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बृहदीश्वर मन्दिर

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बृहदीश्वर मन्दिर
Brihadisvara temple complex is a part of the UNESCO World Heritage Site known as the Great Living Chola Temples
बृहदीश्वर मंदिर प्रांगण
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
देवताशिव
त्यौहारमहाशिवरात्रि
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितितंजावुर, तमिलनाडु
राज्यतमिलनाडु
देशभारत
बृहदीश्वर मन्दिर is located in तमिलनाडु
बृहदीश्वर मन्दिर
तमिलनाडु में अवस्थिति
बृहदीश्वर मन्दिर is located in भारत
बृहदीश्वर मन्दिर
बृहदीश्वर मन्दिर (भारत)
भौगोलिक निर्देशांक10°46′58″N 79°07′54″E / 10.78278°N 79.13167°E / 10.78278; 79.13167निर्देशांक: 10°46′58″N 79°07′54″E / 10.78278°N 79.13167°E / 10.78278; 79.13167
वास्तु विवरण
शैलीद्रविड़ शैली
निर्माताराजा राज चोल-I
निर्माण पूर्ण1010 AD[1][2]
अभिलेखतमिल और ग्रन्थ लिपियाँ
अवस्थिति ऊँचाई66 मी॰ (217 फीट)
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
आधिकारिक नामबृहदीश्वर मन्दिर प्रांगण, तंजावुर
भागGreat Living Chola Temples
मानदंडसांस्कृतिक: (ii), (iii)
सन्दर्भ250bis-001
शिलालेख1987 (11वाँ सत्र)
खतरे वर्ष2004
क्षेत्र18.07 हे॰ (44.7 एकड़)
मध्यवर्ती क्षेत्र9.58 हे॰ (23.7 एकड़)
बृहदीश्वर मंदिर का प्रवेश द्वार

बृहदीश्वर (या वृहदीश्वर) मन्दिर या राजराजेश्वरम् तमिलनाडु के तंजौर में स्थित एक हिंदू मंदिर है जो 11वीं सदी के आरम्भ में बनाया गया था। इसे पेरुवुटैयार कोविल भी कहते हैं। यह मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट नि‍र्मि‍त है। विश्व में यह अपनी तरह का पहला और एकमात्र मंदिर है जो कि ग्रेनाइट का बना हुआ है। यह अपनी भव्यता, वास्‍तुशिल्‍प और केन्द्रीय गुम्बद से लोगों को आकर्षित करता है। इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है।[3]

इसका निर्माण 1003-1010 ई. के बीच चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने करवाया था। उनके नाम पर इसे राजराजेश्वर मन्दिर का नाम भी दिया जाता है। यह अपने समय के विश्व के विशालतम संरचनाओं में गिना जाता था। इसके तेरह (13) मंजिलें भवन (सभी हिंदू अधिस्थापनाओं में मंजिलो की संख्या विषम होती है।) की ऊँचाई लगभग 66 मीटर है। मंदिर भगवान शिव की आराधना को समर्पित है।

यह कला की प्रत्येक शाखा - वास्तुकला, पाषाण व ताम्र में शिल्पांकन, प्रतिमा विज्ञान, चित्रांकन, नृत्य, संगीत, आभूषण एवं उत्कीर्णकला का भंडार है। यह मंदिर उत्कीर्ण संस्कृततमिल पुरालेख सुलेखों का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर के निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती। शिखर पर स्वर्णकलश स्थित है। जिस पाषाण पर यह कलश स्थित है, अनुमानत: उसका भार 2200 मन (88 टन) है और यह एक ही पाषाण से बना है। मंदिर में स्थापित विशाल, भव्य शिवलिंग को देखने पर उनका वृहदेश्वर नाम सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होता है।

मंदिर में प्रवेश करने पर गोपुरम्‌ के भीतर एक चौकोर मंडप है। वहां चबूतरे पर नन्दी जी विराजमान हैं। नन्दी जी की यह प्रतिमा 6 मीटर लंबी, 2.6 मीटर चौड़ी तथा 3.7 मीटर ऊंची है। भारतवर्ष में एक ही पत्थर से निर्मित नन्दी जी की यह दूसरी सर्वाधिक विशाल प्रतिमा है। तंजौर में अन्य दर्शनीय मंदिर हैं- तिरुवोरिर्युर, गंगैकोंडचोलपुरम तथा दारासुरम्‌।

छबिदीर्घा

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सन्दर्भ

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  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; britbrihadthanj नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; mitchell नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  3. बृहदेश्वर मंदिर- दक्षिण भारत की वाjhyfhijस्तुकला की एक भव्य मिसाल

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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