भारत में अन्धविश्वास
अन्धविश्वास हानिरहित हो सकते है, जैसे कि बुरी नजर दूर रखने वाली नींबू और र्च]]। मगर वे जल की तरह गंभीर भी हो सकते है। अंधविश्वासों को अच्छे तथा बुरे अंधविश्वासों में बांटा जा सकता है।
अच्छे अंधविश्वास
[संपादित करें]नज़र बट्टू
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उत्तर भारत और पाकिस्तान में नींबू को शुभ माना जाता है और अनेको अनुशठान में इसका प्रयोग किया जाता है। नींबू और मिर्च के गाठ-बन्धन नए घरों और दुकानो के द्वार पर लगाया जाता है। माना जाता है कि ऐसे करने से बुरे आत्माओं और अपशगुन दूर करवाता है। इस गाठ-बन्धन का नाम नज़र-बट्टू है और इस्मे ७ मिर्च और १ नींबू का प्रयोग होता है। नज़र बट्टू को दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक बदला जाता है।
अनुशठान के उपहार में एक रुपय जोड़ना शुभ है
[संपादित करें]भारत में कोई भी अनुशठान या शादी में एक रुपय देने का प्रचलन है। कुल में एक रुपय और देने को शुभ माना जाता है।
इसके कई कारण है। कुछ मानते है कि इस्से किसमत चमकती है, कुछ के लिये यह बड़ों का प्यार और आशीर्वाद, और कुछ के लिये यह जिंदगी के नए पडाव की शुरुआत के बराबर है। कुछ एसा भी मानते है कि एक रुपय बढ़ाने से कुल का भाग करना कठिन हो जाएगा। अगर ना बढ़ाया जाये तो कुल के दो बराबर भाग किये जा सकते है और इसे अशुभ माना जाता है। इसलिए, खासकर व्याह के घरों में ये काफी प्रचलित है।
नदी में सिक्के फेंकना
[संपादित करें]माना जाता है कि नदी में सिक्के फेंकने से सफ़लता मिलती है। आज भी यह भारत के काफ़ी जगहों पर प्रामाणित है।
इसका कारण यह है कि पुराने वक्त में सिक्के पीतल के होते थे। पीतल पानी को स्वच्छ कर देता है और किटानु मार डालता है। उस वक्त नदियों से ही पीने को पानी मिलता था। तो नदियों में सिक्के डालने से पानी स्वच्छ मिलता, और हमारे शरीर में भी थोड़ा पीतल जाता। इसलिए कहा जाता है कि नदी में सिक्के डालना शुभ है। किंतु आज के सिक्के स्टेनलेस स्टील से बने है। इनका नदी में कुछ असर नहीं होता है। ये अब सिर्फ़ एक अंधविश्वास बन रह गया है।[1]
पानी का गिरना
[संपादित करें]जब कही पानी गिरता है तो कुछ आछा होने वाला है ऐसा लोग का मानना है या कह सकते है की वह उनका अंधविश्वास है। कहा जाता है की कोई व्यक्ति के जाने के बाद अगर पानी गिरते है या गिराया जाता है तो उस व्यक्ति का यात्रा अछा जाता है और अगर वह व्यक्ति कोई काम के लिए बहार निकला है तो उसका काम किस्मत उसका साथ देगी। यह तब भी किया जाता है जब कोई बच्चा परीक्षा देने के लिए जाता है या फिर कोई व्यक्ति जब नौकरी ढूँढने जाता है। यह माना जाता है की पानी गिरना या पानी का बहना शुभ होता है और सब कुछ आराम से चलता है कोई बाधा नहीं होती।
शुभ यात्रा
[संपादित करें]दुनिया में कभी भी कोई बाहर जाता है तो उन्हें कहा जाता है शुभ यात्रा, इतना काफी नहीं भारत में कहते है की अगर यात्रा के समय अगर व्यक्ति किसी मुर्दे को ले जाते देख लेह तो उसका सफर आछा जायेगा, या फिर हाथी को देख ले, या फिर एक गाये और बछड़ा साथ देख ले, यात्रा आरम्भ करने से पहले दही खा ले, या अपनी शकल पानी में देख लेह तो उनका यात्रा या काम सफल और आचा रहेगा।

नारियल तोडना
