माइकोप्लाज्मा

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छोटे आकार के प्लाज्मा को माइकोप्लाज्मा (microplasma) कहते हैं जिसका आकार १० मिलीमीटर के आसपास होता है। माइक्रोप्लाज्म को विभिन्न तापमान, दाब पर उत्पन्न किया जा सकता है और यह 'तापीय' या 'अतापीय' प्लाज्मा हो सकता है।


ये ऐसे जीवधारी होते है जिनमे कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती है | माइकोप्लाज्मा सबसे सूक्ष्म सजीव होते हैं।

  • सन् 1898 में फ्रांस के वैज्ञानिक ई नोकार्ड तथा ई रॉक्स ने प्लुरोनिमोनिया से पीड़ित पशु के पाश्र्व तरल में इन जीवों की खोज की। और इन सूक्ष्म जीवों को प्लूरो निमोनिया लाइक आर्गेनिस्म कहा जाता है।
  • सन् 1962 में एच मॉरोविट् एवं एम टोरटोलॉट ने मुर्गियों का श्वसन रोग माइकोप्लाज्मा जनित बताया था।

माइकोप्लाज्मा का वर्गीकरण:-

  • सन् 1966 में अंतरराष्ट्रीय जीवाणु नामकरण समिति ने माइकोप्लाज्मा को जीवाणुओं से अलग करके वर्ग- मॉलीक्यूट्स में रखा है।
  • वर्ग- मॉलीक्यूट्स
  • गण- माइकोप्लाज्माटेल्स
  • वंश- माइकोप्लाज्मा

माइकोप्लाज्मा के लक्षण:-

  1. ये सूक्ष्मतम एक प्रोकैरियोटिक जीव है। जो स्वतंत्र रूप से वृद्धि और प्रजनन करते हैं।
  2. यह बहुरूपी होते हैं अतः इन्हें पादप ( जीव ) जगत का जोकर भी कहा जाता है।
  3. इनमें कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है तथा केवल जीवद्रव्य कला उपस्थित होती हैं। जोकि 3 स्तरीय होती हैं।
  4. इन्हें वृद्धि के लिए स्टेरॉल की आवश्यकता होती है।
  5. ये कोशिका भित्ति पर क्रिया करने वाले प्रतिजैविक जैसे पेनिसिलिन से प्रभावित नहीं होते हैं। परंतु उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करने वाले प्रतिजैविक जैसे:- टेट्रासाइक्लीन माइकोप्लाजमा की वृद्धि को रोक देते हैं।
  6. इनका आकार 100 से 500 nm तक होता है। इसलिए इन्हें जीवाणु फिल्टर से नहीं छाना जा सकता है।
  7. इनके कोशिकाद्रव्य में राइबोसोम पाए जाते हैं।
  8. यह दोनों प्रकार के न्यूक्लिक अम्ल DNA तथा RNV7मह MIYय्A में पाए जाते हैं।
  9. ये किसी जीवित जंतु या पेड़ पौधों पर आश्रित रहते हैं। तथा उनमे कई तरह की बीमारियां उत्पन्न करते हैं। कई बार ऐसे जीव मृत कार्बनिक पदार्थों पर मृतोपजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं। यह परजीवी अथवा मृतोपजीवी दोनों प्रकार के हो सकते हैं।

माइकोप्लाज्मा जनित पादप रोग और उनको पहचानने के लक्षण:- माइकोप्लाज्मा पौधों में लगभग 40 रोग उत्पन्न करते हैं। जो निम्न लक्षणों द्वारा पहचाने जा सकते हैं।

  1. पत्तियां पीली पड़ जाती हैं अथवा एंथोसाइएनिन वर्णक के कारण लाल रंग की हो जाती हैं।
  2. पत्तियों का आकार छोटा हो जाता है।
  3. पुष्प पत्तियाँ आकार में बदल जाते हैं।
  4. पर्व छोटी पड़ जाती है।
  5. पत्तियाँ भुरभुरी हो जाती है।

माइकोप्लाज्मा जनित प्रमुख पादप रोग से प्रभावित होने वाले पौधे

  1. चंदन का स्पाइक रोग
  2. आलू का कुर्चीसम रोग
  3. कपास का हरीतिमागम
  4. बैंगन का लघु पर्ण रोग
  5. गन्ने का धारिया रोग
  6. ऐस्टर येलो आदि

माइकोप्लाजमा जनित मानव रोग:-

  • अप्रारूपिक निमोनिया- माइकोप्लाज्मा न्यूमोनी के कारण होता है।

माइकोप्लाज्मा जनित जंतु रोग:-

  • भेड़ और बकरियों का एगैलेक्टिया- माइकोप्लाज्मा एगैलेक्टी के कारण होता है।

माइकोप्लाज्मा द्वारा उत्पन्न रोग का उपचार:-

  • माइकोप्लाज्मा द्वारा उत्पन्न रोग का उपचार टेट्रोसाइक्लिन औषधि द्वारा किया जाता है

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