बुटाटी धाम

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बुटाटी धाम , राजस्थान में नागौर से 52 किलोमीटर दूर अजमेर-नागौर मार्ग पर कुचेरा क़स्बे के पास स्थित है। इसे यहाँ 'चतुरदास जी महाराज के मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर वस्तुतः चतुरदास जी की समाधि है।[1]

इतिहास[संपादित करें]

मान्यता है कि लगभग पांच सौ साल पहले संत चतुरदास जी का यहाँ पर निवास था। चारण कुल में जन्में वे एक महान सिद्ध योगी थे और अपनी सिद्धियों से लकवा के रोगियों को रोगमुक्त कर देते थे। आज भी लोग लकवा से मुक्त होने के लिए इनकी समाधि पर सात फेरी लगाते हैं। यहाँ पर देश भर से प्रतिवर्ष लाखों लकवा मरीज एवं अन्य श्रद्धालु विशेष रूप से एकादशी एवं द्वादशी के दिन आते है।[2]

उत्सव[संपादित करें]

यहाँ हर माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मेला लगता है। इसके अतिरिक्त वैशाख , भादो और माघ महीने में पूरे महीने के विशेष मेलों का आयोजन होता है।

सप्त परिक्रमा[संपादित करें]

यह मंदिर सप्त परिक्रमा द्वारा लकवा के रोग से मुक्त कराने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ लकवा के मरीजों को सात दिन का प्रवास करते हुए रोज एक परिक्रमा लगानी होती है। सुबह की आरती के बाद पहली परिक्रमा मंदिर के बाहर तथा शाम की आरती के बाद दूसरी परिक्रमा मंदिर के अन्दर लगानी होती है। ये दोनों परिक्रमा मिलकर पूरी एक परिक्रमा कहलाती है। सात दिन तक मरीज को इसी प्रकार परिक्रमा लगानी होती है

यहाँ मरीज के परिजन नियमित लगातार 7 मन्दिर की परिक्रमा लगवाते हैं- हवन कुण्ड की भभूति लगाते हैं और बीमारी धीरे-धीरे अपना प्रभाव कम कर देती है। शरीर के अंग जो हिलते डुलते नहीं हैं वह धीरे-धीरे काम करने लगते हैं।[3]

बुटाटी की स्थापना 1600 ई की शुरूआत में की गई पैराणिक कथा बुजुर्गो के अनुसार बुरा लाल शर्मा (दायमा) नामक बाह्मण ने बुटाटी की स्थापना की उसी के नाम पर बुटाटी का नामाकरण हुआ इसके बाद बुटाटी पर राजपुतो का अधिकार हो गया। बुटाटी पर भौम सिंह नामक राजपुत ठाकुर साहब ने इस पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया उसके बाद बुटाटी नये नाम भौम सिंह जी की बुटाटी के नाम से जानी जाने लगी !

ग्राम में पश्चिम दिशा की ओर संत श्री चतुरदास जी महाराज का मंदिर है यह मंदिर आस्था का प्रमुख केन्द्र है इस मंदिर में लकवा पिडीत व्यक्ति मात्र सात परिक्रमा में एकदम स्वस्थ हो जाता है

*भवन* और *सुविधाएं*[संपादित करें]

इस मंदिर परिसर के चारों ओर चार दीवारी व दरवाजे बने हुए हैं। मंदिर में बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए बिस्तर,भोजन, पीने के लिए ठण्डा पानी,खाना बनाने के लिए सामान व बर्तन,जलाने के लिए लकड़ी सात दिन रूकने के लिए कमरे आदि व्यवस्थाएं निःशुल्क हैं।

नहाने धोने के लिए मंदिर परिसर में उचित व्यवस्था है। यहां एक सुलभ शौचालय भी बना हुआ है। मंदिर परिसर में पानी की एक बड़ी टंकी तथा पानी ठंडा करने के लिए जगह-जगह ठंडे पानी की मशीनें लगी हैं। मंदिर परिसर की बाहर की ओर लगभग 100 दुकानें हैं। निवास के लिए यहाँ सुविधायुक्त धर्मशालाएं हैं। यात्रियों को जरुरत का सभी सामान बिस्तर,राशन,बर्तन,जलावन की लकड़ियाँ आदि निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं।

मंदिर समिति[संपादित करें]

मंदिर की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने का दायित्व मंदिर ट्रस्ट का है इसके लिए एक समिति है जिसमें एक अध्यक्ष सहित ५० सदस्य हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Butati Dham Rajasthan: बुटाटी धाम श्री चतुरदास जी महाराज का संपूर्ण इतिहास और जानकारी". बुटाटी धाम. अभिगमन तिथि 2024-04-07.
  2. "Butati Temple: राजस्थान के बुटाटी मंदिर में लकवा रोग से सात दिन में मिलती है मुक्ति, जानें मान्यता और इतिहास". अमर उजाला. अभिगमन तिथि 2023-01-30.
  3. "..राजस्थान का ऐसा चमत्कारिक मंदिर, जहां 7 दिनों में लकवाग्रस्त व्यक्ति हो जाता है ठीक, ये है यहां की मान्यता | Paralysis Treatment Temple in Rajasthan : Butati Dham". पत्रिका. 2019-03-16. अभिगमन तिथि 2023-01-30.
  1. राजस्थान की बुटाटी धाम मंदिर में लगी आग | Fire In Butati Dham Temple. बुटाटी धाम मंदिर. अभिगमन तिथि 2023-08-03.