[संपादित करें]कहते है की जब भी कुछ नया लिया जाता है उसका पूजा या भगवान का नाम ले कर ही शुरू किया जाता है। लोग जब भी नये घर या फिर नया गाडी लेते है तो उसके लिए पूजा करते है और उसके सामने नारियल तोडते है नारियल को बहुत जोड़ से नीचे फेकते है ताकि वह टुकडे टुकेडी हो जाये। लोगो का यह मानना है की ऐसा करने से वह उस चीज़ को आपने मानने लगते है।
बुरे अंधविश्वास
[संपादित करें]सूर्य डूबने के बाद सफाई
[संपादित करें]भारत के अनेक अन्धविश्वासो में से एक यह कहता है कि सूर्य डूबने के बाद हमे घर की सफाई नहीं करना चाहिए। एसा करना हमारे जीवन में दुर्भाग्य लाएगा। माना जाता है कि इस कार्य करने से हम अपने जीवन से भाग्य को निकाल रहे है।
लेकिन इस अन्धविश्वास के पीछे एक कारण है। पहले के ज़माने में प्रकाश प्रणालियों अच्छे नहीं थे। सफाई करने के समय कुछ छोटा गिरा हो तो धूल के साथ भूल से उसे भी फेंक दिया जाता। इस कारण क़ीमती सामान का खो जाने का डर रहता था। अन्य कारण यह है कि झाड़ू के टुकड़े दीपक पर गिर सकते थे, जिस्से आग का खतरा पैदा होता। इन कारणों की वजह से यह अन्धविश्वास पैदा हुअ।
साँप मिथकों
[संपादित करें]हिन्दु धर्म ग्रन्थो और भारतीय पुराणो के अनुसार नाग को कभी रक्षक के रूप में देखा जाता है, तो कभी विध्वंसक के रूप में। देश के कई क्षेत्रों में इनकी पूजा भी की जाती है। हिन्दु पुराणो के आधार नाग को कई जादूई शक्तियों का वर्दान होता है और इसलिए इनकी पूजा की जाती है।
कुछ का यह मानना है कि नाग दूध पीते है, उनके मस्तक पर एक हीरा या नागमणी होता है, और अगर उनको नुकसान पहुचाया जाये तो वह कदापि भूलते नहि।
एसा माना जाता है कि नाग के पास नागमणी होती है, परन्तु नाग के मस्तक पर कभी कुछ रखा नहि जा सकता। यह अन्धविश्वास सिर्फ हिन्दू पुराण के वजह प्रचलित है।
कांच का टूट्ना
[संपादित करें]कुछ संस्क्रितियों में इसे शुभ माना जाता है और कुछ में अपशगुन। भारत में यह अपशगुन माना जाता है खास कर किसी शुभ काम से पेहले।
अंग्रेजी में एक कहावट है कि कांच तोडने पर सात साल की असफलता कांच तोड़ने वाले को मिलेगी। यह भी माना जाता है कि अगर शीशा अपने आप गिरकर टूट जाए तो उस घर में किसी की मृत्यु पक्की है। इसकी काफ़ी विवरण है। कुछ लोग मानते है की शीशे में हमारे आत्मा को कब्ज करने की ताकत मॉजूद है। इसीलिए उसका टूट्ना का मत्लब है हमारा आत्मा से अलग होना। समय के साथ यह विश्वास कांच के अंधविश्वास में बदल गया। एक और विवरण यह है कि पेह्ले कांच बहुत महंगा था, इसिलिए बच्चों को उससे दूर रखने के लिए ऐसी कहनियाँ बनाई गई हो। यह भी हो सकता है कि ताकि टूटे कांच से किसी को चोट ना लगे ऐसी अफ्वाहे फैलाई गई हो।
१३
[संपादित करें]काफ़ी लोगो का मानना है कि १३ अशुभ अंक है। यह सबसे ज़्यादा माने अंधविश्वासों में से एक है। पार्टी में १३ लोगो क होना, घर या गाड़ी का नंबर १३ होना, ये सब अपशगुन है। कुछ इमारतों में तेरहवां माला है ही नहीं। बारह के बाद सीधा १४ होता है। इसका कोई सर्तक वजह नहीं है। ईसा मसीहा के आखिरी खाने पर उनको मिलाकर १३ लोग थे, और उन में से एक उनका विश्वासघातक निकला। इसके अलावा महीने के तेरहवां दिन पर कफ़ी दुर्घतनाएँ भी हुई है जिससे यह अंधविश्वास और भी गहरा हो गया। लेकिन यह सिर्फ़ इत्त्फाक है। इसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। १३ अंक से भी ज़्यादा अशुभ शुक्रवार को माना जाता है जो महीने के तेरहवे दिन को आता है।
