मुन्त के संत ल्यॉरेन्स का आश्रम

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Sant Llorenç del Munt Monastery
स्थानीय नाम
स्पेनी: Monestir de Sant Llorenç del Munt
Monestir de Sant Llorenç del Munt
स्थानMatadepera, Barcelona, Spain
वास्तुशैलीRomanesque
आधिकारिक नाम Monestir de Sant Llorenç del Munt
प्रकार Non-movable
मानदंड Monument
मनोनीत 3 June 1931[1]
संदर्भ सं. RI-51-0000445
मुन्त के संत ल्यॉरेन्स का आश्रम is located in स्पेन
मुन्त के संत ल्यॉरेन्स का आश्रम
स्पेन में Sant Llorenç del Munt Monastery का स्थान

मुन्त के संत ल्यॉरेन्स का आश्रम एक बेनेडिक्टाइन आश्रम (Benedictine) मातादेपेरा में स्थित है। यह वल्लेस ऑक्सिडेन्टल (Vallès Occidental) , कातालोन्या (Catalonia), स्पेन में मौजूद है। यह ला मोता (La Mola) की पहाड़ी पर स्थित है जो कि ऊँचाई पर स्थित एक पथरीली पहाड़ी का तोदा है। मुन्त के संत ल्यॉरेन्स (Sant Llorenç del Munt) को बिएन दे इंतेरेस कल्चरल स्मारक की सूची में 1931 में शामिल किया गया था।

इतिहास[संपादित करें]

पहले प्राप्त दस्तावेज़ के अनुसार एक धार्मिक जो एक ऍबेट के अधीन था यहाँ पर 986 में मौजूद था। 1014 में आश्रम शब्द का प्रयोग एक दस्तावेज़ में आता है जिसे काउन्ट रामोन बोर्रेक और पत्नी के उस ज़मीन-बदली के मामले से जुड़ा है मुन्त के संत ल्यॉरेन्स ऍबे से सम्बंधित है।

इस समय के दौरान इलाक़े पर कई बार सारासेनों (Saracens) ने हमला किया मगर ऐसी कोई सूचना नहीं है जिसके अनुसार उन्होंने कोई हमला इस परिसर पर किया हो जो कि मुन्त के संत ल्यॉरेन्स के एक ऊपर स्थित है। इस रोमानेस्क शैली में बनी इमारत का निर्माण 1045 प्रारंभ हुआ था और इसे पवित्र 1064 में बिशप और बारसेलोना के अन्य धर्मगुरुओं द्वारा किया गया था। इसका पतन 12 वीं शताब्दी में शुरू हुआ हालांकि यहाँ पर बेनेडिक्टाइन मॉन्क 1608 तक रहे थे। 1637 तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि को पादरी आश्रम की देख-रेख कर रहा था और बाद के समय से पता चलता है कि इसे यूँ ही छोड़ दिया गया था। मार्च 30, 1809 को नेपोलीन की सेनाओं ने आश्रम को बरबाद कर दिया, यहाँ तक कि उस से जुड़े क़बरस्तान को भी नहीं बख़शा।

वास्तुकला और बनावट[संपादित करें]

अन्दर के भाग का दृश्य्

मौजूदा इमारत जिसका निर्माण 19 वीं शताब्दी और मध्य-20 वीं शताब्दी में हुआ था, उसी निर्माण के अनुसार है जो कि मध्य-11 वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह कातालान धार्मिक शैली की एक अच्छी मिसाल है जिसमें रोमनेस्क वास्तुकला शैली का अच्छा प्रयोग किया गया है और जो आज भी बाक़ी है। गिरजाघर के बुनियादी ढाँचे में कोई फ़र्क़ नहीं किया गया है। यह हालाँकि संत कुगत के आश्रम से एक दम मिलता-जुलता है, मगर इसके अन्दर कुछ अपनी भी विशेषताएँ हैं। इस गिरजाघर का एक घंटी घर का मीनार है जो स्थानीय पत्थरों से बना है। इससे निर्माण का साधारण होना सिद्ध होता है। इसके कुछ गुणों में औसत आकार का होना, लाल रंग का होना और बिना पॉलिश किए हुए होना है। इसकी गुम्बद के आगे कुछ मिलने वाले केन्द्र शामिल हैं। इसका दरवाज़ा छोटा है।

गैलरी[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]