बी.आर.पी.एल. उपनगरी

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साठ और सत्तर के दशकों में भारत सरकार देश के विकास के लिए भारी उद्योगों की स्थापना करने की

नीति अपनाई थी। यह नीति भारत में एक औद्योगीकरण का दौर आरंभ कर दिया। इसी नीति का

परिणाम था कि सन 1971 में बोंगाइगाँव रिफाईनरी एवं पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड का शीलान्यास हुया।

इस परिष्करणशाला में काम करने के लिए हज़ारों कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी थी।

परंतु देश के विभिन्न भागों से आने वाले इन कर्मचारियों तथा उनके परिवारजनों के लिए रहने की

व्यवस्था करने की आवश्यक्ता थी। परिणामस्वरूप, सन 1974 ढालिगाँव; जिला चिरांग (उस समय

ग्वालपाड़ा जिला) में बी.आर.पी.एल. उपनगरी की स्थापना हुई। इस उपनगरी का निर्माण कार्य सन

1972 में आरंभ हुया। शुरूआती दौर में यहाँ बहुत कम क्वाटर थे। कर्मचारी तथा उनके परिवारजनों के

इलाज के लिए 15 बिस्तरों वाला बी.आर.पी.एल. अस्पताल की स्थापना की गई।

इस दौरन नए नए प्लांट बनते गए और कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने लगी। अत:

अधिकाधिक क्वाटरों की आवश्यक्ता थी। इसलिए नए क्वाटरों के निर्माण किए गए और आज कुल

क्वाटरों की संख्या 1200 से भी अधिक हैं एवं और भी नए क्वटरों का निर्माण कार्य चल रहा है।

आज इस उपनगरी के लोगों के लिए हर तरह की सुविधाएँ मौजूद हैं। कम दरों में चौबीस घंटे बीजली

मिलती है। नलों से दिनभर शुध्द शीतल जल बहता है, खेल कूद के लिए एक विशाल मैदान है जहाँ

क्रिकेट, फूटबॉल, आदी खेले जा सकते हैं। साथ ही साथ वालीबॉल, टेबुलटेनीस, लॉनटेनीस,

बास्केटबॉल और बैडमिनटन खेलने की सुविधाएं भी हैं। सन 1974 में बना वह छोटा सा चिकित्सालय

आज एक विशाल रूप धारण कर लिया है जो आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकियों से लैस है। यहाँ

विभिन्न क्षेत्र (शाखा) के चिकित्सक एवं सुप्रशिक्षित नर्स हैं। इस उपनगरी की सड़कें बहुत अच्छी हैं।

यहाँ लगे तरह तरह के पेड़ और रंग बिरंगे फुलों के पौधे इसे हरा भरा और सुन्दर बनाते हैं। मनोरंजन

के लिए तीन बड़े बड़े उद्यन हैं। रिफाईनरी क्लब और चंपा क्लब में तरह तरह के समारोह के आयोजन

होते है। यहाँ के विद्यार्थियों को बाहर के स्कूलों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्यों कि वे

उपनगरी परिसर में स्थित स्कूले: डी.पी.एस., ढालिगाँव और बी.आर.पी.एल. विद्यालय में पढ़

सकते हैं। वे संगीत और चित्रकला की शिक्षा नाटकाचल संगीत महाविद्यालय में ग्रहण कर सकते हैं।

औपचारिक कार्यों में आने वाले मेहमानों का स्वागत यहाँ पर स्थित दो आरामदायक अतीथी गृहशलाओं

में होता है। रिफाईनरी क्लब में एक विशाल पुस्कालय भी है जहाँ तरह तरह की पुस्तकें, पत्रिकाएँ,

आदि पढ़ी जा सकती हैं। पूजा पाठ के लिए यहाँ पर कई भव्य मंदिरें भी हैं। आज जिस चीज की

सबसे ज्यादा जरूरत है, वह है सुरक्षा। इसका भी यहाँ पर पुख्ता इंतज़ाम है। उपनगरी के सुरक्षा गार्ड

सड़कों पर दिन रात गश्त लगाते रहते हैं।

प्रबंधन उपनगरी की साफ सफाई पर विशेष ध्यान देते हैं। नालों को साफ रखे जाते हैं, हर दिन

कुड़ेदानों की सफाई होती है, कीटनाशकों का छीड़काव किया जाता है और ऐसे तमाम काम किए जाते

हैं जिससे उपनगरी की सुंदरता एवं स्वच्छता बनी रहती है।

इस उपनगरी के लोगों में आपसी प्रेम और सदभावना थी और अभी भी है जिसके बदौलत एक छोटी

सी उपनगरी एक सुंदर एवं भव्य रूप लेने में कामयाब हुया और यही प्रेम और सदभावना भविष्य में

इसे और भी सुंदर और सुविधाजनक बनाएगा।

तुषार मुखर्जी।