महिमभट्ट

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महिमभट्ट कश्मीर के निवासी थे। इनका पूरा नाम राजानक महिमभट्ट था। इनका समय़ एकादश शताब्दी के लगभग माना जाता है। संस्कृत काव्यशास्त्र के प्रमुख आचार्य हैं। ये अपने शास्त्रग्रंथ व्यक्तिविवेक के कारण प्रसिद्ध हुए।इस ग्रन्थ में तीन विमर्श हैं। काव्यशास्त्र में ध्वनि के खण्डनकर्ता के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनका ग्रंथ ‘व्यक्तिविवेक’ काव्य शास्त्र के इतिहास में मील का पत्थर है।

जीवन चरित[संपादित करें]