मध्य-महासागर पर्वतमाला

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एक मध्य-महासागर पर्वतमाला, जिसमें एक काला धुआँदान भी प्रदर्शित है
एक मध्य-महासागर पर्वतमाला क्षेत्र में भूप्रावार (मैन्टल) से उगलता हुआ मैग्मा जो ठोस होकर और समुद्री जल द्वारा रासायनिक बदलावों के बाद महासागरीय भूपर्पटी बनता है

मध्य-महासागर पर्वतमाला (mid-ocean ridge) किसी महासागर के जल के अंदर प्लेट विवर्तनिकी द्वारा बनी एक पर्वतमाला होती है। सामान्यतः इसमें कई पहाड़ शृंखलाओं में आयोजित होते हैं और इनके बीच में एक लम्बी रिफ़्ट नामक घाटी चलती है। इस रिफ़्ट के नीचे दो भौगोलिक तख़्तों की संमिलन सीमा होती है जहाँ दबाव और रगड़ के कारण भूप्रावार (मैन्टल) से पिघला हुआ मैग्मा उगलकर लावा के रूप में ऊपर आता है और नया सागर का फ़र्श बनाता है - इसे प्रक्रिया को सागर नितल प्रसार (seafloor spreading) कहते हैं।[1]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Marjorie Wilson (1993). Igneous petrogenesis. London: Chapman & Hall. ISBN 978-0-412-53310-5.