कारण उत्तर प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग का महत्वपूर्ण स्थान हैं। समाजवादी नेता रामसेवक यादव के प्रमुख अनुयायी (शिष्य) थे तथा इन्हीं के आशीर्वाद से मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मन्त्री बने। 1992में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई। वे तीन बार क्रमशः 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे। इसके अतिरिक्त वे केन्द्र सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह की पहचान है। उत्तर प्रदेश में सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में मुलायम सिंह ने साहसिक योगदान किया। मुलायम सिंह की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष नेता की है। उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी माना जाता है। उत्तर प्रदेश की सियासी दुनिया में मुलायम सिंह यादव को प्यार से नेता जी कहा जाता है।
2012 में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला। यह पहली बार हुआ था कि उत्तर प्रदेश में सपा अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में थी। नेता जी के पुत्र और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से उठाया और प्रदेश के सामने विकास का एजेंडा रखा। अखिलेश यादव के विकास के वादों से प्रभावित होकर पूरे प्रदेश में उनको व्यापक जनसमर्थन मिला। चुनाव के बाद नेतृत्व का सवाल उठा तो नेताजी ने वरिष्ठ साथियों के विमर्श के बाद अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। अखिलेश यादव मुलायम सिंह के पुत्र है। अखिलेश यादव ने नेता जी के बताए गये रास्ते पर चलते हुए उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया.
'समाजवादी पार्टी' के नेता मुलायम सिंह यादव पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से ही अपना राजनीतिक सफर आरम्भ किया था। मुलायम सिंह यादव जसवंत नगर और फिर इटावा की सहकारी बैंक के निदेशक चुने गए थे। विधायक का चुनाव भी 'सोशलिस्ट पार्टी' और फिर 'प्रजा सोशलिस्ट पार्टी' से लड़ा था। इसमें उन्होंने विजय भी प्राप्त की। उन्होंने स्कूल के अध्यापन कार्य से इस्तीफा दे दिया था। पहली बार मंत्री बनने के लिए मुलायम सिंह यादव को 1977 तक इंतज़ार करना पड़ा, जब कांग्रेस विरोधी लहर में उत्तर प्रदेश में भी जनता सरकार बनी थी। 1980 में भी कांग्रेस की सरकार में वे राज्य मंत्री रहे और फिर चौधरी चरण सिंह के लोकदल के अध्यक्ष बने और विधान सभा चुनाव हार गए। चौधरी साहब ने विधान परिषद में मनोनीत करवाया, जहाँ वे प्रतिपक्ष के नेता भी रहे।
1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे[5]। यह सरकार बहुत लंबे समय तक चली नहीं। मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे सबसे आगे खड़े थे, किंतु उनके सजातियों ने उनका साथ नहीं दिया। लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया। इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। असल में वे कन्नौज भी जीते थे, किंतु वहाँ से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनाया।
केंद्रीय राजनीति[संपादित करें]
केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ, जब काँग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे(*सैनिकों के शव को युद्ध क्षेत्र से वापस लाने की प्रथा मुलायम सिंह यादव ने ही शुरू की थी।), किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। 'भारतीय जनता पार्टी' के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस के नज़दीक होंगे, लेकिन 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। 2002 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।
राजनीतिक दर्शन तथा विदेश यात्रा[संपादित करें]
मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और नेपाल आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं। लोकसभा सदस्य कहा जाता है कि मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं। समाजवाद के फ़्राँसीसी पुरोधा 'कॉम डी सिमॉन' की अभिजात्यवर्गीय पृष्ठभूमि के विपरीत उनका भारतीय संस्करण केंद्रीय भारत के कभी निपट गाँव रहे सैंफई के अखाड़े में तैयार हुआ है। वहाँ उन्होंने पहलवानी के साथ ही राजनीति के पैंतरे भी सीखे। लोकसभा से मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।
सदस्यता[संपादित करें]
विधान परिषद 1982-1985
विधान सभा 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 (आठ बार)
विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद 1982-1985
विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा 1985-1987
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री
सहकारिता और पशुपालन मंत्री 1977
रक्षा मंत्री 1996-1998
भाजपा से नजदीकी[संपादित करें]
मुलायम सिंह यादव मीडिया को कोई भी ऐसा मौका नहीं देते, जिससे कि उनके ऊपर 'भाजपा' के क़रीबी होने का आरोप लगे। जबकि राजनीतिक हलकों में यह बात मशहूर है कि अटल बिहारी वाजपेयी से उनके व्यक्तिगत रिश्ते बेहद मधुर थे। वर्ष 2003 में उन्होंने भाजपा के अप्रत्यक्ष सहयोग से ही प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। अब 2012 में उनका आकलन सच भी साबित हुआ। उत्तर प्रदेश में 'समाजवादी पार्टी' को अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल हुई है। 45 मुस्लिम विधायक उनके दल में हैं।
पुरस्कार व सम्मान[संपादित करें]
पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को 28 मई, 2012 को लंदन में 'अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ जूरिस्ट की जारी विज्ञप्ति में हाईकोर्ट ऑफ़ लंदन के सेवानिवृत न्यायाधीश सर गाविन लाइटमैन ने बताया कि श्री यादव का इस पुरस्कार के लिये चयन बार और पीठ की प्रगति में बेझिझक योगदान देना है। उन्होंने कहा कि श्री यादव का विधि एवं न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों में भाईचारा पैदा करने में सहयोग दुनियाभर में लाजवाब है।
ज्ञातव्य है कि मुलायम सिंह यादव ने विधि क्षेत्र में ख़ासा योगदान दिया है। समाज में भाईचारे की भावना पैदाकर मुलायम सिंह यादव का लोगों को न्याय दिलाने में विशेष योगदान है। उन्होंने कई विधि विश्वविद्यालयों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।
मुलायम सिंह पर पुस्तकें[संपादित करें]
मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इनमे पहला नाम "मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार" का है जिसे अशोक कुमार शर्मा ने सम्पादित किया था। [6] इसके अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान यादव द्वारा लिखी गयी "मुलायम सिंह: ए पोलिटिकल बायोग्राफी" अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है। [7] लखनऊ की पत्रकार डॉ नूतन ठाकुर ने भी मुलायम सिंह के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक महत्व को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिखने का कार्य किया है। [8]
विवादित विचार[संपादित करें]
अपने एक भाषण के दौरान मुलायम सिंह ने बलात्कार की घटना पर कहा कि लड़के गलतियां करते हैं। "[9] लोक सभा २००९ के चुनाव अभियान में मुलायम सिंह ने कहा कि अंग्रेजी और कम्प्यूटर की शिक्षा समाप्त करने को कहा इससे बेरोजगारी फैलती है। [10] दिनांक १८ अगस्त २०१५ को एक सभा में बलात्कार पर विवादित ब्यान दिया।[11] मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में ई-रिक्शा के वितरण समारोह में (१८ अगस्त २०१५ ) बलात्कार पर विचार व्यक्त करने पर महोबा जिले की स्थानीय कोर्ट ने अदालत में उपस्थिति के लिए समन जारी किया था।[12] [13]
- निलंबित आई पी एस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को धमकाने आरोप में सी जे एम सोमप्रभा मिश्रा ,लखनऊ ने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के विरुद्ध आई पी सी की धारा १५६(३) के अंतर्गत एफ आई आर दर्ज करने का आदेश दिया। [14]
अयोध्या गोलीकांड[संपादित करें]
