भारत में एचआईवी / एड्स

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

भारतीय धार्मिक आख्यान साक्षी है कि 'एड्स' नामक रोग का उल्लेख प्रच्छन्न रूप से अनेक स्थलों पर आ चुका है। महाभारतकालीन एक साक्ष्य प्राप्त होता है, जिसके आधार पर कहा गया है कि भीष्म पितामह के सौतेले भ्राता विचित्रवीर्य की मृत्यु का कारण एड्स ही था। महाकवि कालिदास की कृति 'रघुवंश' में राजा अग्निवर्मा का जीवन-प्रसंग आता है। वे रघुवंश के अंतिम शासक थे। अग्निवर्मा यौनाकांक्षाओं के वाहक थे। अधिकांश समय काम-क्रीडा में रत रहने के कारण वे यौन रोग के शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त हुए थे। भारतीय परंपरा के समानांतर 'बाइबल' में भी कतिपय ऐसे दृष्टांत मिलते हैं, जिनसे ज्ञात होता है कि एड्स का अस्तित्व प्रच्छन्न रूप से इस काल में भी था।

भारत में हर साल नए एचआईवी संक्रमण, और एड्स से होने वाली मौतें
२००१ में भारत में प्रसव पूर्व क्लीनिकों, वाणिज्यिक यौनकर्मियों में भाग लेने वाली और ड्रग उपयोगकर्ताओं को इंजेक्शन देने वाली महिलाओं में एचआईवी का प्रचलन

कारण[संपादित करें]

जब सुदूर अतीत से परे होकर वस्तु-स्थिति को समझने का प्रयास करें तो ज्ञात होता है कि ५ वर्षों में भारत विश्व का सबसे बड़ा एड्स ग्रस्त देश बन जाएगा। वर्तमान में विश्व में एड्स ग्रस्त व्यक्तियों की सर्वाधिक संख्या अफ्रीका में हैं। इस बात की भी सम्भावना है कि शेष विश्व कि तुलना में भारत में एड्स के अधिक रोगी हो। इंजेक्शन के रूप में लिये जानेवाले मादक द्रव्यों के अधिक इस्तेमाल को रोकने के लिये अगर तत्काल कोइ प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले वर्षों में भारत का हर दसवाँ व्यक्ति एड्स के चपट में आ जाएगा। भारत में एच.आई.वी. संक्रमण की दर इस समतय २१.०५ प्रति हजार पाई गई है। भारत में एड्स-वायरस से सर्वाधिक संक्रमित व्यक्ति महाराष्ट्र में हैं। तमिलनाडु का दूसरा स्थान है। भारत में सन् १९८५ से १९९४ के मध्य एड्स-विषाणु के संक्रमण में निरंतर वृद्धि हुई है। वस्तुतः भारत में संक्रमण का सबसे बड़ा कारण एक से अधिक लोगों के साथ यौन-संबंध है; जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में इसका मुख्य कारण मादक पदार्थों का इंजेक्शन लेना है। अब तक एच.आई.वी. संक्रमण के सर्वाधिक प्रकरण महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मणिपुर से प्रकाश में आए हैं। इसका एक कारण कंडोम का प्रयोग करने से लोगों में हिचकिचाहट और संकोच भी हैं।

अनुसन्धान और विकास कार्यक्रम[संपादित करें]

'भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद्' के मार्गदर्शन में सन् १९८६ में मध्यकाल में भोपाल, इंदौर और जबलपुर में 'एच.आई.वी. सर्वे संटर' की स्थापना की गई। एन.ए.सी.ओ., नई दिल्ली के दिशा-निर्देशों के अनुसार, विश्व बैंक से सहायता प्राप्त 'राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम' योजना-वर्ष १९९२ की अंतिम त्रयमासिकी से जून १९९७ तक मध्य प्रदेश में लागू किया गया। इसके अंतर्गत 'राज्य एड्स सेल' बनाकर इस रोग की रोकथाम के लिए कार्यक्रम चलाए गए।

भारत के कुछ निगरानी-केंद्र[संपादित करें]

१ मद्रास मेडिकल काॅलेज, चेन्नाई (तमिलनाडु)
२ चिकित्सा विज्ञान काॅलेज, कटक (उडीसा)
३ चिकित्सा विज्ञान काॅलेज, बेलगाम (कर्नाटक)
४ चिकित्सा विज्ञान काॅलेज, शिमला (हिमाचल प्रदेश)
५ बंगलौर मेदिकल काॅलेज, बंगलौर (कर्नाटक)
६ गवर्नमेंट मेडिकल काॅलेज, नागपुर (महाराष्ट्र)

भारत के कुछ संदर्भ-केंद्र[संपादित करें]

१ नेशनल इंस्टिट्यूट आॅफ वायरोलाॅजी, पुणे (महाराष्ट्र)
२ जे जे हाॅस्पिटल, मुंबई (महाराष्ट्र)
३ सेंटर फाॅर एडवांस्ड रिसर्च आॅन वायरोलाॅजी, बेल्लोर (तमिलनाडु)
४ क्रिश्चियन मेडिकल काॅलेज, बेल्लोर (तमिलनाडु)
५ मद्रास मेडिकल काॅलेज, चेन्नाई (तमिलनाडु)
६ कलकत्ता मेडिकल काॅलेज, कोलकता (प. बंगाल)
७ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था (नई दिल्ली)
८ राष्ट्रीय संचारी रोग-संस्थान (नई दिल्ली)

संदर्भ[संपादित करें]