सामग्री पर जाएँ

माली साम्राज्य

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

माली साम्राज्य की स्थापना मंडे भाषी लोगों के पहले प्रवासों और उनके द्वारा नाइजर घाटी में बस्तियां बसाने से हुई। 11वीं सदी में कीता वंश ने मंडिंका प्रमुखों को एकीकृत किया। 13वीं सदी की शुरुआत में, सुमंगुरु कनीगा ने माली क्षेत्र पर आक्रमण किया और स्थानीय प्रमुखों को पराजित कर दिया। हालांकि, सुंदियाता कीता ने इस चुनौती का सामना किया। उन्होंने निर्वासन में एक सेना संगठित की और 1235 के क्रीना के युद्ध में सुमंगुरु को हराकर माली साम्राज्य की नींव रखी।

माली साम्राज्य
माली साम्राज्य
साम्राज्य
1235–1600
राजधानी नियानी
भाषाएँ मंडे भाषा, अरबी भाषा
धार्मिक समूह पारंपरिक पश्चिमी अफ्रीकी धर्म, इस्लाम
शासन राजशाही
मानसा (सम्राट) सुंदियाता कीता (संस्थापक)
मानसा मूसा (सबसे प्रसिद्ध शासक)
इतिहास
 -  सुंदियाता की विजय और साम्राज्य का गठन 1235
 -  बंबारा राज्यों और सांगाई साम्राज्य का उदय 1600
आज इन देशों का हिस्सा है: माली, सेनेगल, गिनी, मॉरिटानिया, गाम्बिया
Warning: Value not specified for "continent"

विस्तार और स्वर्ण युग

[संपादित करें]

सुंदियाता कीता (1235–1255) ने माली साम्राज्य को पश्चिमी अफ्रीका के एक महान साम्राज्य में बदल दिया। उनकी विजय नाइजर नदी की घाटियों, सेनेगाम्बिया, और सहारा तक फैली। उनके उत्तराधिकारी, विशेषकर मानसा मूसा (1312–1337), ने साम्राज्य को और अधिक समृद्ध और प्रसिद्ध बनाया।[1]

मानसा मूसा के शासनकाल में माली ने अपने सोने के खनिज संसाधनों का कुशलता से उपयोग किया। उनके मक्का की तीर्थयात्रा ने न केवल इस्लामिक दुनिया में माली का नाम प्रसिद्ध किया बल्कि यह दिखाया कि माली उस समय विश्व के सबसे समृद्ध देशों में से एक था। उनकी तीर्थयात्रा के दौरान उनके विशाल काफिले में 100 ऊंट थे, प्रत्येक पर 300 पाउंड सोना लदा था। उन्होंने काहिरा और मक्का में दान करके स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव डाला।[2]

सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान

[संपादित करें]

माली साम्राज्य न केवल एक सैन्य और आर्थिक शक्ति था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र भी बन गया। टिंबकटू, जेन्ने और गाओ जैसे शहर इस्लामी शिक्षा के प्रमुख केंद्र बन गए। टिंबकटू का सांकोरे विश्वविद्यालय और उसके पुस्तकालयों ने इस्लामी और वैज्ञानिक विचारों के प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाई।[1]

इस्लाम साम्राज्य के शासकों के बीच लोकप्रिय था, लेकिन अधिकांश जनसंख्या पारंपरिक पश्चिमी अफ्रीकी धर्मों का पालन करती रही। इस्लाम का प्रसार धीरे-धीरे हुआ और इसके साथ पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं का सह-अस्तित्व बना रहा। मानसा मूसा और उनके उत्तराधिकारियों ने मस्जिदों और धार्मिक शिक्षण संस्थानों का निर्माण करवाया, जिससे इस्लामिक शिक्षा को बढ़ावा मिला।[1]

प्रशासनिक संरचना और व्यापार

[संपादित करें]

माली साम्राज्य एक मजबूत प्रशासनिक संरचना पर आधारित था। मानसा का शासन क्षेत्रीय नेताओं (मंसाओं) की मदद से चलता था, जो स्थानीय स्तर पर प्रशासन और कानून व्यवस्था बनाए रखते थे।[1]

साम्राज्य ने सहारा पार व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सोना, नमक, और तांबे का व्यापार मुख्य आर्थिक गतिविधियां थीं। माली साम्राज्य ने व्यापार मार्गों पर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की, जिससे व्यापारी और विद्वान दूर-दूर से यहां आते थे। टिंबकटू और जेन्ने जैसे शहर व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के केंद्र बन गए।[2]

पतन के कारण

[संपादित करें]

14वीं सदी के अंत और 15वीं सदी की शुरुआत में माली साम्राज्य में उत्तराधिकार विवादों और बाहरी आक्रमणों के कारण गिरावट शुरू हुई। मॉसी राज्यों के आक्रमण और सांगाई साम्राज्य के उदय ने माली की पूर्वी सीमाओं पर नियंत्रण समाप्त कर दिया।[2]

15वीं और 16वीं सदी में, बंबारा राज्यों जैसे कर्ता और सेगु के उदय ने माली साम्राज्य को कमजोर कर दिया। अंततः माली साम्राज्य अपनी मूल सीमाओं तक सिमट गया और 17वीं सदी तक धीरे-धीरे समाप्त हो गया।[2]

माली साम्राज्य की सांस्कृतिक, धार्मिक, और प्रशासनिक उपलब्धियां पश्चिमी अफ्रीका के आधुनिक देशों माली, गिनी, सेनेगल, और गाम्बिया में आज भी देखी जा सकती हैं। टिंबकटू के पुस्तकालय, मानसा मूसा की कहानियां, और माली के व्यापारिक और सांस्कृतिक योगदान आज भी इन देशों की राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा हैं। माली साम्राज्य की महानता ने पश्चिमी अफ्रीका को एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत प्रदान की।[1]

  1. Sapong, Nana Yaw B. (2016), "Mali Empire", The Encyclopedia of Empire (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, पपृ॰ 1–5, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-118-45507-4, डीओआइ:10.1002/9781118455074.wbeoe141, अभिगमन तिथि 2025-01-20
  2. "Mali empire | History, Rulers, Downfall, Map, & Facts | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). 2024-12-20. अभिगमन तिथि 2025-01-20.