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ब्लॉकचेन तकनीक एक ऐसी तकनीक है जिसमें क्रेता विक्रेता के मध्य सीधा ही पैसे का स्थानान्तरण किया जाता है इस ट्रांजेक्शन में किसी भी बिचौलिए की आवश्यकता नहीं होती है। वर्तमान में दो लोगों के मध्य पैसों का स्थानान्तरण तीसरे पक्ष के माध्यम से ही होता है यह तीसरे पक्ष जैसे बैंक, पेपल , मनी ट्रान्सफर आदि होती हैं और हमें इन लेनदेन के लिए सेवा शुल्क अधिक देना होता है, जबकि ब्लॉकचेन में तीसरे पक्ष की आवश्यकता नहीं होती है। ब्लॉकचेन तकनीक में किये गये ट्रांजेक्शन में बहुत कम समय लगता है। इसके अलावा ब्लॉकचेन पूर्ण रुप से सुरक्षित है।
2008-09 में बिटक्वाइन टेक्नोलॉजी द्वारा लाॅन्च की गई यह तकनीक बेहद जटिल है। इसे हैक करना मुश्किल समझा जाता है और यह कभी भी हुए सभी डिजिटल ट्रांजेक्शन का ब्योरा रखती है। साइबर क्राइम और हैकिंग को रोकने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक को फुलप्रूफ सिस्टम के तौर पर जाना जाता है।
ब्लॉकचेन वितरित डाटा बेस होती है इसमें लगातार कई रिकार्ड्स को संधारित किया जाता है जिन्हें ब्लॉक कहते हैं जिसमे प्रत्येक ब्लॉक अपने पूर्व के ब्लॉक से लिंक रहता है। इस तकीनीकी में हजारों कंप्यूटर पर इन्क्रिप्टेड अथवा गुप्त रूप से डाटा सुरक्षित रहता है इसे पब्लिक लेजर भी कहते हैं। इसे हैक करने के लिए सभी हजारो कंप्यूटर में एक साथ साइबर अटैक करना होगा जो की नामुमकिन है
ब्लॉकचैन डिजिटल करेंसी बिटक्वाइन पर आधारित है। बिटक्वाइन मुद्रा विकेंद्रित क्रिप्टो करेंसी होती है। जिसे कभी भी कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे सातोशी नाकामोतो ने खोजा था यह मुद्रा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। सन 2009 में जहाँ एक बिटक्वाइन की कीमत 5 रु थी वहीं आज की तारीख सन 2019में एक बिटक्वाइन की कीमत लगभग 500000रु से अधिक है। बिटक्वाइन पर किसी व्यक्ति, सरकार या कम्पनी का स्वामित्व नहीं होता है। इस कारण कभी किसी तरह की बेईमानी होती है तो उस पर कोई कार्यवाही भी नहीं हो सकती क्योकि यह सरकार के कण्ट्रोल में नहीं है और सुरक्षित होने के कारण ड्रग्स स्मगलिंग आदि आपराधिक कार्यों में इसका दुरूपयोग बढ़ रहा है। भारत में इसका उपयोग कानूनी है।
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