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मानव लिंग का आकार

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मानव लिंग के आकार-बृद्धि की भिन्न-भिन्न स्थिति दर्शाता एक चित्र

मानव लिंग आकार में, जिसमें लम्बाई और परिधि शामिल हैं, अपनी तनी हुई और नरम अवस्था में विभिन्न माप का हो सकता है।

सामान्य रूप से मानव लिंग की प्राकृतिक परिवर्तनशीलता के अलावा, कई ऐसे कारक हैं जो किसी भी पुरुष में मामूली भिन्नता पैदा करते हैं, जैसे कि उत्तेजना का स्तर, दिन का समय, कमरे का तापमान और यौन गतिविधि की आवृत्ति। Lol

अन्य मानव सदृश जानवरों की तुलना में, गोरिल्ला जैसे बड़े उदाहरणों सहित, मानव लिंग सबसे and मोटाa है, दोनों ही पूर्ण अकार में और शरीर के बाकी हिस्सों के सापेक्ष।

विभिन्न अध्ययनों के अनुसार लिंग के माप अलग-अलग होते हैं। जो अध्ययन स्व-माप पर निर्भर करते हैं, उन अध्ययनों में स्वास्थ्य कर्मचारियों के द्वारा मापे गए अध्ययन की तुलना में काफी अधिक औसत है।

2015 तक, 15,521 पुरुषों की एक व्यवस्थित समीक्षा, और जो इस विषय पर अभी तक के लिए सबसे अच्छा शोध है, क्योंकि विषयों को आत्म-माप की जगह स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा मापा गया था, ने निष्कर्ष निकाला है कि एक सीधे तने हुए मानव मानव लिंग की औसत लम्बाई 13.12 सेमी है (5.17 इंच) है, जबकि एक तने हुए लिंग की औसत परिधि 11.66 सेमी (4.59 इंच) है | नरम लिंग की लम्बाई कभी-कभी तने हुए लिंग की लम्बाई का गलत अनुमान दे सकती है ।

अधिकांश मानव लिंग वृद्धि बचपन और पाँच साल की उम्र के बीच होती है, और उसके बाद यौवन की शुरुआत के लगभग एक साल बाद से लेकर लगभग 17 साल की उम्र तक । [1]

लिंग के आकार और शरीर के अन्य अंगों के आकार के बीच सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण सम्बन्ध अनुसंधान में नहीं पाया गया है | आनुवांशिकी के अलावा कुछ पर्यावरणीय कारक, जैसे अंतःस्रावी व्यवधानों की उपस्थिति, लिंग वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं। 7 सेमी (2.8 इंच) से कम की लम्बाई वाली एक वयस्क लिंग, जो अन्यथा सामान्य है, को एक सूक्ष्म लिंग (माइक्रो पेनिस) के रूप में चिकित्सा में संदर्भित किया जाता है।

जबकि प्रतिष्ठित अध्ययनों में परिणाम थोड़ा भिन्न होते हैं, आम सहमति यह है कि औसत मानव लिंग, जब तना होता है, लंबाई में 12.9 - 14 सेमी (5.1 - 5.9 इंच) होता है ।

वीले एट. अल द्वारा 2015 में प्रकाशित, बीजेयू इंटरनेशनल में प्रकाशित पिछले 30 वर्षों के विषय पर चिकित्सा अनुसंधान की व्यवस्थित समीक्षा में, इसी तरह के परिणाम दिखाए। फ्लैसिड यानि नर्म / गैर-स्तम्भ लिंग की औसत लम्बाई 9.16 सेमी , खींचा हुआ नर्म / गैर-स्तम्भ की औसत लम्बाई 13.24 सेमी और तने हुए / स्तम्भ लिंग की लम्बाई 13.12 सेमी , और फ्लैसिड यानि नर्म / गैर-स्तम्भ लिंग की औसत परिधि 9.31 सेमी और और तने हुए / स्तंभ लिंग स्तम्भों की औसत परिधि 11.66 सेमी । [2] शामिल किए गए अध्ययनों में सही लम्बाई को पूर्व-जलीय वसा पैड को हड्डी में धकेलने से मापा गया था, और लिंग के आधार या मध्य-शाफ्ट पर फ्लेसीड या इरेक्ट ग्रिथ (परिधि) को मापा गया था |

