मिलिन्दपन्ह
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मिलिन्दपञ्ह या मिलिन्दपन्ह ( = मिलिन्द के प्रश्न) एक पालि भाषा में रचित एक बौद्ध ग्रन्थ है जिसका रचनाकाल लगभग 100 ई॰पूर्व है। इसमें बौद्ध भिक्षु नागसेन तथा भारत-यूनानी शासक मिलिन्द (यूनानी : Menander I) के बीच हुए वार्तालाप का वर्णन है।
विषयवस्तु
[संपादित करें]मिलिन्दपञ्ह में निम्नलिखित विषय हैं-
- (१) पूर्वजन्म कथा
- (२) वैशिष्ट्यों का पार्थक्यकरण-संक्रान्त प्रश्नावली : (मनोयोग और प्रज्ञा का बैशिष्ट्य, प्रज्ञा का वैशिष्ट्य, योग का वैशिष्ट्य, अनुभूति का वैशिष्ट्य, धारणा का वैशिष्ट्य, कामना का वैशिष्ट्य, चेतना का वैशिष्ट्य, प्रयुक्त चिन्ता का वैशिष्ट्य, निरवच्छिन्न चिन्ता का वैशिष्ट्य इत्यादि)
- (३) जटिलता छेदकरण-संक्रान्त प्रश्नावली : (रूपान्तर और पुनर्जन्म, आत्मा, दुष्कर्म का बन्धन, विभिन्न स्थानों में एकसाथ उत्थान, ज्ञानत और अज्ञानत कृत दुष्कर्म इत्यादि)
- (४) समस्या-संक्रान्त प्रश्नावली : विभिन्न व्यवसाय और ८२ समस्यायों में उनका विन्यास
- (५) सिद्धान्त के माध्यम से समाधान-कृत एक प्रश्न
- (६) कृच्छ्रसाधन के विशेष गुणावली की आलोचना
- (७) उपमार कथा-संक्रान्त प्रश्नावली
हिनुबार (२०००) का मत है कि राजा मेनान्द्रोस के ऐतिहासिक चरित्र होने में कोई सन्देह नहीं है, किन्तु भिक्षु नागसेन अज्ञात चरित्र है। इस ग्रन्थ के कालनिर्देश में कुछ त्रुटियाँ हैं। कथोपकथन में ग्रीक प्रभाव कम है। तथा उपनिषद का प्रभाव स्पष्ट है।
- मिलिन्दपन्हो का आरम्भिक भाग
- मिलिन्दो नाम सो राजा सागलायं पुरुत्तमे।
- उपगञ्छि नागसेनं गङ्गा च यथा सागरं॥
- आसज्ज राजा चित्रकथिं उक्काधारं तमोनुदं।
- अपुच्छि निपुणे पञ्हे ठानाट्ठानगते पुथू॥
- पुच्छा विसज्जना चेव, गम्भीरत्थूपनिस्सिता।
- हदयङ्गमा कण्णसुखा अब्भुता लोमहंसना॥
- अभिधम्मविनयोगाळ्हा सुत्तजालसमत्तिता।
- नागसेनकथा चित्रा ओपम्मेहि नयेहि च॥
- तत्थ ञाणं पणिधाय हासयित्वान मानसं।
- सुणाथ निपुणे पञ्हे कङ्खाट्ठानविदालनेति॥
सन्दर्भ
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- कथावत्थु (कथावस्तु)