महानिर्वाणतन्त्र
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महानिर्वाणतन्त्र एक तंत्र-ग्रन्थ है। सन १९१३ में आर्थर अवालोन (Arthur Avalon) ने इसका "द ग्रेट लिबरेशन" नाम से अंग्रेजी में अनुवाद किया।[1] किसी यूरोपीय भाषा में अनूदित होने वाला यह पहला तन्त्र-ग्रन्थ है।
यह ग्रन्थ कौल सम्प्रदाय से संबंधित है जिसमें कौलाचारों का संग्रह है। कौलाचार में साधक को मुक्ति प्राप्त करने के लिए सभी अनुष्ठानों और प्रथाओं का विवरण देना होता है। यह शिव और पार्वती के संवाद के रूप में है।
महानिर्वाणतन्त्र सबके लिये है, किसी वर्ण या जाति-विशेष के लिये नहीं। आठवें उल्लास में कहा है-
- ब्राह्मणाः क्षत्रिया वैश्या शूद्राः सामान्यजातयः ।
- कुलधर्म्माश्रिता ये वे पूज्यास्ते देववत्सदा ॥१९३॥
- (अर्थ- जिन्होंने कुलधर्म का आश्रय लिया है, वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र अथवा साधारण जाति हो तो भी सदा देवता के समान पूज्य होंगे ॥ १९३॥)?[2]
- वर्णाभिमानाच्चक्रे तु वर्णभेदं करोति यः ।
- स याति घोर निरयमपि वेदान्तपारगः ॥ १९४ ॥
- अर्थ- जो जाति का अभिमान करके चक्र में जातिभेद का विचार करेगा वह वेदान्त में पारदर्शी होने पर भी घोर नरक में जायगा ॥ १९४ ॥)
संरचना
[संपादित करें]महानिर्वाणतन्त्रम् में १४ उल्लास (अध्याय) एवं कुल 2517 छन्द हैं। इस ग्रन्थ कि विषय-वस्तु निम्नलिखित है-
प्राणियों की मुक्ति (प्रथम समुल्लास), ब्राह्मण की पूजा (द्वितीय समुल्लास), सर्वोच्च ब्राह्मण (तृतीय समुल्लास), कलियुग में कुलाचार का महत्व (चतुर्थ समुल्लास), मंत्रों के रहस्योद्घाटन और पूजा के तत्व (पंचम समुल्लास), होम और अन्य संस्कार (६), देवी के स्तोत्र और कवच (७), जातियों और आश्रमों के धर्म और रीति-रिवाज़ (८), शुद्धिकरण संस्कार (९), अंतिम संस्कार संस्कार (१०), एक्सपरेटरी का लेखा-जोखा अधिनियम (११), शाश्वत और अपरिवर्तनीय धर्म का लेखा (१२), छवियों की स्थापना (देवता) (१३), शिवलिंग का अभिषेक और अवधूत के चार वर्गों का विवरण (१४)।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- महानिर्वाणतन्त्रम् , प्रथम भाग (हिन्दी अनुवाद सहित, अनुवादक - पण्डित बलदेवप्रसाद मिश्र)
- महानिर्वाणतन्त्रम् (पूर्वार्ध १४ समुल्लास ; संस्कृत विकिस्रोत)
- MAHANIRVANA TANTRA
- Mahanirvana TantraTantra (Arthur Avalon द्वारा अंग्रेजी में अनूदित)
- महानिर्वाणतन्त्र (रूसी भाषा में अर्थ सहित)
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ The Great Liberation Mahanirvana Tantra (Arthur Avalon)
- ↑ MAHANIRVANA TANTRA