एक अध्ययन में पाया गया कि लाड औसत नरम / गैर-स्तंभ लिंग की लम्बाई 3.5 इंच (8.9 सेमी) (कर्मचारियों द्वारा मापा गया) है [3] कई अध्ययनों की समीक्षा में औसतन लम्बाई में 9-10 सेंटीमीटर (3.5–3.9 इंच) पाया गया | [4] नरम / गैर-स्तम्भ लिंग की लम्बाई जरूरी नहीं कि तने हुए / स्तम्भन लिंग की लम्बाई के अनुरूप हो; कुछ छोटे नरम लिंग लंबे समय तक बढ़ते हैं, जबकि कुछ बड़े गैर-स्तम्भ लिंग तुलनात्मक रूप से कम बढ़ते हैं [5]

लिंग और अण्डकोश ठण्डे तापमान या घबराहट की प्रतिक्रिया में क्रेमेस्टर मांसपेशी द्वारा कार्रवाई के कारण अनैच्छिक रूप से सिकुड़ सकते हैं, इसे "संकोचन" शब्द से संदर्भित करते है। ऐसी ही समान घटना साइकिल चालकों और व्यायाम बाइक उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करती है, साइकिल की काठी से मूलाधार पर लम्बे समय तक दबाव और व्यायाम के तनाव के कारण लिंग और अंडकोश को अनैच्छिक रूप से संकुचित किया जाता है। एक गलत काठी अंततः स्तंभन दोष का कारण बन सकती है |

खींचा हुआ

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उम्र और नरम लिंग का आकार, उसकी स्तंभन लंबाई का सटीक अनुमान नहीं देते है। कुछ मामलों में खींची हुई (स्ट्रेच्च्ड) लम्बाई, तनी हुई / स्तम्भन लम्बाई के साथ सहसंबद्ध है। [3] हालांकि, अध्ययनों में खिंचाव और स्तम्भन लम्बाई के बीच काफी अंतर दिखाई दिया है। [6] इस अध्ययन में यह भी पाया गया है कि यूरोलॉजिस्ट द्वारा किए गए इस अध्ययन में तनाव वाली शक्तियों को 450g से काफी कम (P <0.01) दिखाया गया है। [7] यह बढ़ाया और सीधा लंबाई के बीच अंतर के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

  • 15,521 पुरुषों के 2015 के अध्ययन में पाया गया कि खिंचे हुए लिंग की औसत लंबाई 13.24 सेंटीमीटर (5.21 इंच) थी, जो एक तने हुए स्तम्भित मानव लिंग की औसत लम्बाई के समान है जो 13.12 सेमी (5.1 इंच) लम्बा है।
  • 2001 के यूरोपीय यूरोलॉजी में प्रकाशित लगभग 3,300 इतालियन नवजवान पुरुषों के एक अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला है कि खिंचे हुए लिंग की लम्बाई औसतन लगभग 12.5 सेमी (4.9 इंच) मापी गई थी । इसके अलावा, उन्होंने 325 पुरुषों के नमूने के एक अनियमित सबसेट में सहसम्बन्धों के लिए जाँच की।।

उन्होंने कुछ सांख्यिकीय महत्वपूर्ण स्पीयरमैन रैंक सहसंबंधों को पाया :

नरम / गैर-स्तम्भ लिंग लम्बाई और ऊँचाई के साथ 0.208, -0.140 वज़न के साथ और -0.238 बीएमआई के साथ;

