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भौतिक ब्रह्मांडिकी

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भौतिक ब्रह्मांड विज्ञान (physical cosmology) वह विज्ञान है जो ब्रह्मांड की संरचना, विकास और उसके अस्तित्व के भौतिक पहलुओं का अध्ययन करता है। यह ब्रह्मांड की बड़े पैमाने पर होने वाली घटनाओं को समझने के लिए भौतिकी के सिद्धांतों और गणना विधियों का उपयोग करता है।[1] भौतिक ब्रह्मांड विज्ञान का मुख्य उद्देश्य ब्रह्मांड की उत्पत्ति, उसका वर्तमान और भविष्य की भविष्यवाणी करना है। भौतिक ब्रह्मांड विज्ञान, ब्रह्मांड की संरचना, विकास, और उसे बनाने वाले भौतिकी का अध्ययन है। इसमें भौतिकी, खगोल विज्ञान, और खगोल भौतिकी से जुड़े विषय शामिल हैं।[2] भौतिक ब्रह्मांड विज्ञान में, ब्रह्मांड से जुड़े मॉडल बनाने और शोध करने के लिए सिद्धांतों और प्रयोगों का इस्तेमाल किया जाता है। इन मॉडलों को कभी-कभी ब्रह्मांड विज्ञान भी कहा जाता है।[3]

भौतिक ब्रह्मांड विज्ञान का इतिहास प्राचीन काल से शुरू होता है, जब पहले ब्रह्मांड के बारे में विचार किए गए थे। हालांकि, आधुनिक भौतिक ब्रह्मांड विज्ञान का आरंभ 20वीं शताब्दी में हुआ जब अल्बर्ट आइंस्टीन के आपेक्षिकता सिद्धांत और बिग बैंग सिद्धांत की खोज ने ब्रह्मांड के विकास को समझने का एक नया मार्ग खोला।

1930 के दशक में, एडविन हबल ने यह साबित किया कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है और इससे बिग बैंग सिद्धांत को बल मिला। इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड एक अत्यधिक गरम और सघन अवस्था से विकसित हुआ और अब तक फैल रहा है।[4]

प्रमुख सिद्धांत

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1. बिग बैंग सिद्धांत: यह सिद्धांत ब्रह्मांड के उत्पत्ति के बारे में बताता है, जिसमें यह कहा गया है कि ब्रह्मांड लगभग 13.8 अरब वर्ष पहले एक अत्यधिक सघन और गर्म स्थिति से उत्पन्न हुआ था और वह अब भी विस्तार कर रहा है।

2. सामान्य सापेक्षता: आइंस्टीन का सिद्धांत है जो ब्रह्मांड की गुरुत्वाकर्षण संरचना और समय-स्पेस की परिभाषा देता है। यह सिद्धांत ब्रह्मांड के विकास, ग्रहों की गति, और गुरुत्वाकर्षण के प्रभावों को समझने में मदद करता है।

3. क्वांटम ब्रह्मांड विज्ञान: यह एक आधुनिक सिद्धांत है जो क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों को ब्रह्मांड के स्तर पर लागू करता है। यह छोटे पैमाने पर, जैसे कि ब्लैक होल और सिंगुलैरिटी में घटने वाली घटनाओं का अध्ययन करता है।[5]

ब्रह्मांड का विस्तार

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आज के समय में वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। यह विस्तार हबल का नियम के आधार पर माना जाता है, जिसमें यह बताया गया कि ब्रह्मांड के विभिन्न हिस्से आपस में दूर हो रहे हैं।

इसके अलावा, ब्रह्मांड का विस्तार डार्क एनर्जी के कारण भी हो रहा है, जो एक रहस्यमय ऊर्जा है, जो ब्रह्मांड के विस्तार को तेज करती है।[6]

महत्वपूर्ण आंकड़े

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सन्दर्भ

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  1. "Cosmology and Astrophysics". पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय. 2024-11-04. अभिगमन तिथि 2025-01-25.
  2. "Physical Cosmology". Home. 2023-11-23. अभिगमन तिथि 2025-01-25.
  3. "Physics of the Cosmos". नासा साइंस. 2008-02-28. अभिगमन तिथि 2025-01-25.
  4. "DOE Explains...Cosmology". Energy.gov. अभिगमन तिथि 2025-01-25.
  5. "Theoretical Cosmology and Elementary Particle Physics". College of Arts & Sciences at Syracuse University. अभिगमन तिथि 2025-01-25.
  6. "Cosmology and Astrophysics". U-M LSA Physics. अभिगमन तिथि 2025-01-25.

बाहरी कड़ियाँ

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