कल्पित कथा/मिथ

कल्पित कथा, अंग्रेजी के शब्द 'मिथ' (Myth) का समानार्थी शब्द है। मिथ में उन काल्पनिक कथाओं को लिया जाता है जो मनुष्य के ब्रह्मांड, प्रकृति और मानव व्यवहार तथा जीवन से जुड़े प्रश्न के उत्तर से सम्बंधित हो। मिथ दो प्रकार की होती है- प्रकृति के साथ जुडी और पारलौकिक।[1][2]
प्राचीन पुराकथाओं का तत्त्व जो नवीन स्थितियों में नये अर्थ का वहन करे मिथक कहलाता है।[3] मिथकों का जन्म ही इसलिए हुआ था कि वे प्रागैतिहासिक मनुष्य के उस आघात और आतंक को कम कर सकें, जो उसे प्रकृति से सहसा अलग होने पर महसूस हुआ था-और मिथक यह काम केवल एक तरह से ही कर सकते थे-स्वयं प्रकृति और देवताओं का मानवीकरण करके। इस अर्थ में मिथक एक ही समय में मनुष्य के अलगाव को प्रतिबिम्बित करते हैं और उस अलगाव से जो पीड़ा उत्पन्न होती है, उससे मुक्ति भी दिलाते हैं। प्रकृति से अभिन्न होने का नॉस्टाल्जिया, प्राथमिक स्मृति की कौंध, शाश्वत और चिरन्तन से पुनः जुड़ने का स्वप्न ये भावनाएँ मिथक को सम्भव बनाने में सबसे सशक्त भूमिका अदा करती हैं। सच पूछें, तो मिथक और कुछ नहीं प्रागैतिहासिक मनुष्य का एक सामूहिक स्वप्न है जो व्यक्ति के स्वप्न की तरह काफी अस्पष्ट, संगतिहीन और संश्लिष्ट भी है। कालान्तर में पुरातन अतीत की ये अस्पष्ट गूँजें, ये धुँधली आकांक्षाएँ एक तर्कसंगत प्रतीकात्मक ढाँचे में ढल जाती हैं और प्राथमिक यथार्थ की पहली, क्षणभंगुर, फिसलती यादें महाकाव्यों की सुनिश्चित संरचना में गठित होती हैं। मिथक और इतिहास के बीच महाकाव्य एक सेतु है, जो पुरातन स्वप्नों को काव्यात्मक ढाँचे में अवतरित करता है।
ऐसा भी माना गया है कि जितने मिथक हैं, सब परिकल्पना पर आधारित हैं। फिर भी यह मूल्य आधारित परिकल्पना थी जिसका उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था को मजबूत करना था। प्राचीन मिथकों की खासियत यही थी कि वह मूल्यहीन और आदर्शविहीन नहीं थे। मिथकों का जन्म समाज व्यवस्था को कायम रखने के लिए हुआ। मिथक लोक विश्वास से जन्मते हैं। पुरातनकाल में स्थापित किये गये धार्मिक मिथकों का मंतव्य स्वर्ग तथा नरक का लोभ, भय दिखाकर लोगों को विसंगतियों से दूर रखना था। मिथ और मिथक भिन्न है। मिथक असत्य नहीं है।[4]
इस शब्द का प्रयोग साहित्य से इतर झूठ या काल्पनिक कथाओं के लिए भी किया जाता है। मनोविज्ञान तथा मनोविश्लेषण में मिथकों के अध्ययन को बहुत महत्त्व दिया गया है। इस सम्बंध में फ्रायड तथा जुंग के सिद्धान्तों में अन्तर है, पर आगे मिथक सम्बंधी विवेचना में जुंग के मत को अधिक मान्यता मिली। जुंग के अनुसार,"मिथक का जन्म व्यक्ति में नहीं,बल्कि समूह के मानस में होता है,वह भी चेतन मन में नहीं,अचेतन मन
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "The Myth of Io". The Walters Art Museum. Archived from the original on 16 मई 2013. Retrieved 19 अक्तूबर 2016.
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(help) - ↑ अधिक जानकारी के लिए इस पैनल पर देखने के लिए कृपया Zeri सूचीपत्र संख्या 64, पृपृश्ठ 100-101
- ↑ प्रसाद, कालिका (जनवरी २०००). बृहत् हिन्दी कोश. वाराणसी: ज्ञानमंडल लिमिटेड. p. ८९४.
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(help)CS1 maint: year (link) - ↑ "`मिथक' पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी" (पीएचपी). नूतन सवेरा. Retrieved २१ सितंबर २००९.
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