मधुसूदन गुप्त

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मधुसूदन गुप्त

पण्डित मधुसूदन गुप्त, एससी बेल्नोज द्वारा तैलचित्रण
जन्म1800
बैद्यबटी, हुगली, बंगाल
मृत्यु15 नवम्बर् 1856 (56 वर्ष की आयु में)
कोलकाता
संस्थाएंकोलकाता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल
वैशिष्ट्य
शोधयौवनारंभ (puberty)
प्रसिद्धिआधुनिक भारत में पहला मानव शरीर विच्छेदन
शिक्षासंस्कृत कॉलेज और विश्वविद्यालय

पंडित मधुसूदन गुप्त ( बांग्ला: মধুসূদন গুপ্ত ) (१८०० – १५ नवंबर १८५६ ) बंगाल के एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, जो पश्चिमी चिकित्सा में भी प्रशिक्षित थे। उन्होने ही आधुनिक काल में सन १८३६ में भारत में पहला मानव विच्छेदन किया था (कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में)। वे एक अनुवादक भी थे।

उनका जन्म एक तेली वैद्य परिवार में हुआ था। उन्होंने संस्कृत कॉलेज में आयुर्वेद का अध्ययन किया और अध्यापक बन गए। यहाँ, उन्होंने कई अंग्रेजी ग्रंथों का संस्कृत में अनुवाद किया, जिसमें हूपर की एनाटोमिस्ट्स वेद-मेकम (Anatomists’ Ved-mecum) भी शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने शरीररचना एवं चिकित्साविज्ञान के लेक्चर सुना और इस प्रकार आधुनिक नैदानिक-शारीरिक चिकित्सा से सुपरिचित हो गए।

1835 में, उन्हें नए सीएमसी में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां वे व्यावहारिक शरीर रचना विज्ञान के लिए भारतीय समर्थन इकट्ठा करने और मृतकों को छूने आदि की हिंदू वर्जनाओं को तोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया। इसी क्रम में उन्होने प्रोफेसर हेनरी के मार्गदर्शन में १८३६ में भारत का पहला मानव विच्छेदन किया।

एक प्रैक्टिशनर के रूप में वह सफल रहे तथा उन्हें अपने भारतीय समकालीनों के साथ-साथ अपने यूरोपीय सहयोगियों का भी सम्मान मिला।

1856 में 56 वर्ष की आयु में मधुमेहज सेप्टिसीमिया से उनका निधन हो गया।

प्रमुख प्रकाशन[संपादित करें]

  • बंगाली में 'एनाटॉमी अर्थात् शरीर विद्या'
  • बंगाली में लंदन फार्माकोपिया का अनुवाद किया।
  • अनटोमिस्ट वाडे मैकुम का संस्कृत में अनुवाद किया।
  • चिकिस्ता संग्रह[1]
  • सुश्रुत संहिता का पहला मुद्रित संस्करण (2 खंड, कलकत्ता 1835, 1836 )

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Julius Theodor Zenker (1846). Bibliotheca orientalis. G. Engelmann. पृ॰ 348.

अग्रिम पठन[संपादित करें]