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मदरसा सौलतिया

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मदरसा सौलतिया (अंग्रेज़ी:Madrasah as-Sawlatiyah, मक्का , सऊदी अरब में एक इस्लामिक स्कूल है। इसकी स्थापना 1873 में भारतीय रहमतुल्लाह कैरानवी ने की थी।

विश्व प्रसिद्ध मदरसा की प्रमुख योगदानकर्ता कलकत्ता की एक महिला थीं, जिन्हें सौलत-अन-निसा के नाम से जाना जाता है। जिसके नाम पर मदरसा का नाम रखा गया है। देवबंदी स्कूल ऑफ लॉ से जुड़ा हुआ है और दुनिया भर में प्रसिद्ध पूर्व छात्र हैं।[1]

मदरसा के संस्थापक रामतुल्ला कैरानावी द्वारा लिखित बुक "इज़हार उल-हक़", ईसाई धर्म पर बहस में अहमद दीदात की सक्रिय रुचि के पीछे मुख्य कारण था।

प्रसिद्ध स्रोतों में से मदरसा की स्थापना प्रख्यात शेख हाजी इमदादुल्लाह मुहाजिर मक्की ने की थी और दान उक्त माननीय महिला द्वारा दिया गया था। बंगाल के मुहम्मद इशाक की पूर्व छात्रा थीं। [2]

समाचरपत्र में उल्लेख

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जागरण :

"भारत में 2015 में सऊदी अरब के राजदूत डॉ. सऊद बिन मुहम्मद अल-सती ने एएमयू के पॉलिटेक्निक सभागार में विद्यार्थियों से रूबरू विद्यार्थियों को बताया की सऊदी अरब में पारंपरिक शिक्षा की नींव भारतीय महिला सौलत-उन-निशां ने मक्का में रखी थी। यह बात 1857 की है, जब भारतीय क्रांतिकारी रहमतुल्लाह कैरानवी सऊदी दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने बच्चों को पढ़ाया भी था। आज यह संस्था मदरसा सौलतिया के नाम से जानी जाती है।" [3]

इन्हें भी देखें

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कैराना

रहमतुल्लाह कैरानवी

इमदादुल्लाह मुहाजिर मक्की

सन्दर्भ

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  1. "HIS HOLYNESS THE GREAT Maulana Mohammad Rahmatullah Kairanvi & Madrasa Saulatiya,Mecca". मूल से से 14 सितंबर 2020 को पुरालेखित।. {{cite web}}: no-break space character in |title= at position 61 (help)
  2. मदरसा सौलतिया,पृष्ठ 40, पुस्तक: मौलाना रहमतुल्लाह कैरानवी,लेखक मुहम्मद सलीम https://archive.org/details/Molana-Rehmatullah-Kairanvi-Intro-Short-Book-Hindil
  3. भारत का चौथा ट्रेड पार्टनर बना सऊदी अरब https://web.archive.org/web/20200910101155/https://www.jagran.com/uttar-pradesh/aligarh-city-12005360.html