मिर्ज़ाली ख़ान (फ़क़ीर-ए-ईपी)

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ग़ाज़ी मिर्ज़ाली ख़ान
غازي ميرزالي خان
जन्म 1897
शानकई किरता, खजूरी के पास, तोची घाटी, उत्तरी वज़ीरिस्तान (वर्तमान में ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, पाकिस्तान)
मौत 16 अप्रैल 1960
गुरवेक, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, पाकिस्तान
समाधि गुरवेक
उपनाम फ़क़ीर-ए-ईपी
प्रसिद्धि का कारण पश्तून राष्ट्रवाद
पख़्तूनिस्तान आंदोलन
भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन
बच्चे गुलज़ार अली
मीर ज़मान
माता-पिता शेख़ अर्सला ख़ान
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ग़ाज़ी मिर्ज़ाली ख़ान ( पश्तो: غازي ميرزالي خان  ; जन्म- 1897, मृत्यु- 16 अप्रैल 1960), जिन्हें फकीर-ए-ईपी ( فقير ايپي ) के रूप में भी जाना जाता है, पाकिस्तान के आज के खैबर पख्तूनख्वा में एक उग्रवादी [1] [2] और वजीरिस्तान के पश्तून आदिवासी नेता थे । 1923 में हज करने के बाद, वे उत्तरी वजीरिस्तान में मिराली के पास स्थित ईपी नामक गांव में बस गए, जहां से उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध के अपने अभियान शुरू कर दिया। 1938 में वे ईपी से गुरवेक चले गए, जो उत्तरी वज़ीरिस्तान की अफगानिस्तान के साथ लगी सीमा के पास एक दूरस्थ गांव है। वहाँ उन्होंने वह एक स्वतंत्र देश घोषित कर दिया और अफगानिस्तान में मौजूद अपने अड्डों से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ छापेमारी जारी रखी,[3] जिसमें नाजी जर्मनी ने उनका समर्थन किया। [4] [5]

21 जून 1947, मिर्ज़ाली ख़ान ने लाल कुर्ती आन्दोलन समेत अपने अन्य सहयोगियों और प्रांतीय विधानसभा के सदस्यों के साथ बन्नू प्रस्ताव की घोषणा की। इस प्रस्ताव में मांग की गई कि पश्तूनों को अनिवार्य रूप से भारत या पाकिस्तान के नागरिक बनने के बजाए पश्तूनिस्तान(एक अलग स्वतंत्र देश) के रूप में एक तीसरा विकल्प दिया जाए, जो ब्रिटिश भारत के सभी पश्तून-बहुल इलाक़ों से मिलकर बना हो। [6] किंतु ब्रिटिश राज ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, [7][8] और ब्रिटिश भारत में किसी भी अन्य समूह को तीसरा विकल्प नहीं दिया गया। अगस्त 1947 में पाकिस्तान के निर्माण के बाद, मिर्ज़ाली ख़ान और उनके अनुयायियों ने पाकिस्तानी शासन को मान्यता देने से इनकार कर दिया और अफगानिस्तान के समर्थन से पाकिस्तान के खिलाफ एक सैन्य-अभियान शुरू किया। [9] इसके साथ ही उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान की राजनीति में भी अपनी काफ़ी शक्तिशाली छवि बनाई। पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ अपनी छापामार लड़ाई जारी रखी। [10] जीवन भर उन्होंने पाकिस्तान की सरकार के सामने समर्पण नहीं किया, जब तक कि 1960 में गुरवेक में उनकी मृत्यु नहीं हो गई। [11]

यह सभी देखें[संपादित करें]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Shaista Wahab and Barry Youngerman (2007). A Brief History of Afghanistan. Infobase publishing.
  2. "How British empire failed to tame the terrorist Fakir of Ipi". The Telegraph. मूल से 1 नवंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 November 2001.
  3. Stewart, Jules (2007-02-22). Savage Border: The Story of the North-West Frontier (अंग्रेज़ी में). The History Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780752496078.
  4. Motadel, David (2014-11-30). Islam and Nazi Germany's War (अंग्रेज़ी में). Harvard University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780674724600.
  5. Bose, Mihir (2017-01-20). Silver: The Spy Who Fooled the Nazis: The Most Remarkable Agent of the Second World War (अरबी में). Fonthill Media.
  6. "Past in Perspective". The Nation. August 25, 2019. मूल से 27 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि August 25, 2019.
  7. Ali Shah, Sayyid Vaqar (1993). Marwat, Fazal-ur-Rahim Khan (संपा॰). Afghanistan and the Frontier. University of Michigan: Emjay Books International. पृ॰ 256. मूल से 19 दिसंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 दिसंबर 2019.
  8. H Johnson, Thomas; Zellen, Barry (2014). Culture, Conflict, and Counterinsurgency. Stanford University Press. पृ॰ 154. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780804789219. मूल से 19 दिसंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 दिसंबर 2019.
  9. Malik, Hafeez (2016-07-27). Soviet-Pakistan Relations and Post-Soviet Dynamics, 1947–92 (अंग्रेज़ी में). Springer. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781349105731.
  10. The Faqir of Ipi of North Waziristan Archived 2019-04-16 at the वेबैक मशीन. The Express Tribune. November 15, 2010.
  11. The legendary guerilla Faqir of Ipi unremembered on his 115th anniversary Archived 2018-12-07 at the वेबैक मशीन. The Express Tribune. April 18, 2016.

आगे की पढ़ाई[संपादित करें]

  • डॉ। शाह, उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत युद्ध वर्ष 1914-1945 में सैयद वकार अली जर्मन गतिविधियाँ। क़ैद-ए-आज़म यूनिवर्सिटी। [1] पर ऑनलाइन उपलब्ध है। अंतिम बार 22/03/06 को एक्सेस किया गया
  • पाकिस्तान सरकार: फ्रंटियर कॉर्प्स (NWFP) पाकिस्तान और उसका मुख्यालय। [2] पर ऑनलाइन उपलब्ध २२/०३/२०१६ को अंतिम प्रवेश किया
  • इपी की क्रॉस बॉर्डर नेक्सस के सिद्दीकी एआर फ़कीर। ऑनलाइन उपलब्ध [3] । अंतिम बार 22/03/06 को एक्सेस किया गया।
  • हूनर, मिलन (जनवरी, 1981) वन मैन विद द एम्पायर: द फकीर ऑफ इपी और मध्य एशिया में ब्रिटिश और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान। [4] पर ऑनलाइन उपलब्ध है। अंतिम बार 22/03/06 को एक्सेस किया गया।
  • शाह, इदरीस, डेस्टिनेशन मक्का, चैप्टर XXIII में इपी (लंदन 1957) के फकीर के साथ लिया गया एकमात्र साक्षात्कार है। संभवतः फ़कीर की दरवेश या सूफ़ी स्थिति की पुष्टि करता है।
  • बाटल-ए-हुर्रियत: इपी की फकीर — इमान-परवर जिहाद डॉ। फजल-उर-रहमान किताब साब, फर्स्ट फ्लोर, अल्हमद मार्केट, गजनी स्ट्रीट, उर्दू बाजार, लाहौर

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]