भारत में वैश्वीकरण

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ईसापूर्व से ही भारत अपने ज्ञान-विज्ञान, दर्शन तथा अतिसम्पन्न अर्थव्यवस्था के कारण विश्वविख्यात रहा है। दो हजार वर्ष पहले विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (जी डी पी) का लगभग 32.9% हिस्सा भारत का था तथा इसकी जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 17% थी। अति प्राचीन काल से ही भारत में निर्मित सामान विश्व के विभिन्न भागों में दूर-दूर तक निर्यात किए जाते थे। अतः 'वैश्वीकरण' की संकल्पना भारत के लिए कोई नई बात नहीं है, 'वसुधैव कुटुम्बकम्' (पूरी धरती ही अपना परिवार है) का विचार यहाँ अनादि काल से प्रचलित है।

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