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मध्यकर्णशोथ

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
Otitis media
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
A view of the tympanic membrane showing acute otitis media
आईसीडी-१० H65.-H67.
आईसीडी- 381-382
रोग डाटाबेस 29620 serous,
9406 suppurative
मेडलाइन+ 000638 acute, 007010 with effusion, 000619 chronic
ई-मेडिसिन emerg/351 
ent/426 complications, ent/209 with effusion, ent/212 Medical treat., ent/211 Surgical treat. ped/1689
एमईएसएच D010033

मध्यकर्णशोथ (लैटिन), कान के मध्य में होने वाली सूजन या मध्य कान के संक्रमण को कहते हैं।

यह समस्या यूस्टेचियन ट्यूब नामक नलिका के साथ-साथ कर्णपटही झिल्ली और भीतरी कान के बीच के हिस्से में होती है। यह कान में होने वाली दो प्रकार की सूजनों में से एक है, जिसे आम भाषा में कान के दर्द के नाम से जाना जाता है; कान में होने वाली दूसरी सूजन बाह्यकर्णशोथ है। वैसे कान के संक्रमण के अलावा किसी दूसरी बीमारी की वजह से भी कान में दर्द हो सकता है, जैसे कोई भी कैंसर संरचना जिसका संबंध कान तक पहुंचने वाली किसी तंत्रिका से हो और एक ऐसी दाद जो कि हर्प्स जॉस्टर ओटिकस (herpes zoster oticus) में तब्दील हो सकती है। काफी दर्द होने के बावजूद मध्यकर्णशोथ ज्यादा खतरनाक नहीं है और आमतौर पर दो से छह सप्ताह में खुद ही ठीक हो जाता है।

वर्गीकरण

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मध्यकर्णशोथ की गंभीरता के कई स्तर हैं, प्रत्येक का वर्णन करने के लिए विभिन्न नामों का इस्तेमाल किया जाता है। कभी-कभार ये शब्दावली काफी भ्रामक होती है क्योंकि एक ही अवस्था के वर्णन के लिए कई शब्दों का प्रयोग किया जाता है। कान के संक्रमण को लेकर एक जो सबसे बड़ी गलतफहमी है वह यह है कि मरीज को लगता है कि इसके लक्षण कान में हो रही खुजली की वजह से है। हालांकि मरीज को इससे परेशानी होती है, लेकिन कान में खुजली कान में संक्रमण का लक्षण नहीं है।

गंभीर मध्यकर्णशोथ (एओएम (AOM)) और इसके साथ होने वाला विषाणुजनित यूआरआई (ऊपरी श्वासनली संक्रमण) अक्सर मूलरूप से विषाणुजनित और स्व-सीमित होते हैं। कानों का संकुलन और शायद हल्की असुविधा तथा चटचटाहट भी होती है, लेकिन ये लक्षण अंतर्निहित यूआरआई के साथ समाप्त हो जाते हैं। आमतौर पर जीवाणुहीन रहने वाला मध्य कान अगर जीवाणु से संक्रमित हो जाए, तो इससे मध्य कान में पस और दबाव बनने लगता है और इसे ही गंभीर जीवाण्विक मध्यकर्णशोथ कहा जाता है। विषाणुजनित गंभीर मध्यकर्णशोथ बहुत थोड़े से समय में ही जीवाण्विक मध्यकर्णशोथ में तब्दील हो सकता है, खासकर बच्चों में, लेकिन आमतौर पर ऐसा होता नहीं है। जीवाण्विक मध्यकर्णशोथ से पीड़ित व्यक्ति को पारंपरिक "कान का दर्द" होता है, यह ऐसा दर्द होता है जो काफी तीव्र और लगातार होता है और अक्सर इससे व्यक्ति को 102 °F (39 °C) [प्रशस्ति पत्र की जरूरत] या उससे अधिक का बुखार भी हो जाता है। जिवाण्विक मामलों की वजह से कान के परदे में छेद, मास्टॉयड स्पेस (मस्टॉयडिटिस (mastoiditis)) का संक्रमण और बहुत कम मामलों में ये इतना फैल सकता है जिससे कि मस्तिष्क ज्वर हो जाए.

