बृहस्पतिवार व्रत कथा
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![]() बृहस्पति व्रत | |
आधिकारिक नाम | बृहस्पति |
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अन्य नाम | बृहस्पति |
अनुयायी | हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी |
प्रकार | Hindu |
समान पर्व | सप्ताह के अन्य दिवस |
यह उपवास सप्ताह के दिवस बृहस्पतिवार व्रत कथा को रखा जाता है। किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र और गुरुवार के योग के दिन इस व्रत की शुरुआत करना चाहिए। नियमित सात व्रत करने से गुरु ग्रह से उत्पन्न होने वाला अनिष्ट नष्ट होता है।
कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बृहस्पति देव से प्रार्थना करनी चाहिए। पीले रंग के चन्दन, अन्न, वस्त्र और फूलों का इस व्रत में विशेष महत्व होता है।[1]
विधि[संपादित करें]
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। शुद्ध जल छिड़ककर पूरा घर पवित्र करें। घर के ही किसी पवित्र स्थान पर बृहस्पतिवार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। तत्पश्चात पीत वर्ण के गन्ध-पुष्प और अक्षत से विधिविधान से पूजन करें। इसके बाद निम्न मंत्र से प्रार्थना करें-[2]
धर्मशास्तार्थतत्वज्ञ ज्ञानविज्ञानपारग। विविधार्तिहराचिन्त्य देवाचार्य नमोऽस्तु ते॥
तत्पश्चात आरती कर व्रतकथा सुनें।[3]
इस दिन एक समय ही भोजन किया जाता है। नमक न खाएं। बृहस्पतिवार के व्रत में कन्दलीफल (केले) के वृक्ष की पूजा की जाती है।[4]
बृहस्पतिवार व्रत कथा[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "पहली बार रखने जा रहे हैं गुरुवार व्रत, इस विधि से करेंगे पूजा तो प्रसन्न होंगे भगवान विष्णु". अभिगमन तिथि 25 नवम्बर 2021.
- ↑ "बृहस्पतिवार को करें इन मंत्रों का जाप, दूर होंगे सभी कष्ट". अभिगमन तिथि 8 जुलाई 2021.
- ↑ "श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा". अभिगमन तिथि 20 मई 2022.
- ↑ "इस विधि से करें बृहस्पति देव की पूजा और व्रत-कथा". अभिगमन तिथि 21 जनवरी 2021.