बाल्कन अभियान
बाल्कन अभियान, प्रथम विश्व युद्ध | |||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|
प्रथम विश्व युद्ध का भाग | |||||||
| |||||||
योद्धा | |||||||
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]() ![]() ![]() ![]() | ||||||
सेनानायक | |||||||
रादोमिर पुतनिक फ्रांसीसी जनरल फ्रैंचेट द'एस्प्रे एलेफ्थेरिओस वेनिज़ेलोस |
ऑस्कर पोटीओरेक अगस्त वॉन मैकेनसेन बुल्गारियाई कमांडर | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
लगभग 7,00,000 | लगभग 9,00,000 |
बाल्कन अभियान, प्रथम विश्व युद्ध के सबसे शुरुआती और महत्वपूर्ण रंगमंचों में से एक था। बाल्कन को "यूरोप का बारूद का ढेर" कहा जाता था, क्योंकि यह क्षेत्र युद्ध के कारणों में से एक था। ऑस्ट्रिया-हंगरी और सर्बिया के बीच गहरे राजनीतिक और सांस्कृतिक तनाव ने पूरे क्षेत्र को युद्ध में झोंक दिया। सर्बियाई राष्ट्रवाद और ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य की सैन्य शक्ति के बीच यह संघर्ष यूरोप में बड़े पैमाने पर टकराव का कारण बना।
प्रारंभिक संघर्ष और सर्बियाई प्रतिरोध
[संपादित करें]1914 में ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या के बाद, ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। शुरुआत में, सर्बियाई सेना ने ऑस्ट्रिया-हंगरी की सेनाओं को पीछे धकेल दिया, लेकिन 1915 में बुल्गारिया के केंद्रीय शक्तियों में शामिल होने के बाद सर्बिया पर भारी दबाव पड़ा। बुल्गारिया ने मैसेडोनिया और सर्बिया के प्रमुख हिस्सों पर कब्जा कर लिया।[1]
सर्बियाई सेना ने मित्र राष्ट्रों की मदद से मोंटेनेग्रो और अल्बानिया के माध्यम से पीछे हटने की कोशिश की। यह पीछे हटना बहुत कठिन था और इसमें बड़ी संख्या में सर्बियाई सैनिक और नागरिक मारे गए। हालांकि, सर्बियाई सेना ने अपनी ताकत को बनाए रखा और मित्र राष्ट्रों के साथ अपने गठबंधन को मजबूत किया।[2]
मैसेडोनिया और रोमानिया में संघर्ष
[संपादित करें]मैसेडोनिया में, मित्र राष्ट्रों ने थेसालोनिकी के पास एक मजबूत मोर्चा स्थापित किया। फ्रांसीसी और ब्रिटिश सेनाओं ने बुल्गारियाई और जर्मन सेनाओं के खिलाफ कड़ा प्रतिरोध किया। 1916 में, रोमानिया ने भी मित्र राष्ट्रों के पक्ष में युद्ध में प्रवेश किया, लेकिन केंद्रीय शक्तियों ने उसे शीघ्र ही पराजित कर दिया। इसके बावजूद, रोमानियाई मोर्चा मित्र राष्ट्रों के लिए महत्वपूर्ण बना रहा।[2]
बुल्गारिया का पतन और युद्ध का अंत
[संपादित करें]1918 में मित्र राष्ट्रों ने मैसेडोनिया में एक बड़ा आक्रमण किया। फ्रांसीसी जनरल फ्रैंचेट द'एस्प्रे के नेतृत्व में इस आक्रमण ने बुल्गारियाई सेनाओं को निर्णायक रूप से हराया। बुल्गारिया ने सितंबर 1918 में आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे केंद्रीय शक्तियों की सैन्य स्थिति कमजोर हो गई। बुल्गारिया के पतन के साथ, मित्र राष्ट्रों ने बाल्कन क्षेत्र में पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया।[3]
परिणाम और प्रभाव
[संपादित करें]बाल्कन अभियान का परिणाम मित्र राष्ट्रों की विजय में महत्वपूर्ण था। सर्बिया और अन्य मित्र देशों को भारी नुकसान के बावजूद, उन्होंने केंद्रीय शक्तियों को बाल्कन क्षेत्र से बाहर धकेल दिया। युद्ध के बाद, बाल्कन क्षेत्र का राजनीतिक मानचित्र बदल गया, और कई नए राष्ट्र-राज्य स्थापित हुए। ऑस्ट्रिया-हंगरी और ओटोमन साम्राज्य का पतन इस क्षेत्र में स्थायी बदलाव का प्रतीक बना।[3]
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ "The War in the Balkans and the Middle East – Olin & Uris Libraries" (अमेरिकी अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 2025-01-28.
- ↑ अ आ "War in the Balkans / 1.1 / handbook". 1914-1918-Online (WW1) Encyclopedia (अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 2025-01-28.
- ↑ अ आ "Balkans - WWI, Conflict, Nations | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी भाषा में). 2025-01-14. अभिगमन तिथि: 2025-01-28.