पहला चरण – सूजन वाला स्राव जो 1-2 दिनों तक रहता है, बुखार, कठिनाई, मेनिंजिज्म (meningism) (कभी-कभार बच्चों में), तीव्र दर्द (रात में बहुत ज्यादा), कान में आवाजें, बहरापन, संवेदनशील मास्टॉयड प्रॉसेस, कान में घंटी बजना (टिन्निटस)

दूसरा चरण – प्रतिरोध और सीमांकन 3-8 दिन तक रहते हैं। पस और मध्य कान से स्राव खुद-ब-खुद लगातार होता रहता है और उसके बाद दर्द और बुखार का घटना शुरू हो जाता है। उचित उपचार द्वारा इस चरण को घटाया जा सकता है।

तीसरा चरण – इलाज से ठीक होने का चरण 2-4 सप्ताह का होता है। कान से बहाव सूखने लगता है और सुनने की क्षमता भी सामान्य हो जाती है।

बहाव के साथ मध्यकर्णशोथ (ओएमई (OME)) जिसे तरल या बहने वाले मध्यकर्णशोथ (एओएम (SOM)) भी कहा जाता है, यह सामान्य तौर पर स्राव का एक संग्रह है जो यूस्टेचियन ट्यूब क्रिया (Eustachian tube function) में गड़बड़ी होने से बनने वाले नकारात्मक दबाव से मध्यकान में होता है। यह मुख्य तौर पर विषाणुजनित यूआरआई से होता है, जिसमें कोई दर्द या जीवाण्विक संक्रमण नहीं होता है, या फिर यह गंभीर जीवाण्विक मध्यकर्णशोथ से पहले या बाद में हो सकता है। कभी-कभार मध्य कर्ण में तरल पदार्थ की वजह से धीरे-धीरे बहरेपन की समस्या हो सकती है, लेकिन यह तब होता है जब कान के परदे के सामान्य कंपन में आवाज की तरंगें बाधा डालती है। कुछ सप्ताहों या महीनों में मध्य कर्ण का यह तरल पदार्थ काफी घने और चिपचिपे पदार्थ की तरह हो जाता है (इसलिए इसे ग्लू ईयर का नाम दिया गया है), यह धीरे-धीरे बहरेपन की वजह भी बन सकता है। बचपन में ओएमई (OME) से पीड़ित होने की वजह लेट कर खाना खाने और बहुत कम उम्र में समूह में बच्चे की देखभाल किया जाना है, जबकि माता-पिता की धूम्रपान की लत, बच्चे को कम अवधि के लिए स्तनपान कराना और बचपन में देखभाल के लिए ज्यादातर समय समूह में बीतने पर जीवन के पहले दो साल में ओएमई (OME) से पीड़ित होने की आशंका बढ़ जाती है।[1]

पुराना मवाद

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पुराना मवाद मध्यकर्णशोथ की वजह से मध्य कर्ण क्षेत्र में कुछ सप्ताहों या उससे ज्यादा वक्त में कान की झिल्ली में एक छिद्र और सक्रिय जीवाण्विक संक्रमण हो जाता है। इसकी वजह से इतना ज्यादा पस हो सकता है कि वह कान के बाहर बहने लगता है (ओटोरेया), या फिर मवाद इतना कम हो सकता है कि जिसे जांच के दौरान सिर्फ दूरबीन माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। यह बीमारी उन लोगों में ज्यादा देखी जाती है जिनकी यूस्टेचियन ट्यूब क्रिया (Eustachian tube function) कमजोर होती है। इस बीमारी की वजह से अक्सर बहरेपन की समस्या हो सकती है। kai bar

चिन्ह और लक्षण

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जब मध्य कान में गंभीर संक्रमण हो जाता है तो कान के परदे (टिमपैनिक झिल्ली) के पीछे दबाव बनने लगता है, जिससे अक्सर तीव्र दर्द होता है। इससे बुलॉस माइरिंगिटिस (bullous myringitis) हो सकता है जिसमें कान की झिल्ली में सूजन और फफोला हो जाता है।[2]

गंभीर या बिना इलाज किए हुए मामलों में कान की झिल्ली फट भी सकती है, जिससे मध्य कान में मौजूद पस कान की नलिका में बहने लगता है। अगर पस बहुत ज्यादा हो तो बहाव दिखने भी लग सकता है। हालांकि कान की झिल्ली के फटने से काफी दर्द होता है, लेकिन अक्सर ऐसा होने से दबाव और दर्द से काफी राहत मिलती है। एक स्वस्थ व्यक्ति में गंभीर मध्यकर्णशोथ होने पर इसकी संभावना ज्यादा रहती है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता खुद ही संक्रमण को ठीक कर ले और इससे कान के परदे का करीब-करीब उपचार हो जाता है। एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कान के परदे के छिद्र को रोककर कान को जल्द ठीक कर सकता है।

