मस्कोवाइट-लिथुआनियाई युद्ध
मस्कोवाइट-लिथुआनियाई युद्ध (जिसे रुसो-लिथुआनियाई युद्ध भी कहा जाता है) एक युद्धों की शृंखला थी, जो ग्रैंड डची ऑफ लिथुआनिया और ग्रैंड डची ऑफ मॉस्को के बीच लड़ी गई थी। लिथुआनिया को पोलैंड के राज्य से समर्थन प्राप्त था, जबकि मॉस्को बाद में अन्य रूसी राज्यों के साथ एकजुट होकर रूस के त्सार्डम में परिवर्तित हो गया। इन युद्धों का प्रमुख परिणाम यह था कि लिथुआनिया को पोलिश सहायता पर बढ़ती निर्भरता का सामना करना पड़ा, जिससे अंततः पोलिश-लिथुआनियाई कॉमनवेल्थ का निर्माण हुआ।[1]
इतिहास
[संपादित करें]15वीं सदी से पहले, ग्रैंड डची ऑफ लिथुआनिया ने पूर्वी यूरोप के विशाल भू-भागों को नियंत्रित किया था, जो कीव से लेकर मोज़ायस्क तक फैला हुआ था। यह क्षेत्र कीवियन रूस के पतन के बाद मंगोल आक्रमणों के प्रभाव में आया था। मस्कोवाइट-लिथुआनियाई युद्ध के दौरान, विशेष रूप से 16वीं सदी में, मस्कोवाइट साम्राज्य ने पश्चिम की ओर विस्तार किया और कई प्रिंसिपालिटीज़ पर कब्जा कर लिया।[2]
प्रारंभिक युद्ध
[संपादित करें]लिथुआनिया और मस्कोव के बीच संघर्ष की शुरुआत गेदिमिनस के शासनकाल में हुई थी। गेदिमिनस ने इर्पिन नदी की लड़ाई में रूथेनियाई प्रिंसों की गठजोड़ को हराया था और कीव, जो कीवियन रूस की पूर्व राजधानी थी, पर कब्जा कर लिया था। 14वीं सदी के मध्य तक लिथुआनिया का क्षेत्रीय विस्तार हुआ और उसने चेरनिहिव और सिवेरिया को भी अपने अधीन कर लिया था।[3]
अल्गिर्दास का अभियान
अल्गिर्दास, जो गेदिमिनस के उत्तराधिकारी थे, ने त्वर प्रिंसिपैलिटी से गठबंधन किया और मॉस्को पर तीन अभियानों का नेतृत्व किया। उनका उद्देश्य मॉस्को के ग्रैंड प्रिंस, दिमित्री इवानोविच की युवा अवस्था का लाभ उठाना था, लेकिन दिमित्री ने इन आक्रमणों को विफल कर दिया। 1370 में, अल्गिर्दास ने फिर से मॉस्को पर आक्रमण किया, लेकिन इस बार वह मॉस्को क्रेमलिन पर कब्जा करने में विफल रहे। इसके बाद अल्गिर्दास ने मॉस्को के आसपास के क्षेत्रों को नष्ट किया और बहुत सारे मॉस्कोवाइट नागरिकों को पकड़ लिया। 1372 में, अल्गिर्दास ने एक और आक्रमण किया, लेकिन इस बार मस्कोवाइट सैनिकों ने उन्हें पराजित कर दिया और युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए।
युद्ध का परिणाम और प्रभाव
मस्कोवाइट-लिथुआनियाई युद्धों ने न केवल दोनों राज्यों के रिश्तों को प्रभावित किया बल्कि यूरोपीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाला। युद्धों के परिणामस्वरूप लिथुआनिया को पोलैंड से बढ़ती सहायता की आवश्यकता महसूस हुई, जो अंततः पोलिश-लिथुआनियाई कॉमनवेल्थ के गठन में परिणत हुआ। इसके अलावा, मस्कोवाइट साम्राज्य ने पश्चिम की ओर अपना विस्तार किया, जो बाद में रूस के साम्राज्य के रूप में प्रकट हुआ।
निष्कर्ष
[संपादित करें]मस्कोवाइट-लिथुआनियाई युद्ध एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी, जिसने पूर्वी यूरोप के राजनीतिक परिदृश्य को आकार दिया। इन युद्धों ने लिथुआनिया, पोलैंड और रूस के बीच के रिश्तों को परिभाषित किया और बाद में यूरोपीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Muscovite–Lithuanian Wars". Military Wiki (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-30.
- ↑ "The Muscovite-Lithuanian Wars: The History of the Russian Conflicts against the Kingdom of Poland and the Grand Duchy of Lithuania - Hljóðbók - Charles River Editors - ISBN 9781662245497 - Storytel". www.storytel.com (आइसलैंडिक में). अभिगमन तिथि 2025-01-30.
- ↑ Shirogorov, Vladimir (2021-06-10). War on the Eve of Nations: Conflicts and Militaries in Eastern Europe, 1450–1500 (अंग्रेज़ी में). Rowman & Littlefield. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-7936-2241-9.