ब्रज के घाट

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ब्रज में मथुरा, वृन्दाबन, महाबन और गोकुल आदि स्थानों में यमुना नदी पर अनेक धाच निर्मित हैं। इनसे स्नानार्थियों को सुविधा होने के साथ ही साथ यमुना तट के सौंदर्य की भी बृद्धि होती है। वर्तमान काल में यहां पर वहुसख्यक घाट निर्मित हैं, किन्तु पहिले इनकी संखया अल्प थी, कवि जगतनंद ने ब्रज १६ पुराने घाटों का नाम उल्लेख किया है। उनके समय में अरथात १७ वीं शताबदी में यहां पर नये घाट भी निर्मित किये गये थे, जिनकी संख्या कालान्तर में कृमशः वढ़ती रही है।

पुराने घाट[संपादित करें]

कवि जगतनंद द्वारा उल्लखित पुराने घाटों के नाम निम्नलिखित हैं -

(१) व्रमहांड घाट (महाबन), (२) गौ घाट, (३) गोविन्द घाट, (४) ठकुरानी घाट, (५) यशोदा घाट, (६) उत्तरेश्वर घाट (गोकुल), (७) वैकुंठ घाट, (८) विश्रांत घाट, (९) प्रयाग घाट, (१०) बंगाली घाट (मथुरा), (११) राम घाट, (१२) केशी घाट, (१३) विहार घाट, (१४) चीर घाट, (१५) नंद घाट औ (१६) गोप घाट (वृन्दाबन) १

इस समय मथुरा के घाटों की संख्या विश्राम घाट सहित २५ है। इनमें से १२ घाट विश्राम घाट के उत्तर दिशा में हैं और १२ उसके दक्षिण में हैं। वृन्दाबन में कलियदह से केसीघाट तक अनेक घाट हैं, जिनकी संख्या लगभग ३५ है। इसी प्रकार गोकुल और महाबन में भी कई प्राचीन और प्रसिद्ध घाट निर्मित हैं। ये सब घाट सुन्दर लाल बलुआ प्रस्तर से निर्मित हैं। इनमें से बहुतों पर कलापूर्ण बुर्जियां और छतरियाँ भी निर्मित हैं। इन्हे समय-समय पर अनेक श्रद्धालु राजा-महाराजाओं और समृद्ध व्यक्तियों ने निर्मित कराया है। पिछले अने वर्षो से यमुना नदी ने बहुत घाटों को छोड़ दिया है, जिससे वे शोभाहीन होकर भग्वानस्था में उपेक्षित पड़े हुए हैं। अब भी जव वर्षा ॠतु में यमुना का फैलाव बढ़ जाता है, तब उसका प्रवाह इन सभी धाटों पर होने लगता है। उस समय यमुना तट की जो अनुपम शोभा होती है, ससे दर्शनों का मन मुग्ध हो जाता है।