हालांकि संक्रमण और कान के परदे के छिद्र के ठीक होने की बजाए, मध्य कान से बहाव गंभीर अवस्था में तब्दील हो सकता है। जब तक मध्य कान में संक्रमण रहेगा, तब तक कान के परदे का इलाज पूरा नहीं हो सकता. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पुरानी सुप्यूरेटिव (suppurative) मध्यकर्णशोथ (सीएसओएम (CSOM)) की जो परिभाषा दी है उसके मुताबिक "यह कान की बीमारी का एक ऐसा स्तर है जिसमें मध्य कान की दरार में गंभीर संक्रमण हो, जहां अस्थिर कान की झिल्ली (कान के परदे का छिद्र) और बहाव (ओटोरेया), ऐसी स्थिति जो कम से कम दो सप्ताह से बनी हुई हो" (डब्ल्यूएचओ 1998). (नोट डब्ल्यूएचओ (व्हो) ने सीरमी शब्द का इस्तेमाल जीवाण्विक प्रक्रिया को संबोधित करने के लिए किया है, जबकि इसी शब्द का इस्तेमाल अमेरिका में कान के विशेषज्ञ आमतौर पर सुरक्षित कान के परदे के पीछे मध्य कान में तरल पदार्थ के जमा होने की स्थिति को बताने के लिए करते हैं। दीर्घकालिक मध्यकर्णशोथ वो शब्द है जिसका दुनिया भर के ज्यादातर डॉक्टर कान के परदे में छिद्र के साथ मध्य कान में गंभीर संक्रमण के वर्णन के लिए करते हैं।)[उद्धरण चाहिए]

ज्यादातर मामलों में मध्यकर्णशोथ विषाणुजनित, जीवाण्विक, अथवा कवकीय रोगाणुओं से संक्रमण होने की वजह से होता है। सबसे सामान्य जीवाण्विक रोगाणु स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया (Streptococcus pneumoniae) है।[3] अन्य रोगाणुओं में स्यूडोमोनस एरूगिनोसा (Pseudomonas aeruginosa), नॉनटाइपेबल हीमोफिलस इंफ्लूएंजा (Haemophilus influenzae) और मोराएक्सेला कैटारेलिस (Moraxella catarrhalis) शामिल हैं। किशोरों और युवा वयस्कों में कान में संक्रमण की सबसे सामान्य वजह हीमोफिलस इंफ्लूएंजा (Haemophilus influenzae) है। ऊपरी श्वसन ग्रंथि के एपिथेलियल कोशिकाओं की सुरक्षा को भेद कर रेस्पिरेटरी सिंसिशियल विषाणु (RSV) और आम सर्दी के लिए जिम्मेदार विषाणु भी मध्यकर्णशोथ की वजह हो सकते हैं।

मध्यकर्णशोथ होने पर सबसे बड़ा खतरा यूस्टेचियन ट्यूब में दोष का रहता है जिससे मध्य कान से जीवाणु का निकलना अप्रभावी हो जाता है।

बच्चों को नियमित रूप से दिया जाने वाला एंटी-एच इंफ्लूएंजा टीका का काम मस्तिष्क ज्वर और न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से रक्षा करना है। यह टीका सिर्फ सेरोटाइप बी के नुकसान के प्रति ही सक्रिय होता है, जो पांच साल तक के बच्चों में मस्तिष्क ज्वर और न्यूमोनिया की वजह होते हैं, इससे 4 और 18 महीने के बीच के बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा रहता है।[4] बहुत कम मामलों में ही सेरोटाइप बी के आयसोलेट्स की वजह से मध्यकर्णशोथ हो सकती है।

इस बीमारी की प्रवणता पैतृक है, हालांकि फिलहाल विशेष पैतृक पहचान की जांच चल रही है। कैसेलब्रांट एट आल (Casselbrant et al) ने 2009 में पाया कि सर्वश्रेष्ठ-समर्थित संबंधित क्षेत्रों में ऐसे जीन्स हो सकते हैं जो बारबार/लगातार ओएम के खतरे को प्रभावित करते हैं। 17q12 में विश्वसनीय उम्मीदवारों में AP2B1, CCL5 और CCL जीन्स के दूसरे समूह और 10q22.3, SFTPA2 शामिल हैं।"[5]

