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मास्को रियासत

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मॉस्को रियासत 13वीं और 14वीं शताब्दी के दौरान मंगोल शासन के अधीन एक छोटी रियासत थी। प्रारंभ में यह केवल 47,000 वर्ग किलोमीटर में सीमित थी, लेकिन इवान III (इवान द ग्रेट) के शासनकाल में 1462 तक यह 430,000 वर्ग किलोमीटर तक विस्तृत हो गई। इवान IV (इवान द टेरिबल) के शासनकाल में यह एक विशाल साम्राज्य बनकर 2,800,000 वर्ग किलोमीटर तक फैल गया। मॉस्को रियासत ने रूसी राजनीति, धर्म और सैन्य शक्ति को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मॉस्को रियासत

Московское княжество
1283–1547
राजधानीमॉस्को
आधिकारिक भाषाएँरूसी
धर्म
रूसी रूढ़िवादी चर्च
सरकारराजशाही
• राजकुमार
दानियल अलेक्ज़ेंड्रोविच
• त्सार
इवान IV
इतिहास 
• मॉस्को का निर्माण
1283
• मॉस्को साम्राज्य की स्थापना
1547
मुद्रारूबल

मंगोल शासन के अंतर्गत मॉस्को

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मॉस्को का पहला उल्लेख 1147 में हुआ, जब इसे यूरी डोल्गोरुकी ने स्थापित किया। 1237 में मंगोल आक्रमण के दौरान मॉस्को को बर्बाद कर दिया गया, लेकिन इसके राजकुमारों ने मंगोल शासन के साथ सहयोग करते हुए अपनी स्थिति मजबूत की। 14वीं शताब्दी में, मॉस्को के राजकुमारों ने मंगोलों के साथ समझौते के माध्यम से शक्ति प्राप्त की और अपने क्षेत्र का विस्तार किया। इवान I (1325–1341) के शासनकाल में मॉस्को को मंगोल श्रद्धांजलि संग्रह का अधिकार मिला, जिससे मॉस्को आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त हुआ।[1]

इवान III और मॉस्को का विस्तार

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इवान III (1462–1505) के शासनकाल में मॉस्को ने रूसी भूमि को एकजुट किया। उन्होंने नोवगोरोड (1478) और त्वेर (1485) जैसे प्रमुख क्षेत्रों को अपने अधिकार में लिया। 1480 में, "स्टैंड ऑन द उग्रा" ने मंगोल प्रभाव को समाप्त कर दिया। इवान III ने मॉस्को को "तीसरा रोम" के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें बाइज़ेंटाइन परंपराओं और ईसाई धर्म का गहरा प्रभाव था।[1]

सैन्य और प्रशासनिक सुधार

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इवान III और उनके उत्तराधिकारी वासिली III ने सैन्य और प्रशासनिक सुधारों को लागू किया। *पोमेस्टिया* प्रणाली के माध्यम से भूमि का वितरण सैनिक सेवाओं के बदले में किया गया। 1497 में, एक नया कानून संहिता (*सुदेबनिक*) जारी किया गया, जिसने न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रिया को संगठित किया। यह कोड किसानों की स्वतंत्रता को सीमित करता था और उन्हें अपने ज़मींदारों की अनुमति के बिना भूमि छोड़ने से रोकता था, जो अंततः किसानों की दासता की ओर अग्रसर हुआ।[1]

धार्मिक महत्व और "नई यरूशलम" की स्थापना

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1480 के बाद मॉस्को को "नई यरूशलम" और रूसी रूढ़िवादी चर्च के केंद्र के रूप में देखा गया। इवान III ने मॉस्को के क्रेमलिन का पुनर्निर्माण किया और इसे एक पवित्र स्थान के रूप में स्थापित किया। मॉस्को के शासकों ने खुद को "चुने हुए लोगों" और "ईसाई साम्राज्य" के रक्षक के रूप में प्रस्तुत किया।[1]

मॉस्को और विदेशी नीतियां

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मॉस्को ने क्राइमिया, कज़ान और अस्त्राखान जैसे तातार खानों के साथ जटिल संबंध बनाए। 1512-1522 के दौरान मॉस्को लिथुआनिया के साथ युद्ध में शामिल रहा और 1521 में क्राइमिया तातारों ने मॉस्को की घेराबंदी की। पश्चिम में मॉस्को ने लिथुआनिया से अपनी शक्ति में वृद्धि की और स्मोलेंस्क (1514) को अपने अधिकार में लिया।[2]

इवान IV और साम्राज्य की स्थापना

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1547 में, इवान IV "द टेरिबल" को त्सार का ताज पहनाया गया। यह रूसी इतिहास में एक नए युग की शुरुआत थी। इवान IV ने मॉस्को को एक बहु-जातीय और बहु-धार्मिक साम्राज्य में परिवर्तित किया। उन्होंने कज़ान और अस्त्राखान खानों पर विजय प्राप्त की और वोल्गा नदी क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित किया। हालांकि, उनके शासनकाल में राजनीतिक आतंक और आंतरिक कलह के कारण मॉस्को रियासत को गंभीर नुकसान हुआ।[2]

मॉस्को रियासत ने 13वीं शताब्दी के एक छोटे राज्य से एक विशाल साम्राज्य तक का सफर तय किया। मंगोल शासन के तहत अपने अस्तित्व को बनाए रखते हुए, मॉस्को ने धीरे-धीरे अपनी शक्ति और क्षेत्र का विस्तार किया। इवान III और इवान IV जैसे शासकों ने इसे रूसी राजनीति, धर्म और सैन्य शक्ति का केंद्र बनाया, जिससे यह अंततः रूस के एकीकृत साम्राज्य में बदल गया।[2]

  1. Langer, Lawrence N. (2016), "Russia: 2. Moscow, Grand Duchy of (13th century to 1547)", The Encyclopedia of Empire (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, पपृ॰ 1–11, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-118-45507-4, डीओआइ:10.1002/9781118455074.wbeoe198, अभिगमन तिथि 2025-01-21
  2. "Grand Principality of Moscow | Ivan I, Ivan III, Muscovy | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). 2024-12-09. अभिगमन तिथि 2025-01-21.