बुज़-बाज़

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बुज़-बाज़ उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में पाई जाने वाली एक संगीत कठपुतली परंपरा है। इस परंपरा में कठपुतली एक बकरी होती है जिसे चालक की कलाई से जुड़े एक धागे द्वारा नियंत्रित किया जाता है। बकरी को पूरी तरह से लकड़ी से उकेरा गया है और उसपर सौन्दर्य के लिए रंगबिरंगे चूर्ण और कभी-कभी घंटियाँ लगाई जाती है। बकरी दो चीजों का चिह्न है: एक मारखोर अर्थात बदख्शन में रहने वाली बकरी जो सांप खाती है, और दूसरा प्राचीन विश्वास कि पहाड़ी बकरियों के पास जादुई शक्तियाँ थीं।

बकरी के अलावा पारंपरिक अफगान संगीत भी शामिल होता है जो प्रदर्शन के दौरान बजता है। बकरी संगीत के साथ ताल में रहता है क्योंकि उसे दोंबरा नामक एक वाद्ययंत्र से जोड़ा रखा जाता है। यह संभव हो पाता है क्योंकि बकरी एक मंच पर होती है जिसमें एक पाइप के माध्यम से एक तार जुड़ा हुआ होता है। तो कठपुतली ना केवल बकरी के नियंत्रण में है बल्कि साथ ही साथ अपना दोंबरा भी बजाती है।

सूत्र[संपादित करें]

  • JSTOR: बज़- बाज: मार्क स्लोबिन द्वारा उत्तरी अफगानिस्तान का एक संगीतमय कठपुतली
  • http://afghanistan.wesleyan.edu . Archived 2011-01-04 at the वेबैक मशीन पर मार्क स्लोबिन द्वारा टी हाउस संगीत