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मुन्ना भाई एमबीबीएस

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मुन्ना भाई एमबीबीएस

मुन्ना भाई एमबीबीएस का पोस्टर
निर्देशक राजकुमार हिरानी
लेखक विधु विनोद चोपड़ा
राजकुमार हिरानी
लजन जोसेफ
अब्बास टायरवाला (संवाद)
निर्माता विधु विनोद चोपड़ा
अभिनेता संजय दत्त
अरशद वारसी
सुनील दत्त
ग्रेसी सिंह
बोमन ईरानी
जिमी शेरगिल
छायाकार बिनोद प्रधान
संगीतकार अनु मलिक
वितरक विनोद चोपड़ा प्रोडक्शन्स
प्रदर्शन तिथियाँ
19 दिसंबर, 2003
लम्बाई
157 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी
लागत 10 करोड़
कुल कारोबार

33.6 करोड़

मुन्ना भाई एमबीबीएस 2003 में बनी हिन्दी भाषा की है। यह राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित व्यंग्यपूर्ण हास्य नाट्य फिल्म है। यह उनके निर्देशन की पहली फिल्म है। इसे विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्मित किया गया है। इसमें सुनील दत्त अपनी अंतिम फिल्म में अपने वास्तविक जीवन के बेटे संजय दत्त के पिता की भूमिका में हैं। फिल्म में ग्रेसी सिंह, जिमी शेरगिल, अरशद वारसी, रोहिणी हट्टंगड़ी और बोमन ईरानी भी दिखाई दिए।

यह मुन्ना भाई फ़िल्म शृंखला की पहली किस्त है। यह फिल्म मुंबई अंडरवर्ल्ड के एक डॉन मुन्ना भाई पर आधारित है। वह डॉक्टर होने का नाटक करके अपने पिता को खुश करने की कोशिश करता है। लेकिन डॉक्टर अस्थाना उसके झूठ का पर्दाफाश करता है और उसके पिता की बेइज़्ज़ती करता है। फिर मुन्ना एक मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लेता है।

यह फ़िल्म 19 दिसंबर 2003 को जारी हुई। यह एक बड़ी आलोचनात्मक और व्यावसायिक सफलता थी।[1] इसकी अगली कड़ी, लगे रहो मुन्ना भाई (2006) भी जारी हुई है। वह भी अत्यंत सफल फिल्म रही।

मुरली प्रसाद शर्मा उर्फ़ "मुन्ना भाई" (संजय दत्त) मुंबई का एक गैंगस्टर है जो अपने माता-पिता को खुश करने के लिए डॉक्टर बनने का नाटक करता है। साल में एक बार मुन्ना का गिरोह और उसका साथी "सर्किट" (अरशद वारसी) उसके ठिकाने को अस्पताल में बदल देते हैं। ताकि उसके माता-पिता हरिप्रसाद (सुनील दत्त) और पार्वती (रोहिणी हट्टंगड़ी) को बेवकूफ़ बनाया जा सके। यह नाटक कई सालों से चल रहा है। एक दिन हरिप्रसाद को डॉ. जगदीश अस्थाना (बोमन ईरानी) का पता चलता है। वह उनका पुराना परिचित होता है। वह उसके घर जाकर प्रस्ताव करते हैं कि वे अपनी बेटी "चिंकी" की शादी मुन्ना से करवा दें। हालाँकि, अस्थाना को सच्चाई पता चल जाती है और वह मुन्ना की करतूत उसके माता-पिता के सामने उजागर कर देता है। वह लोग अपमानित होकर घर लौट जाते हैं। मुन्ना असली डॉक्टर बनकर बदला लेने की कसम खाता है। वह मेडिकल प्रवेश परीक्षा में नकल करता है। लेकिन अनजाने में अस्थाना के कॉलेज में ही दाखिला ले लेता है। मुन्ना के नकल करने के सबूत न होने के कारण अस्थाना अनिच्छा से उसे छात्र के रूप में दाखिल कर लेता है।

