माछीवाड़ा की लड़ाई
मछीवाड़ा की लड़ाई | |||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|
हुमायूँ आभियाँ का भाग | |||||||
| |||||||
योद्धा | |||||||
मुग़ल साम्राज्य | सूरी साम्राज्य | ||||||
सेनानायक | |||||||
हुमायूँ बैरम खान चाकर खान |
नसीब खान टरटर खान | ||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||
१५,०००-२०,०००[1] | ३०,००० | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
अज्ञात | अज्ञात |
माछीवाड़ा की लड़ाई १५ मई १५५५ में मुग़ल साम्राज्य और सूरी साम्राज्य के बीच लड़ी गई थी।
पृष्ठभूमि
[संपादित करें]इस्लाम शाह सूरी की मृत्यु के बाद, सूरी साम्राज्य एक गृहयुद्ध में था जहाँ सिंहासन के विभिन्न दावेदार वर्चस्व के लिए एक-दूसरे से लड़े। जब हुमायूँ ने काबुल से एक सेना जुटाई तो सिकंदर शाह सूरी इब्राहिम शाह सूरी के खिलाफ अपने संघर्ष में व्यस्त थे। फरवरी १५५५ में उसने रोहतास किले और लाहौर पर कब्ज़ा कर लिया। उसकी सेना की एक अन्य टुकड़ी ने दीपालपुर और जालंधर पर कब्ज़ा कर लिया। उनकी अग्रिम टुकड़ी सरहिन्द की ओर आगे बढ़ी। [2]
युद्ध
[संपादित करें]सिकंदर ने उन्हें रोकने के लिए नसीब खान और टार्टर खान के नेतृत्व में ३०,००० की सेना भेजी, लेकिन माछीवाड़ा में मुगल सेना ने उन्हें हरा दिया, जिससे सरहिंद का रास्ता खुल गया, जिस पर मुगलों का कब्जा था। [3]
परिणाम
[संपादित करें]हुमायूँ ने सूर भूमि पर अपना अभियान जारी रखा, और सरहिंद की लड़ाई में बाद की जीत ने हुमायूँ को मुग़ल साम्राज्य को फिर से स्थापित करने की अनुमति दी। [4] [5]
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ Begum, Gulbadan (1902). The History of Humāyūn (Humāyūn-nāmah). Royal Asiatic Society. पृ॰ 260.
- ↑ Majumdar, R.C. (ed.) (2007).
- ↑ Majumdar, R.C. (ed.) (2007).
- ↑ "Battles for India at Sirhind". Times of India Blog (अंग्रेज़ी में). 2018-03-18. अभिगमन तिथि 2022-10-25.
- ↑ Sarker, Sunil Kumar (1994). Himu, the Hindu "Hero" of medieval India : against the background of Afghan-Mughal conflicts. New Delhi: Atlantic Publishers and Distributors. OCLC 31010168. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7156-483-6.