वीएचपी के आह्वान पर 30 अक्तूबर 1990 को लाखों कारसेवक अयोध्या में इकट्ठा हुए थे। उनका उद्देश्य था कि उस स्थल पर विवादित मस्जिद के ढांचे को तोड़कर मंदिर का निर्माण किया जाए। जब हजारों की संख्या में लोग विवादित स्थल के पास एक गली में इकट्ठा हुए, उसी वक्त सामने से पुलिस ने गोलीयां चला दी। इसमें कई लोगों का बलिदान हुआ और बहुत लोग घायल हुए। हालांकि मौतों के आंकड़े कभी स्पष्ट नहीं हुए। यूपी की तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार के दौरान कारसेवकों पर पुलिस की गोलीबारी के मामले में रिपब्लिक भारत चैनल ने अपने लॉन्च होने के पहले ही दिन बड़े खुलासे का दावा किया। चैनल ने अपने स्टिंग में एक तत्कालीन अधिकारी से बात की। रामजन्मभूमि थाने के तत्कालीन एसएचओ वीर बहादुर सिंह ने बताया कि कारसेवकों के मौत का जो आंकड़ा बताया गया था, उससे ज्यादा कारसेवकों की मौत हुई थी।[15]
राम जन्मभूमि थाने के तत्कालीन एसएचओ वीर बहादुर सिंह ने इस टीवी चैनल से बातचीत में बताया कि घटना के बाद विदेश तक से पत्रकार आए थे। उन्हें आठ लोगों की मौत और 42 लोगों के घायल होने का आंकड़ा बताया गया था। जब तफ्तीश के लिए शमशान घाट गए, तो वहां पूछा कि ऐसी कितनी लाशें हैं, जो दफनाई गई हैं और कितनी लाशों का दाह संस्कार किया गया है, तो बताया गया कि 15 से 20 लाशें दफनाई गई हैं। उसी आधार पर सरकार को बयान दिया गया था। हालांकि हकीकत यही थी कि वे लाशें कारसेवकों की थीं। उस गोलीकांड में कई लोग मारे गए थे। आंकड़े तो नहीं पता हैं, लेकिन काफी संख्या में लोग मारे गए थे। टीवी चैनल के इस सवाल पर कि कई लोग अपनों के बारे में पूछते हुए अयोध्या तक आए होंगे, उन्हें क्या बताया जाता था। पूर्व एसएचओ ने बताया कि उन्हें बताते थे कि दफनाई गई लाशें उनके परिवार के सदस्यों की नहीं हैं। मुलायम सिंह यादव भी कई मौकों पर इस गोलीकांड को सही ठहराते रहा था। वह कहता था इसके लिए और भी लोगों को मारना पड़ता, तो मारने की अनुमति दे देते।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "Mulayam Singh Yadav dies at 82 due to ill health, was in ICU since 2nd October". Times of India. अभिगमन तिथि 10 October 2022.
- ↑ "Mulayam Singh Yadav | मुलायम सिंह यादव के समाचार और अपडेट - AajTak". आज तक (hindi में). अभिगमन तिथि 2022-10-07.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "पहलवानी छाेड़ राजनीति में आए थे मुलायम, बड़े-बड़ाें काे दी है पटखनी, पढ़िए मुलायम का सफर". Amar Ujala. अभिगमन तिथि 2020-10-07.
- ↑ "नहीं रहे नेताजी, 82 साल की उम्र में समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव ने ली अंतिम सांस". आज तक (hindi में). 2022-10-10. अभिगमन तिथि 2022-10-11.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "क्या था मुलायम सिंह यादव का वो फैसला? जिस कारण घर तक पहुंचता है शहीदों का पार्थिव शरीर". आज तक (hindi में). 2022-10-10. अभिगमन तिथि 2022-10-11.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ http://www.flipkart.com/mulayam-singh-yadav-chintan-aur-book-8128811703[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 फ़रवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 नवंबर 2010.
- ↑ http://bhadas4media.com/vividh/7256-2010-11-07-10-42-15.html Archived 2013-10-20 at the Wayback Machine "म" से मुलायम, "म" से मायावती, "क" से किताब
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अगस्त 2015.
- ↑ http://timesofindia.indiatimes.com/india/SP-vows-to-abolish-English-computers/articleshow/4389164.cms?from=mdr
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अगस्त 2015.
- ↑ http://www.thehindu.com/news/national/other-states/up-court-summons-mulayam-singh-over-rape-remark/article7566027.ece
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अगस्त 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 सितंबर 2015.
- ↑ "28 साल पुराना अयोध्या का वो गोलीकांड, जिससे मुलायम बन गए 'मुल्ला'". आज तक. अभिगमन तिथि 2020-10-07.