बेमेतरा
बेमेतरा | |
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नगर | |
निर्देशांक: 21°43′N 81°32′E / 21.72°N 81.53°E | |
देश | भारत |
राज्य | छत्तीसगढ़ |
विभाग | दुर्ग |
जिला | बेमेतरा |
जिला गठन | 1 जनवरी 2012 |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 11.82 किमी2 (4.56 वर्गमील) |
ऊँचाई | 278 मी (912 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 28,536 |
• घनत्व | 2,400 किमी2 (6,300 वर्गमील) |
समय मण्डल | IST (UTC+5:30) |
पिन | 491335 |
दूरभाष कोड | 07824 |
वाहन पंजीकरण | CG‑25 |
वेबसाइट | bemetara.gov.in |
बेमेतरा छत्तीसगढ़ राज्य का एक जिला मुख्यालय है जो राज्य के मध्यवर्ती भाग में स्थित है। यह 1 जनवरी 2012 को दुर्ग जिले से अलग होकर एक स्वतंत्र जिला बना। यह नगर प्रशासन, कृषि, शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
इतिहास
[संपादित करें]बेमेतरा क्षेत्र प्राचीन काल में मौर्य साम्राज्य के अधीन था, और बाद में यह मराठों तथा ब्रिटिश शासकों के शासन में रहा। बेमेतरा पूर्व में दुर्ग जिले का हिस्सा था, लेकिन प्रशासनिक सुविधा के उद्देश्य से 2012 में इसे अलग जिले के रूप में गठित किया गया।
भौगोलिक स्थिति
[संपादित करें]बेमेतरा छत्तीसगढ़ के मैदानी भाग में स्थित है, जिसकी औसत ऊँचाई 278 मीटर है। इसके चारों ओर उपजाऊ कृषि भूमि फैली हुई है। यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जिसमें गर्मी, वर्षा और सर्दी तीनों ऋतुएँ स्पष्ट रूप से देखने को मिलती हैं।
जलवायु
[संपादित करें]बेमेतरा में गर्मी का तापमान 30°C से 47°C तक पहुँचता है, जबकि सर्दियों में तापमान 8°C से 20°C तक रहता है। वार्षिक वर्षा लगभग 1300–1400 मिमी होती है, जो मुख्यतः दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है।
जनसंख्या और भाषा
[संपादित करें]2011 की जनगणना के अनुसार बेमेतरा नगर की जनसंख्या लगभग 28,500 है। पूरे जिले की जनसंख्या लगभग 8 लाख के आसपास है। यहाँ की प्रमुख भाषा हिन्दी है, जबकि आम बोलचाल में छत्तीसगढ़ी का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है।
प्रशासनिक संरचना
[संपादित करें]बेमेतरा जिला 4 विकासखंडों में विभाजित है — बेमेतरा, नवागढ़, साजा और बेरला। जिले में 387 ग्राम पंचायतें हैं और कुल 702 गाँव हैं। यहाँ का प्रशासनिक कार्य जिला कलेक्टर द्वारा संचालित होता है।
अर्थव्यवस्था
[संपादित करें]बेमेतरा की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। यहाँ के किसान मुख्य रूप से धान, गेहूँ, चना, सरसों जैसी फसलें उगाते हैं। इसके अलावा बकरी पालन, डेयरी, और सूक्ष्म उद्यम जैसे ईंट निर्माण, लकड़ी का काम, बांस हस्तशिल्प आदि भी यहाँ की अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं।
कृषि और सिंचाई
[संपादित करें]यहाँ की भूमि अत्यंत उपजाऊ है। लगभग 60% क्षेत्र सिंचित है, जहाँ नलकूप, तालाब और माइक्रो इरिगेशन योजनाओं का प्रयोग किया जाता है। कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग किसानों को नवीन तकनीक, बीज और उर्वरकों की जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
शिक्षा
[संपादित करें]बेमेतरा जिले में शिक्षा की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। यहाँ शासकीय और निजी विद्यालयों के साथ-साथ अनेक महाविद्यालय भी संचालित हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- ठाकुर महाराज सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय
- समाधान महाविद्यालय
- कोदूराम दलित महाविद्यालय
- शासकीय कन्या महाविद्यालय
स्वास्थ्य सेवाएँ
[संपादित करें]बेमेतरा में जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अनेक निजी अस्पताल संचालित हैं। कोविड-19 के दौरान यहाँ के चिकित्सा ढाँचे ने प्रभावी कार्य किया।
परिवहन
[संपादित करें]बेमेतरा सड़क मार्ग द्वारा रायपुर, दुर्ग, कवर्धा, बिलासपुर आदि शहरों से भलीभाँति जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें तथा निजी वाहन यहाँ से नियमित चलते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन तिल्दा, रायपुर और दुर्ग हैं। निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा, रायपुर (85 किमी) दूर स्थित है।
संस्कृति और परंपरा
[संपादित करें]बेमेतरा में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। यहाँ के प्रमुख त्योहार हैं:
- हरेली, तीजा, पोला, दीपावली, होली, नवाखाई, मंडई
- लोकनृत्य: पंथी, राउत नाचा, करमा
- पारंपरिक व्यंजन: चीला, फरा, अंगाकर रोटी
पर्यटन स्थल
[संपादित करें]- **भद्रकाली मंदिर** – यह बेमेतरा शहर के समीप स्थित प्राचीन मंदिर है, जो स्थानीय श्रद्धा का केंद्र है।
- **सीता देवी मंदिर**, देओरबीजा – ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल।
- **सहसपुर शिव मंदिर** – मध्यकालीन काल में निर्मित शिवालय।
जिला विशेषताएँ
[संपादित करें]- बेमेतरा छत्तीसगढ़ के उन जिलों में है जहाँ ग्राम पंचायतों का डिजिटलीकरण सबसे तेज़ी से हुआ है।
- महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम जैसे समूह गठन, स्वरोज़गार योजनाएँ यहाँ सक्रिय रूप से संचालित की जाती हैं।
- 2025 में बेमेतरा जिला ने स्कूलों में डिजिटल लर्निंग के लिए टेबलेट वितरण योजना लागू की है।
प्रसिद्ध व्यक्ति
[संपादित करें]- डॉ. भगवानदास चंद्राकर – साहित्यकार और समाजसेवी
- पं. पवन द्विवेदी – शिक्षक व स्थानीय इतिहास विशेषज्ञ
देखें भी
[संपादित करें]संदर्भ
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