भुइयार धर्मशाला

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भुइयार / कोरी धर्मशाला (English: Bhuiyar / Kori Dharmshala) अथवा श्री कबीर आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट समिति (रजि0) भारत के उत्तराखंड प्रदेश के हरिद्वार शहर में स्थित एक धर्मशाला है। इस आश्रम में भुइयार / कोरी समाज के लोग प्रतिभागिता करते हैं।

इतिहास[संपादित करें]

भुइयार धर्मशाला ऋषिकुल हरिद्वार

वर्ष 1950 में, भुइयार / कोरी समाज के पांच व्यक्तियों ने आपस में मिलकर, समाज का आश्रम हरिद्वार में बनाने के लिए, देवपुरा, ऋषिकुल, हरिद्वार में 1605 वर्ग फुट जमीन खरीद कर, उस प्लॉट में समाज द्वारा एक कमरा एवं बरामदा बनवाकर, महंत बिरबल दास जी को आश्रम के महंत के रूप में नियुक्त कर दिया गया। महंत बिरबल दास जी द्वारा आश्रम का संचालन सुचारु रूप से चल रहा था, कि इस दौरान महंत बिरबल दास जी का देहावसान हो गया। इनके बाद आश्रम की देखभाल के लिए महंत रणजीत दास जी को नियुक्त किया गया। वर्ष1976 से 1980 तक आश्रम की देखभाल के लिए महंत भगवान दास जी को नियुक्त किया गया। वर्ष 1980 में, समाज द्वारा आश्रम में एक संस्था का गठन किया गया। संस्था का नाम “गद्दी कबीर साहेब” रखा गया। इस संस्था के अध्यक्ष के रूप में श्री लोतीराम जी (सहारनपुर) एवं प्रबन्धक के रूप में महंत रतन दास जी नियुक्त किए गए। इनका कार्यकाल वर्ष 1980 से 1982 तक रहा। वर्ष 1982 में, संस्था के अध्यक्ष के रूप मे प्रधान मोल्हड सिंह नियुक्त किए गए। इनका कार्यकाल वर्ष 1982 से 1984 तक रहा। वर्ष 1984 में, संस्था के अध्यक्ष के रूप मे श्री जगपाल सिंह (ज्वालापुर) को नियुक्त किया गया। इनका कार्यकाल वर्ष 1984 से 1986 तक रहा।

वर्ष 1986 में, श्री सूरज सिंह (बिजनौर) एवं श्री नाथा सिंह (हरिद्वार) ने भुइयार / कोरी समाज को गुमराह करते हुए, आश्रम में एक दूसरी संस्था का गठन किया, जिसका नाम “कबीरपंथी आश्रम एवं धर्मशाला व्यवस्था सभा हरिद्वार” रखा गया। इस संस्था के अध्यक्ष श्री सूरज सिंह एवं श्री सीताराम नांगल (बिजनौर) को महंत के रूप में नियुक्त किया गया। कुम्भ मेला 1986 के बाद इन तीनों व्यक्तियों ने आश्रम की जमीन का दो तिहाई हिस्सा बेच दिया, जो कि 1950 से ही हमारे कब्जे में था और न्यायालय में विचारधीन हैं। आश्रम के इस हिस्से में महंत बिरबल दास जी की समाधि बनी हुई थी। इस समाधि को इन तीनों व्यक्तियों द्वारा तोड़ दिया गया। साथ–साथ आश्रम की दो दुकानों को किराए पर भी दे दिया गया। धीरे–धीरे किराएदार द्वारा आश्रम की दुकानों पर कब्जा करने की कोशिस की गई। समय-2 पर समाज के व्यक्तियों द्वारा दुकान खाली कराने के लिए किराएदार पर दबाव भी बनाया गया, इसी सम्बन्ध में किराएदार से झगडा भी होता रहा। इस घटना के बाद समाज में अविश्वास की भावना पैदा हो गई, तथा आश्रम इसी तरह से लावारिस पड़ा रहा।

