मकबूल फ़िदा हुसैन

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मकबूल फ़िदा हुसैन
Husain with Rammanohar (cropped).jpg
जन्म 17 सितंबर 1915[1][2][3]
पंढरपुर
मृत्यु 9 जून 2011[1][2][4]
लंदन
मृत्यु का कारण प्राकृतिक मृत्यु हृदयाघात
नागरिकता भारत, क़तर[5]
व्यवसाय चित्रकार,[6] फ़िल्म निर्देशक, राजनीतिज्ञ, कलाकार, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्माता, फोटोग्राफर
धार्मिक मान्यता इस्लाम
बच्चे शमशाद हुसैन
पुरस्कार पद्म भूषण, कला में पद्मश्री श्री, पद्म विभूषण

मक़बूल फ़िदा हुसैन (जन्म सितम्बर १७, १९१५, पंढरपुर), (मृत्यु जून 09, 2011, लंदन),एम एफ़ हुसैन के नाम से जाने जाने वाले भारतीय चित्रकार थे।

एक कलाकार के तौर पर उन्हे सबसे पहले १९४० के दशक में ख्याति मिली। १९५२ में उनकी पहली एकल प्रदर्शनी ज़्युरिक में हुई। इसके बाद उनकी कलाकृतियों की अनेक प्रदर्शनियां यूरोप और अमेरिका में हुईं।

१९६६ में भारत सरकार ने उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया। उसके एक साल बाद उन्होने अपनी पहली फ़िल्म बनायी: थ्रू द आइज़ ऑफ अ पेन्टर (चित्रकार की दृष्टि से)। यह फ़िल्म बर्लिन उत्सव में दिखायी गयी और उसे 'गोल्डेन बियर' से पुरस्कृत किया गया।

जीवन परिचय[संपादित करें]

हुसैन बहुत छोटे थे जब उनकी मां का देहांत हो गया। इसके बाद उनके पिता इंदौर चले गए जहाँ हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा हुई। बीस साल की उम्र में हुसैन बम्बई गये और उन्हे जे जे स्कूल ओफ़ आर्ट्स में दाखला मिल गया। शुरुआत में वे बहुत कम पैसो में सिनेमा के होर्डिन्ग बनाते थे। कम पैसे मिलने की वजह से वे दूसरे काम भी करते थे जैसे खिलोने की फ़ैक्टरी में जहाँ उन्हे अच्छे पैसे मिलते थे। पहली बार उनकी पैन्टिन्ग दिखाये जाने के बाद उन्हे बहुत प्रसिद्धी मिली। अपनी प्रारंभिक प्रदर्शनियों के बाद वे प्रसिद्धि के सोपान चढ़ते चले गए और विश्व के अत्यंत प्रतिभावान कलाकारों में उनकी गिनती होती थी।

एमएफ़ हुसैन को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर पहचान 1940 के दशक के आख़िर में मिली। वर्ष 1947 में वे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप में शामिल हुए। युवा पेंटर के रूप में एमएफ़ हुसैन बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट्स की राष्ट्रवादी परंपरा को तोड़कर कुछ नया करना चाहते थे। वर्ष 1952 में उनकी पेंटिग्स की प्रदर्शनी ज़्यूरिख में लगी। उसके बाद तो यूरोप और अमरीका में उनकी पेंटिग्स की ज़ोर-शोर से चर्चा शुरू हो गई। वर्ष 1966में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 1967 में उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म थ्रू द आइज़ ऑफ़ अ पेंटर बनाई। ये फ़िल्म बर्लिन फ़िल्म समारोह में दिखाई गई और फ़िल्म ने गोल्डन बेयर पुरस्कार जीता।

वर्ष 1971 में साओ पावलो समारोह में उन्हें पाबलो पिकासो के साथ विशेष निमंत्रण देकर बुलाया गया था। 1973 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया तो वर्ष 1986 में उन्हें राज्यसभा में मनोनीत किया गया। भारत सरकार ने वर्ष 1991 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 92 वर्ष की उम्र में उन्हें केरल सरकार ने राजा रवि वर्मा पुरस्कार दिया। क्रिस्टीज़ ऑक्शन में उनकी एक पेंटिंग 20 लाख अमरीकी डॉलर में बिकी। इसके साथ ही वे भारत के सबसे महंगे पेंटर बन गए थे। उनकी आत्मकथा पर एक फ़िल्म भी बन रही है।