नरम / गैर-स्तम्भ लिंग परिधि और ऊँचाई 0.156, खींची हुई लम्बाई और ऊँचाई 0.221, −0.136 वजन के साथ और −0.169 बीएमआई के साथ |

उन्होंने कुछ गैर-महत्वपूर्ण सहसम्बन्धों की भी रिपोर्ट की | [8]

वयस्क लिंग की तनी हुई / स्तम्भन लम्बाई पर वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है। आत्म-माप पर भरोसा करने वाले अध्ययन, जिनमें इण्टरनेट सर्वेक्षण भी शामिल हैं, ने लगातार माप प्राप्त करने के लिए चिकित्सा या वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करने वालों की तुलना में एक ज़्यादा औसत लंबाई रिपोर्ट की|

निम्नलिखित स्टाफ-द्वारा माप पर आधारित अध्ययन, मानव आबादी के विभिन्न उपसमूहों (दूसरे शब्दों में, विशिष्ट आयु सीमा या चयन, यौन चिकित्सा चिंताओं या आत्म-चयन के साथ उन लोगों के चयन) से बना हैं जो एक नमूना पूर्वाग्रह का कारण बन सकते हैं। [9][10]

  • सितंबर 1996 के जर्नल ऑफ यूरोलॉजी में प्रकाशित 80 स्वस्थ पुरुषों के एक अध्ययन में 12.9 सेमी (5.1 इंच) की औसत स्तम्भ लिंग की लम्बाई मापी गई।[3] अध्ययन का उद्देश्य "लिंग वृद्धि पर विचार करने वाले रोगियों को परामर्श देने में सहायता के लिए शिश्न की लंबाई और परिधि के लिए दिशानिर्देश प्रदान करना था।" 80 शारीरिक रूप से सामान्य अमेरिकी पुरुषों (अलग-अलग जातीयता, औसत आयु 54 वर्ष ) में स्तम्भन को औषधीय रूप से प्रेरित किया गया था। यह निष्कर्ष निकाला गया था: "न तो रोगी की उम्र और न ही नरम लिंग का आकार स्तम्भन लम्बाई की सटीक भविष्यवाणी करता है।"
  • दिसम्बर 2000 में इण्टरनेशनल जर्नल ऑफ इम्पोटेंस रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि 50 यहूदी कोकेशियान पुरुषों में लिंग की औसत लम्बाई 7.11 सेमी (2.8 इंच) (कर्मचारियों द्वारा मापी गई) है।[11] अध्ययन का उद्देश्य "स्तम्भन के दौरान लिंग के आकार की भविष्यवाणी के लिए नरम लिंग के क्लीनिकल और इंजीनियरिंग मापदण्डों की पहचान करना है।" [11] स्तम्भन का काम 50 यहूदी कोकेशियान रोगियों में किया गया था जिनका मूल्यांकन स्तंभन दोष (ईडी) (औसत आयु 47 ± 14 वर्ष ) के लिए किया गया था। पुरुष जिनके लिंग में असामान्य थे या जिनके ईडी का कारण एक से अधिक मनोवैज्ञानिक उत्पत्ति ठहराया जा सकता है, को अध्ययन से हटा दिया गया|
  • बीजेयू इण्टरनेशनल के 2007 के अंक में प्रकाशित एक समीक्षा में औसत स्तम्भ की लम्बाई 14–16 सेमी (5.5-6.3 इंच) और 12-13 सेमी (4.7 - 5.1 इंच) होना दिखाया गया है। पेपर ने कई देशों में विभिन्न आबादी पर किए गए बारह अध्ययनों के परिणामों की तुलना की। माप के विभिन्न तरीकों को समीक्षा में शामिल किया गया था।[4]
  • इण्टरनेशनल जर्नल ऑफ इम्पोटेंस रिसर्च में प्रकाशित 18 से 60 वर्ष की आयु के 500 पुरुषों के एक भारतीय अध्ययन में लिंग का आकार क्रमश: नरम 8.21 सेमी (3.23 इंच) लम्बा , खींचा हुआ 10.88 सेमी (4.28 इंच) लम्बा और तना हुआ 13.01 सेंटीमीटर (5.12 इंच) लम्बा पाया गया।[6]