आमतौर पर सर्दी के बाद गंभीर मध्यकर्णशोथ की समस्या हो सकती है: नाक में कुछ दिनों की परेशानी के बाद कान भी उसमें शामिल हो जाता है और उससे बहुत दर्द हो सकता है। दर्द एक या दो दिन में कम हो सकता है, लेकिन ये एक सप्ताह तक भी बना रह सकता है। कई बार कान का परदा फट जाता है, जिससे पस कान के बाहर बहने लगता है, लेकिन फटा हुआ कान का परदा जल्दी ठीक भी हो सकता है।

एक शारीरिक संरचना के स्तर पर विशिष्ट गंभीर मध्यकर्णशोथ की प्रगति निम्न प्रकार से होती है: ऊपरी श्वसन संक्रमण, एलर्जी या नलिकाओं में दोष की वजह से यूस्टेचियन ट्यूब (Eustachian tube) के चारों ओर मौजूद ऊतक में सूजन आ जाती है। यूस्टेचियन ट्यूब ज्यादातर समय अवरुद्ध रहता है। मध्य कान में मौजूद हवा धीरे-धीरे चारों ओर मौजूद ऊतकों द्वारा समाहित कर लिया जाता है। एक ताकतवर नकारात्मक दबाव की वजह से मध्य कान में निर्वात या वैक्यूम पैदा होता है और जो आखिरकार एक ऐसे स्तर पर पहुंच जाता है जहां से चारों ओर के ऊतकों के तरल पदार्थ मध्य कान तक पहुंच जाता है। इसे टाइप ए टिंपैनोग्राम से टाइप सी या टाइप बी टिमपैनोग्राम की ओर प्रगति के तौर पर देखा जाता है। इस तरल पदार्थ में संक्रमण भी हो सकता है। ऐसा पाया गया है कि जब परिस्थितियां अनुकूल हों तो कान की झिल्ली (कान का परदा) के पीछे मौजूद निष्क्रिय जीवाणु की संख्या बढ़ने लगती है, जिससे मध्य कान में मौजूद तरल पदार्थ में संक्रमण हो जाता है।

छोटे यूस्टेचियन ट्यूब्स (eustachian tubes) जो कि वयस्कों के कान की तुलना में अधिक क्षैतिज होते हैं जिसकी वजह से सात साल से छोटे बच्चों में मध्यकर्णशोथ की आशंका ज्यादा रहती है। उनमें विषाणु और जीवाणु से मुकाबला करने की प्रतिरोधक क्षमता भी वयस्कों की तुलना में कम विकसित हो पाती है। बड़ी संख्या में अध्ययनों में बच्चों में होने वाली इस समस्या के लिए विभिन्न कारकों, जैसे शिशु अवस्था में देखभाल, सोए हुई अवस्था में बोतल से दूध पिलाना, माता-पिता का धूम्रपान करना, खान-पान, एलर्जी और गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से जुड़ा बताया है; लेकिन इन अध्ययनों की सबसे ज्यादा दिखने वाली कमजोरी यह है कि इन अध्ययनों के दौरान विषाणुजनित कारकों के बदलते संपर्क पर नियंत्रण नहीं किया जा सका है।[उद्धरण चाहिए] शिशुओं को जन्म के बाद पहले 12 महीने तक स्तनपान कराना सभी प्रकार के ओएम संक्रमण की संख्या और अवधि में कमी से जुड़ा है।[6]

एओएम के बार-बार घटित होने के लिए बचपन में चुसनी का इस्तेमाल जिम्मेदार हो सकता है।[7]

रोग-निदान

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गंभीर मध्यकर्णशोथ का निदान आमतौर पर पर्याप्त रोग-विषयक इतिहास के साथ-साथ कान की झिल्ली को देखने से होता है। एक नेत्री कर्णदर्शी और शायद एक टिमपैनोमीटर के इस्तेमाल से भी जीवाण्विक और विषाणुजनित एटियोलॉजी (etiology) में अंतर का पता लगाना मुश्किल हो सकता है, खासकर तब जब नलिका छोटी हो और कान में मैल मौजूद हो जिससे कान के परदे को स्पष्ट तौर पर देखने में दिक्कत हो। बच्चे के रोने वजह से भी छोटी रक्त नलिकाएं फूल जाती हैं जिससे कान के परदे में सूजन हो सकती है, जो मध्यकर्णशोथ की तरह लाल दिखने लगता है।

बिना कान के परदे की जांच के बीमारी के होने, उसकी अवधि, अथवा लक्षणों की गंभीरता से कान के संक्रमण की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है।[8]