छींकना तथा टोकना
[संपादित करें]जब कोई घर से निकल रहा हो तब उससे यह पूछकर टोकना कि कहा जा रहे हो अपशगुन है। ऐसा करने से जिस काम के लिए बाहर जाना था वो खराब हो जाएगा। इसी विश्वास के कारण भारत में बड़े हमेशा बताते है कि घर से निकलते समय किसी को कभी टोकना नहीं। घर से निकलने से पहले छीकना भी अपशगुन माना जाता है। छीक आने पर बोला जाता है कि बैठकर पानी पीना चाहिए वरना काम बिगड़ जाएगा। लेकिन अगर २ बार छीके तो ऐसा कुछ नहीं होगा।[2]
नाखून काटना
[संपादित करें]ह्म सब ने कभी न कभी यह सुना होगा कि रात में नाखून काटना अच्छा नहीं होता। इस अंधविश्वास के पीछे यह कारण है कि नाखुन काटने के बाद सफ़ाई करते समय कुछ कीमती सामान कूड़े में जा सकता है। साथ ही साथ पहले बिजली की समस्या बहुत थी तो रात में नाखुन गिर सकते है और पैर में चुब सकते है। इस वजह से यह अंधविश्वास सामने आया। इसके अलावा यह भी मानना है कि मंगलवार तथा शनिवार को नाखुन नहीं काटना। इसके पीछे कोई विवरण नहीं है।
सूर्यग्रहण
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सूर्यग्रहणके साथ बहुत सारी अंधविश्वास जुड़ी है। सुर्यग्रहण को बहुत ही ख़राब माना जाता है। सूर्यग्रहण के समे कहते है की लोगो को बहार निकला नहीं चाहिए। इस समाये भगवान का घर (मंदिर) और दुकानें भी बंद हो जाते है। घरो में उस समये खाना भी नहीं बनता और ना खाना खाया जाता है। सूर्यग्रहण के समये अगर कोई नन्हा सा बच्चा जानम लेता है तो उसे मनहूस माना जाता है। सूर्यग्रहण खत्म होने पर कहते है की लोगो को नहा धो के ही कोई काम करना चाहिए।
पीपल पेड़ की छाया
[संपादित करें]पीपल के पेड़ का हिंदुस्तान और विदेश में भी बहुत मानता है। कहा जाता है की पीपल के पेड़ में विष्णु, शनि, हनुमान तथाः अन्य भगवानो का वास है। इस कारन लोगो पीपल के पेड़ के नीचे नहीं बैटते बल्कि पेड़ की पूजा करते है। पीपल पेड़ पे लोग कुमकुम और हल्दी पूजा करने पर लगाते है और औरते पेड़ के चारो ऒर धागा बांधती है। पीपल का पेड़ हमे आक्सीजन देता है।
कुछ लोगो का यह भी कहना है की जहा भगवान का वास होता है, वहा बुरे का भी वास होता है। कहते है की शाम होने के बाद पीपल पेड़ के नीचे या आस पास भी नहीं जाना चाहिए, कक्युकी माना जाता है की उस समय पीपल के पेड़ पर भूत प्रेत का वास होता है। तो जिस तरह से हम पीपल के पेड़ को मानते है उतना ही उससे डरते है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ http://www.quora.com/Hindu-Mythology/What-is-the-reason-behind-Indians-dropping-currency-coins-in-to-holy-rivers-and-praying
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 14 फ़रवरी 2015. Retrieved 10 फ़रवरी 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 7 फ़रवरी 2015. Retrieved 10 फ़रवरी 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 25 दिसंबर 2014. Retrieved 10 फ़रवरी 2015.
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: Check date values in:|archive-date=
(help) - ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 29 अप्रैल 2015. Retrieved 10 फ़रवरी 2015.