एक प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक रिचर्ड लिन ने मानव (पुरुष) के लिंग के आकार पर एक शोधपत्र प्रकाशित किया। इस शोध में 113 देशों के पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज का विश्लेषण किया गया है। इस आधार पर देशों की एक लिस्‍ट भी बनाई गई है। इस लिस्‍ट में भारत 110वें स्थान पर है। लिस्‍ट में 7.1 इंच के औसत 'साइज' के साथ कांगो सबसे ऊपर है। कोरिया और कंबोडिया (3.9 इंच) सबसे नीचे हैं। भारत इन्हीं दो देशों से ऊपर है। भारतीय पुरुषों का 'औसत साइज' 4 इंच बताया गया है। लेकिन इस पर सवाल उठ रहे हैं।

साल 2006 में भारत में कंडोम का साइज तय करने के लिए किए गए 'साइज सर्वे' की रिपोर्ट आई थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा कराए गए सर्वे 'स्डटी ऑन प्रापर लेंथ एंड ब्रेड्थ स्पेसिफिकेसंस फॉर कंडोम बेस्ड एंथ्रोपोमेट्रिक मेजरमेंट' के बाद यह नतीजा निकला था कि भारतीय बाजार में मिलने वाले कंडोम पुरुषों के लिंग के साइज के अनुपात में बड़े होते हैं। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ॰ शर्मा ने अपनी शोध रिपोर्ट साल 2006 में भारत सरकार को सौंप दी थी।

हालांकि इसके बाद कंडोम बनाने वालों के लिए कोई भी दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए थे। ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के अनुच्छेद 'आर' के मुताबिक भारत में कंडोम का साइज कम से कम 6.7 इंच रखना अनिवार्य है। बहरहाल, सर्वे में 1400 पुरुषों का डाटा लिया गया था जिसमें 18-50 आयुवर्ग के पुरुष शामिल थे। इससे पहले साल 2001 तक मुंबई में इकट्ठा किए गए (200 लोगों के) डाटा के मुताबिक 60 प्रतिशत भारतीय पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की औसत लंबाई 4.4 से 4.9 इंच के बीच और 30 प्रतिशत की लंबाई 4 से 4.9 इंच बताई गई थी।

रिचर्ड के सर्वे पर सवाल

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डॉ॰ रिचर्ड द्वारा जारी डाटा के मुताबिक भारतीय पुरुषों के लिंग की औसत लंबाई चार इंच है। उन्‍होंने अपनी रिपोर्ट का आधार आईसीएमआर के सर्वे को बनाया है। इसलिए इस सर्वे को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। द ओपेन मैग्जीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईसीएमआर द्वारा कराए गए सर्वे के नतीजे ही विश्वसनीय नहीं थे। तो फिर इसे आधार बना कर किया गया कोई और सर्वे कैसे विश्‍वसनीय हो सकता है?

आईसीएमआर के सर्वे को बेहतर रेस्पांस नहीं मिल पाया था क्योंकि भारत में कोई भी पुरुष इस तरह के सर्वे के लिए तैयार हो जाये यह बात भी आसान नहीं है। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ॰ आर०एस० शर्मा के मुताबिक सर्वे के लिए आंकड़े इकट्ठा करने में उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। डॉ॰ शर्मा ने साल 2001 में आँकड़े इकट्ठा करना शुरू किया था। उन्हें इसमें पाँच साल लग गये थे। डॉ॰ शर्मा कहते हैं-"भारतीय पुरुषों के लिंग का औसत साइज निकालना बाकी देशों से भिन्न है क्योंकि यहाँ अलग-अलग जाति और नस्लों के लोग रहते हैं।" डॉ॰ शर्मा की टीम ने सात सेंटरों- पटना, गुवाहाटी, कटक, चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और हुबली में पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज के सैंपल इकट्ठे किये थे।