न्यूमोकोकल संयुग्म टीका जब शिशुवास्था में दिया जाता है तो गंभीर मध्यकर्णशोथ से पीड़ित होने की संभावना को 6-7% तक कम कर देता है और अगर इसे व्यापक तौर पर लागू किया जाता है तो सार्वजनिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण फायदा हो सकता है।[9] तथ्य बताते हैं कि ओटिटिस (otitis) की दर को कम करने के लिए जस्ता परिपूरक कारगर उपाय नहीं है, हां मैरसमस (marasmus) जैसी गंभीर कुपोषण की अवस्था से पीड़ितों में इससे कुछ फायदा हो सकता है।[10] लंबे समय तक एंटिबायोटिक्स से इलाज के दौरान संक्रमण दर तो कम हो जाता है, लेकिन लंबे समय में इसकी वजह से सुनने की क्षमता कम होने लगती है।[11]

रोगसूचक/लक्षणात्मक राहत

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मध्यकर्णशोथ की वजह से होने वाले दर्द के इलाज में मौखिक और सामयिक दर्दनिवारक दवाएं प्रभावी हैं। मौखिक कारकों में आईबूप्रोफेन (ibuprofen), एसेंटामिनोफेन (acetaminophen) और नार्कोटिक्स (narcotics) शामिल हैं। जो सामयिक कारक प्रभावी हुए हैं उनमें एंटीपाइरिन (antipyrine) और बेनेजोकाइन ईयर ड्रॉप्स (benzocaine ear drops) शामिल हैं।[12] चाहे नाक के माध्यम से हो या मौखिक, फायदा नहीं होने और पार्श्व प्रभावों की चिंता की वजह से डीकंजेस्टेंट्स और एंटीहिस्टेमाइन्स के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जाती है।[13]

एंटीबायोटिक्स

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गंभीर मध्यकर्णशोथ में एंटीबायोटिक्स शुरू करने को एक से तीन दिन तक टाल सकते हैं अगर ऊपर बताए गए उपायों से दर्द बर्दाश्त करने की स्थिति में हो तो इस तरह की सिफारिश की जाती है: तीन में से दो बच्चों में गंभीर मध्यकर्णशोथ बिना एंटीबायोटिक इलाज के ही ठीक हो जाता है[14][15], इलाज रोक देने पर लंबे समय में कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पाया गया है[16][17], एंटीबायोटिक्स में पार्श्व प्रभावों की काफी संभावना रहती है और हाल ही में एक परीक्षण में पाया गया है कि कि जिन बच्चों का इलाज एमोक्सिसिलिन (amoxicillin) से किया गया है, उनमें दोबारा से कर्णशोथ से पीड़ित होने की दर बढ़ जाती है।[18]

अगर जरूरी हुआ तो एंटीबायोटिक इलाज का सबसे पहला तरीका एमोक्सिसिलिन ही है। अगर कोई प्रतिरोध है, तो दूसरी लाइन के तहत एमोक्सिसिलिन-क्लाव्यूलेनेट (amoxicillin-clavulanate) अथवा पेनिसिलिन से व्यूत्पादित और बीटा लैक्टामेज इनहिबिटर (beta lactamase inhibitor) दिया जा सकता है। सात दिन से कम एंटीबायोटिक्स के सेवन करने से जहां पार्श्व प्रभावों की कम संभावना रहती है, वहीं सात दिनों से ज्यादा का सेवन ज्यादा प्रभावी होता है।[19]

टिमपैनोस्टॉमी नलिका (Tympanostomy tube)

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बहाव वाले दीर्घकालिक मामलों में कान के परदे में टिमपैनोस्टोमी ट्यूब ("ग्रॉमेट" भी कहा जाता है) लगाने से छह महीने में इसकी पुनरावृत्ति की संभावना को कम कर देता है[20] लेकिन लंबे समय तक सुनने की क्षमता पर इसका काफी कम प्रभाव होता है।[21] यही वजह है कि नलिका लगाने के लिए उन्हीं को कहा जाता है जो छह महीने में बहाव के साथ गंभीर मध्यकर्णशोथ से तीन बार पीड़ित हो चुके हों या साल भर में चार बार इसे झेल चुके हों.[22]

वैकल्पिक चिकित्सा

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बहाव के साथ अगर मध्यकर्णशोथ हो तो पूरक या वैकल्पिक दवा की सिफारिश नहीं की जाती है क्योंकि अब तक इस तरह के इलाज से फायदा होने का कोई सबूत नहीं मिला है।[23] कान में बहाव को घर में ही ठीक करने के लिए गैलब्रेथ (Galbreath) तकनीक भी कहे जाने वाली ओस्टेओपैथिक दक्ष प्रयोग तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है; इसका वर्णन 2000 के एक लेख में किया गया है।[24] यह तकनीक एक चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान सामने आई थी; एक समीक्षक ने इसे कारगर भी बताया बताया था, लेकिन 2010 में एक रिपोर्ट में पाया गया कि यह अधूरी है।[25]

