बौंडी
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बौंडी भारत का राज्य उत्तर प्रदेश के जिला बहराइच का एक कस्बा है। कस्बे में ही इस क्षेत्र का थाना है। यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र है। यह क्षेत्र १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से पहले अवध क्षेत्र में एक छोटी सी रियासत थी। जिसे बौंडी रियासत कहते थे। यहां के राजा हरदत्त सिंह सवाई आज़ादी की लड़ाई में शहीद हो गए थे। [1]
बौंडी بوںڈی Baundi | |
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कस्बा | |
थाना बौण्डी | |
उपनाम: राजा बौंडी | |
ध्येय: थाना | |
निर्देशांक (Baundi): 27°27′30″N 81°24′30″E / 27.45833°N 81.40833°E | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिला | बहराइच |
तहसील | महसी |
ब्लाॅक | फखरपुर |
डाकघर | बौंडी |
ग्राम पंचायत | बौण्डी |
संस्थापक | राजा हरदत्त सिंह सवाई |
नाम स्रोत | राजा हरदत्त सिंह |
लोकतांत्रिक | ग्राम पंचायत |
तहसील | महसी |
शासन | |
• प्रणाली | लोकतांत्रिक |
• सभा | ग्राम पंचायत |
• ग्राम प्रधान | सरवजीत सिंह (निर्दलीय) |
• विधायक | सुरेश्वर सिंह |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 626.45 हे (1548.2140570444 एकड़) |
ऊँचाई | 121 मी (396.982 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 6,553 |
भाषा | |
• अधिकारिक भाषा | हिंदी |
अन्य भाषा | |
• बोलचाल की भाषा | हिंदी उर्दू अवधी अंग्रेजी |
समय मण्डल | आईएसटी (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 271902 |
एसटीडी कोड | 05251 |
वाहन पंजीकरण संख्या | यूपी 40 |
भूगोल सूचक संख्या | 171844 |
इतिहास
[संपादित करें]यहां ऐतिहासिक पृष्ठों में अनेक गौरवशाली कथाएं सिमटी पड़ी हैं। जंग-ए-आजादी की यादें ताजा करने के लिए बहराइच का योगदान खासा अहमियत रखती है। बौंडी किला आजादी की लड़ाई का गवाह रहा है।[2]
आजादी की लड़ाई में चहलारी रियासत के नरेश बलभद्र सिंह[3] बौंडी रियासत के नरेश हरदत्त सिंह सवाई एवं रेहुआ स्टेट (रेहुवा रियासत)[4] के राजा गजपति देव सिंह वीरगति को प्राप्त हुए थे। चहलारी नरेश बलभद्र सिंह व बौंडी नरेश हरदत्त सिंह सवाई जब अंग्रेजों से लड़ रहे थे तो बौंडी किले में रियासतों की रणनीति तैयार की जाती थी। किले के सामने से जांबाजों ने बरतानिया हुकूमत के खिलाफ हुंकार भरी थी। भारत माता की जय, इंक़लाब ज़िन्दाबाद के नारे किले को देखकर आज भी लोगों की जेहन में गूंज उठते हैं। क्रांतिकारियों के जज्बे की किले की दीवारें आज भी कहानी कह रही हैं। 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की चिंगारी जब अवध से फूटी तो बौंडी भी पीछे नहीं रहा। 16 नवंबर 1857 को अंग्रेजी हुकूमत ने लखनऊ की नवाबी सेना को परास्त किया। अंग्रेजों से बचकर लखनऊ की बेगम हजरत महल अपने बेटे बिरजिस क़द्र के साथ लखनऊ से महमूदाबाद, रामपुर मथुरा होते हुए घाघरा नदी पार कर बौंडी पहुंचीं। यहां के राजा हरदत्त सिंह सवाई ने उन्हें शरण दी। बेगम ने इसी किले को अपना मुख्यालय बनाया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का संचालन करने लगीं। अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए बौंडी के किले में ही रुइया के राजा नरपति सिंह शंकरगढ़ के राजा बेनी माधव सिंह नानपारा के नवाब कल्लू खां गोंडा के राजा देवीबख्श सिंह क्रांति के महानायक नाना साहब पेशवा, चर्दा के राजा जगजीत सिंह ने संकल्प किया था। यहां बने हरदत्त सिंह सवाई के दर्जनों किलो को अंग्रेजों ने तोपों से तहस-नहस कर दिया था, लेकिन आज भी यहां बना बौंडी किला 1857 के गदर का गवाह बना हुआ है। बौंडी का इतिहास कई इतिहासकारों की रचनाओं में वर्णित है। इसमें अवध का इतिहास अमृतलाल नागर कृति "गदर के फूल"[5] व टीकाराम त्रिपाठी रचित "बौंडी के अतीत" में देखने को मिलता है।
क्षेत्रफल
[संपादित करें]बौंडी गाँव उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है, जिसमें राज्य कोड 09 है और गाँव का कोड 171844 है। बहराइच इस गाँव का जिला है जिसमें जिला कोड 180 है। कुल भौगोलिक क्षेत्र जिसमें इस गाँव का विस्तार 626.54 लाख वर्ग 6.2654 वर्ग में है। किलोमीटर (किमी 2) 1548.2140570444 एकड़ है।
जनसंख्या
[संपादित करें]बौंडी कस्बे की कुल जनसंख्या 6853 है। भारत की जनगणना 2011 के मुताबिक [6]
भूगोल
[संपादित करें]निर्देशांक 27°27′30″N 81°24′30″E / 27.45833°N 81.40833°E [7]
भाषा
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
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- ↑ "बौंडी की खबरें यहां दखें". livehindustan.com. अभिगमन तिथि 25 मई 2020.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "बौंडी का इतिहास". jangan.com. अभिगमन तिथि 25 मई 2020.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "चहलारी नरेश ने दे दी थी जान की आहुति". amarujala.com. मूल से 21 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 मई 2020.
- ↑ "राजाओं के सपने 63 साल बाद भी अधूरे". amarujala.com. मूल से 24 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 मई 2020.
- ↑ "गदर के फूल " क्यों इस किताब को हमें पढ़ना चाहिए". hindidakiya.com. अभिगमन तिथि 28 मई 2020.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "Baundi Village Map". villagemap.in. अभिगमन तिथि 28 मई 2020.
- ↑ "बौंडी की खबरें". raftaar.in. मूल से 22 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 मई 2020.