सर्वे और उसकी मुश्किलें

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चंडीगढ़ में डॉ॰ एस के सिंह ने यह सर्वे किया था। डॉ॰ सिंह 220 पुरुषों का सैंपल लेने में कामयाब रहे थे। पुरुषों के अंग का साइज मापने के लिए एक किट बनाई गई थी जो अंग की मोटाई और लंबाई मापती थी। इसमें दो पेपर स्ट्रिप थी जिनसे माप लिया जाता था। एक पुरुष के कम से कम तीन माप लिए जाते थे और फिर औसत को अंतिम माप मान लिया जाता था।

पुरुषों के अंग का माप लेना भी एक बड़ी समस्या थी। पहले आईआईटी खड़गपुर प्रोफेसर सुजॉय कुमार गुहा ने अंग का माप लेने के लिए एक डिजिटल कैमरा विकसित किया लेकिन महँगा होने के कारण इसे अपनाया नहीं गया था। कई व्‍यावहारिक दिक्‍कतें भी पेश आई थीं। पहले तो पुरुषों को सर्वे में शामिल होने के लिए तैयार करना ही मुश्किल था। अगर किसी तरह तैयार भी किया जाता था तो माप देते वक्‍त वे सहज नहीं हो पाते थे। उन्‍हें इसके लिए बोल्‍ड मैग्‍जीन आदि दिखा कर तैयार किया जाता था। शादीशुदा पुरुषों को अपनी पत्नी को साथ लाने की इजाजत दी गई थी। इसके बावजूद सही माप लेने में कई मुश्किलें आती थीं। चंडीगढ़ में सर्वे करने वाले डॉ॰ सिंह तो पुरुषों को सर्वे में शामिल होने के लिए देशहित तक का वास्ता देते थे।

सर्वे में शामिल अहम देशों का औसत साइज

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यूनानी प्रजनन के देवता प्रियपोस

कोच्चि की अलग कहानी

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कोच्चि में भी औसत साइज मापने के लिए एक सर्वे किया गया था। इसमें 301 लोग शामिल हुए थे और इसके नतीजे सन 2007 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंपोटेंस रिसर्च में प्रकाशित हुए थे। इस सर्वे को सेक्स रोग विशेषज्ञ डॉ॰ के० प्रोमुदु ने किया था। डॉ॰ प्रोमुदु के सर्वे के मुताबिक औसत साइज 5.8 इंच लंबा पाया गया। हालांकि उन्होंने सर्वे सिर्फ केरल में किया था इसलिए इसे समूचे भारत का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता। लेकिन यदि डॉ॰ प्रोमुदु के सर्वे को यदि मानक माना जाए तो इस सूची में भारत चीन समेत कई देशों से ऊपर हो जाता है।

इस तरह डॉ॰ लिन की रिसर्च में कई खामियाँ नजर आती हैं। लेकिन उनकी रिपोर्ट इस बात पर रोशनी जरूर डालती है कि दुनिया के अलग-अलग इलाकों के पुरुषों के 'साइज' में इतना फर्क क्यों हैं। उन्‍होंने इसे मानव जाति के विकास से जोड़ा है। उनके मुताबिक प्राचीन काल में पुरुषों में महिलाओं को गर्भवती कर अपनी नस्ल के विकास की होड़ रहती थी। इस होड़ में अपेक्षाकृत लंबे प्राइवेट पार्ट वाले पुरुष बाजी मार लेते थे। लेकिन जैसे-जैसे पुरुष जाति ने अफ्रीका से यूरोप, एशिया और अन्य द्वीपों में पलायन किया, उनके बीच महिलाओं को गर्भवती करने की होड़ कम हो गई। इस कारण से पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन नाम का हारमोन भी कम होता गया। नतीजतन साइज छोटा होता चला गया।

