मांसभक्षी राक्षस

मांसभक्षी राक्षस अर्थात पिशाच (संस्कृत: पिशाच) हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म की पौराणिक कथाओं में वर्णित मांसाहारी राक्षसों का समूह है। इन्हें सामान्यतः मृतकों के पास रहने वाले, अंधकारप्रिय और मनुष्यों को नुकसान पहुँचाने वाले प्राणी के रूप में चित्रित किया गया है। यह एक दुष्ट प्राणी है जिसे अक्सर बुराई का प्रतीक माना जाता है।[1] मांसभक्षी राक्षस का उल्लेख महाभारत, पुराणों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। इन्हें भयभीत करने वाले रूप, लाल आँखें और विकृत शरीर वाले प्राणी के रूप में वर्णित किया गया है।
पौराणिक कथाएँ
[संपादित करें]विभिन्न कथाओं के अनुसार, मांसभक्षी राक्षस की उत्पत्ति अलग-अलग रूपों में बताई गई है। महाभारत और पुराणों में इन्हें ब्रह्मा या अन्य देवताओं द्वारा रचित बताया गया है। महाकाव्य में इस प्राणी के बारे में विभिन्न व्याख्याएँ दी गई हैं। कुछ में कहा गया है कि यह कुबेर या ब्रह्मा के दरबार में रहते है और वहाँ के देवताओं की पूजा करते है। साथ ही, यह शिव और पार्वती की भी पूजा करते है। मांसभक्षी राक्षस का वर्णन इस प्रकार किया गया है कि वो घटोत्कच के पक्ष में कर्ण के खिलाफ युद्ध किया। लेकिन ऐसा भी कहा गया है कि वो कौरवों की सेवा की, और अंबुष के रथ के घोड़ों के रूप में काम किया ।
कुछ कथाओं में मांसभक्षी राक्षस को क्रोध या पाप के संतान कहा गया है, तो अन्य में इन्हें पिशाचिनी नामक दैवी या राक्षसी का वंशज बताया गया है। 7वीं सदी के निलमत पुराण में कश्मीर और हिमालय क्षेत्र में मांसभक्षी राक्षस और नागों के निवास का उल्लेख है।
पाणिनी ने अपनी अष्टाध्यायी में मांसभक्षी राक्षस का वर्णन 'योद्धा वंश' के रूप में किया है। प्राचीन साहित्य में, कश्मीर के उत्तर में रहने वाले डार्दिक लोग 'पिशाच' अथबा मांसभक्षी राक्षस के नाम से जाने जाते थे और उनकी भाषाओं को पैसाची कहा जाता था।[2] कहा जाता है कि ये प्रजापति कश्यप के वंशज थे।[3]
थाईलैंड
[संपादित करें]रॉयल इंस्टिट्यूट डिक्शनरी में थाई शब्द 'ปิศาจ' (pisat), संस्कृत शब्द पिशाच को "भूत" (ผี) के रूप में परिभाषित किया गया है।[4] हालाँकि मांसभक्षी राक्षस पूरी तरह से थाई भूत नहीं हैं, लेकिन कुछ थाई लोककथाओं में उनका उल्लेख मिलता है। ये थाईलैंड में हिंदू-बौद्ध परंपरा से जुड़े भूत-प्रेतों में शामिल हैं और कुछ बौद्ध मंदिरों की चित्रकृतियों में भी इन्हें दर्शाया गया है।
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ www.wisdomlib.org (2019-01-28). "Story of Piśāca". www.wisdomlib.org (अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 2022-08-03.
- ↑ Dardestān, Encyclopaedia Iranica, Retrieved 30 January 2020.
- ↑ The Piśāca languages of north-western India, Sir George Abraham Grierson, Royal Asiatic Society, 1906
- ↑ Royal Institute Dictionary, 1997 Edition Archived 2009-03-03 at the वेबैक मशीन