मुख़्तारां माई बलात्कार मामला
| मुख़्तारां माई बलात्कार मामला | |
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मुख़्तारां माई (2005) | |
| स्थान | मीरवाला, मुज़फ़्फ़रगढ़ ज़िला, दक्षिण पंजाब, पाकिस्तान |
| तिथि | 22 जून 2002 |
| हमले का प्रकार | सामूहिक बलात्कार, महिला उत्पीड़न, सामाजिक अन्याय |
| मृत्यु | — |
| घायल | 1 (शारीरिक और मानसिक आघात) |
| पीड़ित | मुख़्तारां माई |
| हमलावर |
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| उद्देश्य | पंचायत का निर्णय / प्रतिशोध स्वरूप हमला |
मुख़्तारां माई एक बलात्कार से पीड़ित पाकिस्तानी महिला है। दक्षिण पंजाब के ज़िले मुज़फ़्फ़रगढ़ के इलाक़े मीरवाला में 22 जून 2002 को स्थानीय पंचायत के फ़ैसले के बाद मुख़्तारां माई का सामूहिक बलात्कार किया था। पंचायत ने आरोप लगाया था मुख़्तारां माई के भाई शकूर के मस्तोई क़बीले की एक महीला के साथ शारीरिक संबंध हैं औ इस वजह से मुख़्तारां माई से उस इलाके के युवक निस्संकोच संभोग कर सकते हैं। फ़ैसले के तुरंत बाद कईस्युवकों से पंचायत ही के स्थान पर माई का बलात्कार किया।
धार्मिक नेताओं का विरोध और मीडिया की सक्रियता
[संपादित करें]घटना के क़रीब छह दिनों बाद मीरवाला की एक मस्जिद के इमाम ने जुमे की नमाज़ से पहले लोगों से कहा था कि वह इस सामूहिक बलात्कार का कड़ा विरोध करें और पुलिस को बताएँ। उसके बाद यह मामला तुरंत मीडिया में आ गया था और 30 जून 2002 को स्थानीय पुलिस ने 14 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया था। स्थानीय अदालत ने 31 अगस्त 2002 को छह लोगों को मौत की सज़ा सुनाई थी और आठ लोगों को बरी करने का आदेश दिया था। तीन मार्च 2005 को यह मामला लाहौर हाई कोर्ट पहुँचा और अदालत ने पर्याप्त सबूतों की कमी की बुनियाद पर इस मुक़दमे में पांच लोगों को बरी कर दिया और मुख्य अभियुक्त अब्दुल ख़ालिक़ मृत्यु दण्ड को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
धार्मिक दृष्टिकोण
[संपादित करें]सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 15 मार्च 2005 को चार अभियुक्तों को रिहा किया गया और बाद में एक और अभियु्क्त को भी रिहा किया गया था। बाद में सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया।
मुख़्तारां माई पर विदेश जाने पर प्रतिबंध
[संपादित करें]पाकिस्तान सरकार ने 11 जून 2005 को मुख़्तारां माई पर विदेश जाने पर प्रतिबंध लगा दिया और कहा कि उनकी ज़िंदगी को ख़तरा है। अंतर्राषट्रीय विरोध के बाद यह प्रतिबंध हटा दिया गया।
मुख़्तारां माई का विवाह
[संपादित करें]मुख़्तारां माई ने 15 मार्च 2009 को एक पुलिसकर्मी नसीर अब्बास से शादी कर ली थी।
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट का निराशाजनक फ़ैसला
[संपादित करें]21 अप्रैल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुना दिया जिसमें पाँच अभियुक्तों को बरी करने का आदेश दिया था।[1]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "क्या है मुख़्तारां माई बलात्कार मामला?". BBC. 18 जुलाई 2012 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: February 15, 2014.