पुन: वर्ष 2005 में, समाज के कुछ शरारती लोगों ने आश्रम की खाली एवं लावारिस पड़ी जमीन को फिर बेचने की साजिश रची, परंतु इस बार समाज के जागरुक लोगों ने इस साजिश का पर्दाफाश करते हुए, आश्रम के संचालन के लिए एक ट्रस्ट का निर्माण किया। जिसका नाम “श्री कबीर आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट समिति (रजि0)” रख दिया गया। साथ–साथ ट्रस्ट को तहसील हरिद्वार एवं चिट्ट फंड सोसायटी देहरादून से पंजीकृत भी करा दिया गया। ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में श्री कैलाश चन्द रानीमाजरा (हरिद्वार) नियुक्त किए गए। इसके बाद सितम्बर 2007 को आश्रम की जमीन की रजिस्ट्री ट्रस्ट के नाम से कर दी गई।

ट्रस्ट बनने के बाद, आश्रम् का संचालन सुचारु रूप से चलने लगा एवं प्रति वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन आश्रम में श्री कबीर साहेब जी का जन्मदिन भुइयार एवं कोरी समाज द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा। इसी क्रम में 18 जून 2008 को श्री कबीर साहेब जी के जन्मदिन के अवसर पर भुइयार एवं कोरी समाज के व्यक्तियों द्वारा एक जुलूस निकाला जा रहा था। जैसे ही जुलूस के रूप में समाज के व्यक्ति आश्रम पर पहुंचे, तब इसी दौरान किराएदार ने भुइयार एवं कोरी समाज के व्यक्तियों से झगड़ा कर दिया। जुलूस में झगड़े के कारण भगदड़ मच गई एवं घटना स्थल पर पुलिस भी पहुँच गयी। इस झगड़े के कारण भुइयार / कोरी समाज के 12 व्यक्ति जेल चले गए। अंतत: आश्रम को किराएदार से कब्जा मुक्त कराकर खाली करा लिया गया। वर्ष 2009 में ट्रस्ट का विधिवत चुनाव कराया गया, जिसमें अध्यक्ष पद पर श्री जय सिंह जी पुत्र स्व0 श्री लोतीराम जी (सहारनपुर) को नियुक्त किया गया।

वर्ष 2010 में, ट्रस्ट की एक बैठक बुलाई गयी, बैठक में यह निर्णय लिया गया, कि आश्रम के पुराने भवन को तोड़कर उसकी जगह नया भवन बनाया जाए | इस प्रकार ट्रस्ट के पाँच सदस्यों क्रमश: दयाराम सिंह भामड़ा, श्री जय सिंह, मा. मुरारी लाल, श्री करन पाल सिंह एवं श्री नकलीराम भगत जी द्वारा 28 अप्रैल 2010 को नये भवन का शिलान्यास किया गया। अत: ट्रस्ट द्वारा मई, 2010 में आश्रम के पुराने भवन को तोड़कर, नया दो मंजिला भवन का निर्माण करा दिया गया। ट्रस्ट के अधिकांश सदस्यों द्वारा भवन निर्माण के लिए दो लाख रूपये तक का दान दिया है। ट्रस्ट के सदस्यता रजिस्टर के अनुसार, अक्तुबर 2011 तक कुल आजीवन सदस्यों की संख्या 205 थी। ट्रस्ट के नियमावली के अनुसार, ट्रस्ट के चुनाव में केवल आजीवन सदस्य ही भाग ले सकते हैं, एवं आश्रम के किसी भी कार्यक्रम में केवल भुइयार एवं कोरी समाज के व्यक्ति ही भाग ले सकते हैं, अन्य किसी समाज अथवा समुदाय के व्यक्ति भाग नहीं ले सकते |

उत्तरी भारत से भुइयार व्यक्ति

महत्व[संपादित करें]

भुइयार धर्मशाला हरिद्वार की बहुत पुरानी धर्मशाला है। धर्मशाला में भुइयार एवं कोरी समाज के लोग प्रति वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन बहुत बड़ी संख्या में कबीर प्रकटोत्सव के मौके पर एकत्रित होते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]