मंगलवार व्रत कथा
![]() | इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (अगस्त 2012) स्रोत खोजें: "मंगलवार व्रत कथा" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
मंगलवार व्रत कथा | |
---|---|
![]() मंगलवार व्रत कथा व्रत | |
आधिकारिक नाम | मंगलवार व्रत कथा व्रत |
अन्य नाम | बजंरगबली व्रत |
अनुयायी | हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी |
प्रकार | हिन्दू |
उद्देश्य | सर्व सुख, रक्त विकार, राज्य, सम्मान, पुत्र प्राप्ति |
समान पर्व | सप्ताह के अन्य दिवस |
यह उपवास सप्ताह के दूसरे दिवस मंगलवार को रखा जाता है।
विधि[संपादित करें]
![]() | This section is written like a manual or guidebook. (अप्रैल 2016) |
- इस व्रत में गेहूं और गुड़ का ही भोजन करना चाहिये।
- एक ही बार भोजन करें। नमक नहीं खाना है।
- लाल पुष्प चढ़ायें और लाल ही वस्त्र धारण करें।
- अंत में हनुमान जी की पूजा करें।
कथा[संपादित करें]
एक निःसन्तान ब्राह्मण दम्पत्ति काफ़ी दुःखी थे। ब्राह्मण वन में पूजा करने गया और हनुमान जी से पुत्र की कामना करने लगा। घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र की प्राप्त के लिये मंगलवार का व्रत करती थी।मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर भोजन करती थी। एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पायी और ना भोग ही लगा सकी। तब उसने प्रण किया कि अगले मंगल को ही भोग लगाकर अन्न ग्रहण करेगी। भूखे प्यासे छः दिन के बद मंगलवार के दिन तक वह बेहिओश हो गयी। हनुमान जी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर प्रसन्न हो गये। उसे दर्शन देकर कहा कि वे उससे प्रसन्न हैं और उसे बालक देंगे, जो कि उसकी सेवा किया करेगा। इसके बाद हनुमान जी उसे बालक देकर अंतर्धान हो गये। ब्राह्मणी इससे अति प्रसन्न हो गयी और उस बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है। पत्नी ने सारी कथा बतायी। पत्नी की बातों को छल पूर्ण जान ब्राह्मण ने सोचा कि उसकी पत्नी व्यभिचारिणी है। एक दिन मौका देख ब्राह्मण ने बालक को कुंए में गिरा दिया और घर पर पत्नी के पूछने पर ब्राह्मण घबराया। पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया। ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया। रात को हनुमानजी ने उसे सपने में सब कथा बतायी, तो ब्राह्मण अति हर्षित हुआ। फ़िर वह दम्पति मंगल का व्रत रखकर आनंद का जीवन व्यतीत करने लगे।[1]
उद्देश्य[संपादित करें]
- सर्व सुख
- रक्त विकार
- राज्य
- सम्मान
- पुत्र प्राप्ति
इस कथा का मन्गलवार के दिन उपवास रख्कर हि किया जाता हे जो अदभुत मंगल कारी हे ये कथा भग्वान श्री कृष्णा ने अभिमन्यु से कहि थि।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ (https://phondia.com/mangalvar-vrat-katha-aur-vidhi-in-hindi/ मंगलवार व्रत कथा)