डॉ॰ लिन की शोध के मुताबिक नीग्रॉयड्स का 'औसत साइज' 6 इंच होता है। ये अफ्रीका में ही रहने वाले पुरुषों के वंशज हैं जबकि कोकसॉड्स पुरुषों के मामले में यह आँकड़ा 5.4 इंच और मंगोलॉयड्स के मामले में 4.7 इंच है। ये उन पुरुषों के वंशज है जो अफ्रीका को छोड़कर यूरोप और एशिया में बस गए थे।

[2] [3] [11] [4]

  1. Stang, Jamie; Story, Mary (2005). "Ch. 1. Adolescent Growth and Development" (PDF). In Stang J, Story M (ed.). Guidelines for Adolescent Nutrition Services. University of Minnesota. p. 3. Retrieved 26 November 2012.
  2. Veale, David; Miles, Sarah; Bramley, Sally; Muir, Gordon; Hodsoll, John (2015). BJU International. 115 (6): 978–986. doi:10.1111/bju.13010. PMID 25487360 https://doi.org/10.1111%2Fbju.13010. {{cite journal}}: Missing or empty |title= (help)
  3. Wessells, Hunter; Lue, Tom F; McAninch, Jack W (1996). The Journal of Urology. 156 (3): 995–7. doi:10.1016/S0022-5347(01)65682-9. PMID 8709382. {{cite journal}}: Missing or empty |title= (help)
  4. Wylie, Kevan R; Eardley, Ian (2007). BJU International. 99 (6): 1449–55. doi:10.1111/j.1464-410X.2007.06806.x. PMID 17355371 https://doi.org/10.1111%2Fj.1464-410X.2007.06806.x. {{cite journal}}: Missing or empty |title= (help)
  5. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; kinsey नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  6. एक अध्ययन में पाया गया है कि लिंग को खींचने के दौरान लगभग 450 ग्राम का एक न्यूनतम तनाव बल एक पूर्ण संभावित निर्माण लम्बाई तक पहुँचने के लिए आवश्यक था। Promodu, K; Shanmughadas, K V; Bhat, S; Nair, K R (2007). 19 (6): 558–563. doi:10.1038/sj.ijir.3901569. PMID 17568760 https://doi.org/10.1038%2Fsj.ijir.3901569. {{cite journal}}: Cite journal requires |journal= (help); Missing or empty |title= (help)
  7. Chen, J; Gefen, A; Greenstein, A; Matzkin, H; Elad, D (December 2000). International Journal of Impotence Research (in अंग्रेज़ी). 12 (6): 328–333. doi:10.1038/sj.ijir.3900627. ISSN 0955-9930. PMID 11416836. S2CID 17447888 http://www.nature.com/articles/3900627. {{cite journal}}: Missing or empty |title= (help)
  8. Ponchietti, Roberto; Mondaini, Nicola; Bonaf&Egrave, Massimiliano; Di Loro, Filippo; Biscioni, Stefano; Masieri, Lorenzo (2001). "A Study on 3,300 Young Italian Males". European Urology. 39 (2): 183–6. doi:10.1159/000052434. PMID 11223678. S2CID 46856727.
  9. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; average नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  10. "Biased sample".। Center for Program Evaluation and Performance Management, Bureau of Justice Assistance। “A sample that is not representative of the population to which generalizations are to be made. For example, a group of band students would not be representative of all students at the middle school, and thus would constitute a biased sample if the intent was to generalize to all middle school students.” Archived 2015-09-08 at the वेबैक मशीन "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 8 सितंबर 2015. Retrieved 9 जनवरी 2021.
  11. Chen, J; Gefen, A; Greenstein, A; Matzkin, H; Elad, D (2001). International Journal of Impotence Research. 12 (6): 328–33. doi:10.1038/sj.ijir.3900627. PMID 11416836 https://doi.org/10.1038%2Fsj.ijir.3900627. {{cite journal}}: Missing or empty |title= (help)