भातखंडे संगीत संस्थान समविश्वविद्यालय
पूर्व नाम | मैरिस काॅलेज ऑव म्यूज़िक |
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प्रकार | समविश्वविद्यालय |
स्थापित | 1926 |
उपकुलपति | मांडवी सिंह |
स्थान | कैसरबाग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत निर्देशांक: 26°51′13″N 80°55′59″E / 26.85361°N 80.93306°E |
जालस्थल | http://bhatkhandemusic.edu.in/ |
भातखण्डे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय लखनऊ में स्थित भारत का एक बड़ा ललित-कला (नृत्य-संगीत) समविश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य है नादाधीनम् जगत् अर्थात यह संपूर्ण विश्व नाद या संगीत के अधीन है [1] इस विश्वविद्यालय का नाम यहां के महान संगीतकार पंडित विष्णु नारायण भातखण्डे के नाम पर रखा हुआ है। इस महाविद्यालय की स्थापना १९२६ में राय उमानाथ बली एवं राजराजेश्वर बली, संयुक्त प्रान्त के तत्कालीन शिक्षा मंत्री के प्रयासों से पंडित भातखंडे द्वारा की गई थी।[2] पूर्व नाम मैरिस कॉलेज ऑव म्यूज़िक हुआ करता था। यह संगीत का पवित्र मंदिर है। श्रीलंका, नेपाल आदि बहुत से एशियाई देशों एवं विश्व भर से साधक यहाँ नृत्य-संगीत की साधना करने आते हैं। लखनऊ ने कई विख्यात गायक दिये हैं, जिनमें से नौशाद अली, तलत महमूद, अनूप जलोटा और बाबा सहगल कुछ हैं।
परिचय
[संपादित करें]भारत में संगीत शिक्षा का प्रारम्भ प्राचीनकाल की गुरूकुल/आश्रम व्यवस्था के साथ हुआ, जहाँ महान सन्त, ऋषि, मुनि आदि विद्वान सामान्य शिक्षा के साथ साथ संगीत शिक्षा भी प्रदान किया करते थे। समय के साथ संगीत शिक्षा की व्यवस्था में अनेक परिवर्तन हुये तथा १९ वीं शती के मध्य में ब्रिटिश राज्य में संगीत शिक्षा का आधुनिक संस्थागत स्वरूप उभर कर सामने आया। गुरू-शिष्य परम्परा पर आधारित संगीत शिक्षा प्रणाली को २०वीं शती में एक नया आयाम मिला, जब शती के दो महान संगीत पुरोधाओं- पण्डित विष्णु दिगम्बर पलुस्कर तथा पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे ने संगीत शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रणाली की दो समानान्तर परम्पराओं को विकसित किया।
सन् १९२६ में पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे ने राय उमानाथ बली, राय राजेश्वर बली, लखनऊ के संगीत संरक्षको एवं अवध के संगीत प्रेमियों के सहयोग से लखनऊ में एक संगीत विद्यालय की स्थापना की। इस संस्था का उद्घाटन अवध प्रान्त के तत्कालीन गर्वनर सर विलियम मैरिस के द्वारा किया गया तथा उन्ही के नाम पर इस संस्था का नाम मैरिस काॅलेज ऑव म्यूज़िक रखा गया। २६ मार्च,१९६६ को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने इस संस्था को अपने नियन्त्रण में लेकर इसके स्थापक के नाम पर इसे 'भातखण्डे हिन्दुस्तानी संगीत विद्यालय' नाम प्रदान किया। राज्य सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने इस संस्थान को २४ अक्टूबर २००० को सम विश्वविद्यालय घोषित कर इसे भारत का एक मात्र संगीत विश्वविद्यालय होने का गौरव प्रदान किया।[3] [4]
भातखण्डे संगीत संस्थान का गरिमामय इतिहास उपलब्धियों से भरा हुआ है। इस संस्थान से शिक्षा प्राप्त अनेक पूर्व छात्र विश्व भर में संगीत शिक्षा एवं प्रदर्शन के क्षेत्र में अपना सक्रिय योगदान दे रहे हैं। विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त होने से संस्थान को न केवल शहर के वरन् राज्य एवं समस्त विश्व से आने वाले छात्रों को उच्च गुणवत्ता की संगीत शिक्षा, प्रशिक्षण प्रदान करने एवं उनकी प्रतिभा निखारने का अवसर प्राप्त हुआ है। श्रीलंका, नेपाल तथा मध्य पूर्वी एशियाई देशों के अनेक छात्र प्रत्येक वर्ष यहाँ शिक्षा प्राप्त करने आते है, इनमें से कई आई. सी. सी. आर. छात्रवृत्ति का लाभ भी प्राप्त करते है।
चित्र दीर्घा
[संपादित करें]प्रमुख पूर्वछात्र-छात्राएँ
[संपादित करें]- बेग़म अख़्तर
- लीला देसाई
- अनूप जलोटा
- कनिका कपूर
- तलत महमूद
- सरस्वती देवी, फिल्म संगीतकार
- के जी गिंदे - गायक
- वी.जी.जोग
- शैनो खुराना
- नंदा मालिनी, श्री लंका अिंगर
- अमित मिश्रा
- सुमाती मुताकर
- सनथ नंदासिरी, श्रीलंका के संगीतकार
- कल्पना पटवरी
- रोशन, फिल्म संगीतकार
- सुनील संथा, श्रीलंकाई संगीतकार
- पहारी सान्याल
- सी.आर.व्यास
- मालिनी अवस्थी
- उस्ताद जूल्फिकर हुसैन
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Bhatkhande Music Institute" (अंग्रेज़ी में). विश्वविद्यालय अनुदान आयोग. मूल से 16 सितंबर 2011 को पुरालेखित.
- ↑ "भातखण्डे संगीत महाविद्यालय का आधिकारिक जालस्थल". मूल से 21 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2010.
- ↑ Sir William S Marris, K.C.S.I.., K.C.I.E., C.I.E, Governor of U.P. (1922-1928) Archived 30 जनवरी 2010 at the वेबैक मशीन Governor of Uttar Pradesh website.
- ↑ "10-day Lucknow Mahotsava begins". Indian Express. 26 November 2005. मूल से 25 जून 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मई 2018.