मंगलसूत्र (उपन्यास)
मंगलसूत्र प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है। यह अपूर्ण है।
सारांश
[संपादित करें]साँचा:RADHESHYAM की कृतियाँ मंगलसूत्र' में एक साहित्यिक जीवन की समस्या का वर्णन किया गया है। इसी दृष्टि से यह उपन्यास प्रेमचंद के उपन्यासों से भिन्न है। इसके चार अध्यायों में देव साहित्य-साधना में अपना जीवन व्यतीत करते हैं। उन्हें कुछ व्यसन भी लगे हुए हैं। इन दोनों कारणों से उनका भौतिक जीवन तो सुखी नहीं होता। हाँ, उन्हें ख्याति अवश्य प्राप्त होती है। उनके दो पुत्र, वकील संतकुमार और मधुकुमार हैं। ज्येष्ठ पुत्र संतकुमार जीवन में सुख और ऐश्रर्य चाहता है और पिता की जीवनदर्शन का समर्थन नहीं करता। छोटा पुत्र उनके विचारों और आदर्शों से सहमत है। वह भी पिता की भाँति आदर्शवादी है। प्रेमचंद ने देवकुमार को जीवन के संघर्षों के फलस्वरूप स्वनिर्धारित आदर्श से विचलित होता हुआ सा चित्रित किया है। भविष्य में क्या होता, इसका अनुमान मात्र प्रेमचंद की पिछली कृतियों के आधार पर किया जा सकता है। देवकुमार की एक पुत्री पंकजा भी है, जिसका विवाह हो जाता है ।