रोग का पूर्वानुमान

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गंभीर जीवाण्विक मध्यकर्णशोथ में इस तरह का दर्द होता है कि बच्चे और माता-पिता सभी की रातों की नींद हराम हो सकती है, कान के परदे से बहाव शुरू हो सकता है, कई बार ये ठीक भी नहीं होता है और मास्टॉयडिटिस और/अथवा मस्तिष्क ज्वर, मस्तिष्क विद्रधि हो सकती है और अगर गंभीर संक्रमण का लंबे समय तक इलाज नहीं किया गया तो मौत भी हो सकती है। सही-सही एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने से इस तरह की ज्यादातर जटिलताओं को रोका जा सकता है। इससे तेज बुखार हो सकता है और साथ ही बुखार के दौरे भी पड़ सकते हैं।[उद्धरण चाहिए]

महामारी-विज्ञान

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2004 में प्रति 100000 निवासियों पर मध्यकर्णशोथ के लिए विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष.[54][55][56][57][58][59][60][61][62][63][64][65][66]

बच्चों में मध्यकर्णशोथ बहुत आम बात है, जहां औसतन हर बच्चे को साल में दो से तीन बार इस समस्या का सामना करना पड़ता है। यह लगभग हमेशा विषाणुजनित ऊपर श्वसन संक्रमण (यूआरआई (URI)), अधिकतर सामान्यतः सर्दी के साथ होती है। आम सर्दी के लिए जिम्मेदार राइनोवायरस (नाक का वायरस) नाक के पीछे से मध्य कान तक जाने वाले यूस्टेचियन ट्यूब को संक्रमित कर देता है, जिसके कारण सूजन और दबाव प्रभावित होते हैं; जो कि ट्यूब की सामान्य क्रियाओं में से एक है। इसका अन्य मुख्य कार्य खोपड़ी के दोनों ओर के ऊतकों के पीछे से तरल पदार्थ के बहाव को ले जाना है। यहां यह बात याद रखने की है कि यूस्टेचियन ट्यूब की चौड़ाई इसकी पूरी लंबाई तक सिर्फ तीन से चार बाल के बराबर है। बच्चों में विकास की शुरुआती अवधि में इसके संरचनात्मक और शारीरिक बनावट में बदलाव होते रहते हैं। नवजात शिशु में यह नलिका क्षैतिज होती है जिससे इसके स्वाभाविक निकास में कठिनाई होती है, ट्यूब की सतह सौ फीसदी उपास्थि (कार्टिलेज) होती है, जो लसिका ऊतक की परत के साथ है और जो नाक के पीछे एडेनॉयडल ऊतक का एक विस्तार है। जैसे-जैसे शुरुआती साल निकलते जाते हैं, नलिका का ऊपरी हिस्सा हड्डी में तब्दील होता जाता है, लेकिन नीचे का हिस्सा जस का तस रहता है। नलिका का कोण बदलता रहता है और ये तकरीबन 45 डिग्री तक झुक जाता है जिससे तरल पदार्थ का बहाव नीचे की ओर हो जाता है। यहां ये बात ध्यान देने की है कि जिन लोगों में डाउंस सिंड्रोम (Downs Syndrome) है, शारीरिक संरचना में उनकी नलिका में ज्यादा गंभीर मोड़ होते हैं, यही वजह है कि डाउंस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में दूसरे बच्चों के मुकाबले ग्रॉमेट (grommet) ऑपरेशन ज्यादा होते हैं। आमतौर पर, यूस्टेचियन ट्यूब क्रिया से जितना ज्यादा गंभीर और लंबा समझौता करेंगे, मध्य कान और उसकी नाजुक संरचना को उतने ही गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. अगर कोई इंसान कमजोर यूस्टेचियन ट्यूब क्रिया के साथ पैदा हुआ हो तो उसके मध्यकर्णशोथ के गंभीर दौरों से पीड़ित होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। अक्सर मध्य कान की बीमारी के पारिवारिक इतिहास वाले इस समूह के लोगों में दीर्घकालिक मध्यकर्णशोथ का होना काफी आम है।[उद्धरण चाहिए]

सन्दर्भ

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