देवी-देवताओं, भारतमाता की पेंटिंग पर विवाद[संपादित करें]

भारतीय देवी-देवताओं पर बनाई, इनकी विवादित पेंटिंग को लेकर भारत के कई हिस्सों में उग्र प्रदर्शन हुए। शिवसेना ने इसका सबसे अधिक विरोध किया।[7]आर्य समाज ने भी इसका कड़ा विरोध किया और आर्य समाज के एक कार्यकर्ता और हैदराबाद के हिन्दी दैनिक स्वतंत्र वार्ता के पत्रकार तेजपाल सिंह धामा [8][9][10][11] भारत माता की विवादित पेंटिंग बनाने पर एम एफ हुसैन से एक पत्रकार वार्ता के दौरान उलझ बैठे थे,[12] बाद में 2006 में हुसैन ने हिन्दुस्तान छोड़ दिया था।[13] और तभी से लंदन में रह रहे थे। हुसैन से उलझने वाले पत्रकार धामा को बाद में मुंबई में एक कार्यक्रम में शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे द्वारा इन्हें सन आफ आर्यवर्त कहकर संबोधित किया। 2010 में कतर ने हुसैन के सामने नागरिकता का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। 2008 में भारत माता पर बनाई पेंटिंग्स के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे पर न्यायाधीश की एक टिप्पणी "एक पेंटर को इस उम्र में घर में ही रहना चाहिए" जिससे उन्हें गहरा सदमा लगा और उन्होंने इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी की। हालांकि इसे अस्वीकार कर दिया गया था।

निधन[संपादित करें]

9 जून 2011 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।।[14][15] उनका निधन लंदन के रॉयल ब्राम्पटन अस्पताल में हुआ, जहां वह 2006 से लंदन में ही रह रहे थे। जीवन के अंतिम दिनों में वे विभिन्न रोगों से ग्रसित हो गए थे।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. German National Library; Berlin State Library; Bavarian State Library; Austrian National Library, एकीकृत प्राधिकरण फ़ाइल, अभिगमन तिथि 3 मई 2014Wikidata Q36578 सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "wikidata-45a6304d9659611674c59fb521d89649baefa5ea-v3" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  2. http://data.bnf.fr/ark:/12148/cb14969698w; प्राप्त करने की तिथि: 10 अक्टूबर 2015.
  3. "Maqbool Fida Husain".
  4. "Maqbool Fida Husain".
  5. "India's loss is Qatar's artistic gain" (अंग्रेज़ी भाषा में). 11 मार्च 2010.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  6. Union List of Artist Names, 25 जुलाई 2016, 500122637, अभिगमन तिथि 14 मई 2019Wikidata Q2494649
  7. "शिवसेना द्वारा पेंटिंग का विरोध". amarujala. अमर उजाला. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2013.
  8. "जब पत्रकार के निशाने पर आए मकबूल फिदा हुसैन". samachar4media. समाचार 4 मीडिया. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2018.
  9. "हुसैन से उलझनेवाला पत्रकार निकला आर्य समाजी". shabd.in. shabd.in. अभिगमन तिथि 25 सितंबर 2015.
  10. "पत्रकार जब हुसैन से उलझ पड़ा". हिन्दुस्तान समाचार एजेंसी. newsdnntv. मूल से 8 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 सितंबर 2019.
  11. "हुसैन को भारत माता का अपमान पड़ा भारी". भारत खबर. bharatkhabar. मूल से 8 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2018.
  12. "किस बॉलीवुड एक्ट्रेसेस के दीवाने थे मशहूर पेंटर एमएफ हुसैन और पत्रकार हुसैन से क्यों उलझे?". samacharjagat. समाचार जगत. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2016.
  13. "हुसैन की पेंटिंग पर विवाद पड़ा भारी". bharatmanthan. भारत मंथन. मूल से 8 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 सितंबर 2005.
  14. "एमएफ हुसैन नहीं रहे". dw.com. dw.com. अभिगमन तिथि 10 जून 2011.
  15. "मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन का लंदन में निधन". khabar.ndtv.com. ndtv. मूल से 14 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2011.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]