कॉलेज में, मुन्ना अस्पताल के नियमों की धज्जियाँ उड़ाता है और अस्थाना के पारंपरिक तरीकों को चुनौती देते हुए अपने शासन को लागू करता है। उसके व्यवस्था-विरोधी व्यवहार को अस्पताल के कर्मचारियों और रोगियों द्वारा स्वीकार किया जाता है। लेकिन अस्थाना उससे नफरत करता है। मुन्ना अस्पताल में कई रोगियों की मदद करने के लिए दयालुता और प्रेम का उपयोग करता है। उनमें शामिल हैं:- आत्महत्या करने की कोशिश करने वाला युवक करण, एक दिमागी रूप से मृत रोगी आनंद बनर्जी और डॉ. रुस्तम पावरी (कुरुष देबू) के वृद्ध पिता। वह एक कम सराहना प्राप्त चौकीदार को भी धन्यवाद देता है और कैंसर से मर रहे ज़हीर (जिमी शेरगिल) को खुश करने के लिए रोगी वार्ड के अंदर एक नाचने वाली को लाता है। वह अस्पताल में काम करने वाली डॉ. सुमन (ग्रेसी सिंह) को पसंद करने लगता है। वह इस बात से अनजान कि वह ही "चिंकी" है।

जब अस्थाना को नाचने वाली के बारे में पता चलता है, तो वह मुन्ना को निष्कासित करने की कोशिश करता है। वह मुन्ना को कॉलेज में रहने देने के लिए एक सार्वजनिक परीक्षा देने के लिए मजबूर करता है। बाद में उस रात ज़हीर की मौत हो जाती है और मुन्ना, शोक में परीक्षण के दौरान हार मान लेता है और चला जाता है। कुछ ही समय बाद, आनंद बनर्जी अपने दिमागी रूप से मृत अवस्था से बाहर आता है। उससे सभी चौंक जाते हैं। सुमन को पता चलता है कि आनंद के ठीक होने का कारण मुन्ना ही है और वह उसका बचाव करते हुए दिल से भाषण देती है। अस्थाना, आखिरकार भावुक होकर मुन्ना के कामों को स्वीकार कर लेता है। मुन्ना डॉक्टर तो नहीं बन पाता, लेकिन उसके 'चमत्कारी' उपचारों की खबर उसके माता-पिता तक पहुँच जाती है। वे मुंबई लौट आते हैं और उसे माफ़ कर देते हैं। वह सुमन की असली पहचान जानने के बाद उससे शादी भी कर लेता है और साथ मिलकर वे मुन्ना के गाँव में एक असली अस्पताल खोलते हैं।

मुख्य कलाकार

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सभी अनु मलिक द्वारा संगीतबद्ध।

क्र॰शीर्षकगीतकारगायकअवधि
1."एम बोले तो"राहत इन्दौरीविनोद राठौड़, संजय दत्त, प्राची, प्रिया मायेकर8:19
2."देख ले"राहत इन्दौरीसुनिधि चौहान, अनु मलिक3:23
3."अपुन जैसे टपोरी"अब्बास टायरवालाविनोद राठौड़, संजय दत्त, अरशद वारसी5:31
4."छन छन"राहत इन्दौरीश्रेया घोषाल, विनोद राठौड़6:59
5."सुबह हो गई मामू"अब्बास टायरवालाशान4:01
6."देख ले — रिमिक्स"राहत इन्दौरीसुनिधि चौहान, अनु मलिक, जतिन शर्मा5:21

नामांकन और पुरस्कार

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वर्ष नामित कार्य पुरस्कार परिणाम
2004 मुन्ना भाई एमबीबीएस फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार — समीक्षक जीत
मुन्ना भाई एमबीबीएस फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार नामित
विधु विनोद चोपड़ा, राजकुमार हिरानी, लजन जोसेफ फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पटकथा पुरस्कार जीत
राजकुमार हिरानी फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार नामित
संजय दत्त फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार जीत
बोमन ईरानी फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार नामित
अरशद वारसी फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार नामित
अब्बास टायरवाला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन पुरस्कार जीत

सन्दर्भ

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  1. "संजय दत्त की डूब जाती नैया, अगर शाहरुख खान ने न ठुकराई होती फिल्म, रातोंरात मशहूर हो गया था 1 फ्लॉप स्टार". News18 हिंदी. 2 सितम्बर 2024. अभिगमन तिथि 5 सितम्बर 2024.

बाहरी कड़ियाँ

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