बालाघाट
बालाघाट Balaghat | |
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बालाघाट जंक्शन रेलवे स्टेशन | |
निर्देशांक: 21°48′N 80°11′E / 21.80°N 80.18°Eनिर्देशांक: 21°48′N 80°11′E / 21.80°N 80.18°E | |
देश | भारत |
राज्य | मध्य प्रदेश |
ज़िला | बालाघाट ज़िला |
ऊँचाई | 288 मी (945 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 84,261 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 481001 |
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | IN-MP |
वाहन पंजीकरण | MP-50 |
वेबसाइट | www |
बालाघाट (Balaghat) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के बालाघाट ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]
नामोत्पत्ति
[संपादित करें]माना जाता है की इसे पहले "बूरा" या "बुरहा" के नाम से जाना जाता था और बाद मे इसका नाम बालाघाट पडा, परन्तु इस बात का कोई प्रामाणिक स्रोत नही है।
भूगोल
[संपादित करें]बालाघाट वैनगंगा नदी के किनारे दक्षिण–पूर्वी मध्य प्रदेश में स्थित है। यह सतपुड़ा पर्वतमाला के छोर पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ की त्रिकोणीय सीमा पर बसा है। इस जिले के 4950 वर्ग किमी ( 53%) भाग में वन है।
संस्कृति व भाषाएँ
[संपादित करें]बालाघाट की संस्कृति हिंदू और आदिवासी संस्कृतियों का मिश्रण है। बालाघाट में बोली जाने वाली मुख्य भाषा हिंदी है, लेकिन यहाँ कई आदिवासी भाषाएँ भी बोली जाती हैं, जैसे गोंडी, कोरकू और बैगा।
बालाघाट के कुछ सांस्कृतिक और भाषाई पहलू
धर्म : बालाघाट में अधिकांश लोग हिंदू हैं। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम, ईसाई और आदिवासी भी हैं जो अपने-अपने धर्मों का पालन करते हैं।
त्यौहार : बालाघाट में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्यौहारों में होली, दिवाली, दशहरा और शिवरात्रि शामिल हैं। यहां कई आदिवासी त्योहार भी मनाए जाते हैं, जैसे करम त्योहार, सकवारी त्योहार और बैसाखी त्योहार।
भाषाएँ : बालाघाट में बोली जाने वाली मुख्य भाषा हिंदी है। यहां कई जनजातीय भाषाएं भी बोली जाती हैं, जैसे गोंडी, कोरकू और बैगा।
भोजन : बालाघाट का भोजन हिंदू और आदिवासी व्यंजनों का मिश्रण है। बालाघाट के कुछ लोकप्रिय व्यंजनों में लाल मास, पीठा और थेपला शामिल हैं।
संगीत और नृत्य : बालाघाट का संगीत और नृत्य हिंदू और आदिवासी परंपराओं का मिश्रण है। बालाघाट के कुछ लोकप्रिय संगीत वाद्ययंत्रों में ढोल, नगाड़ा और सितार शामिल हैं। बालाघाट के कुछ लोकप्रिय नृत्यों में कर्मा नृत्य, सकवारी नृत्य और बैसाखी नृत्य शामिल हैं।
कृषि और खनिज
[संपादित करें]धान, मोटा अनाज और दलहन वैनगंगा नदी घाटी के उपजाऊ क्षेत्र में उगने वाली प्रमुख फ़सलें हैं। बालाघाट कृषि व्यापार और भारत सरकार का उपक्रम मैग्नीज और इंडिया लिमिटेड़ मैंगनीज खदान हैं। भरवेली और उक्वा यहाँ की मुख्य खदानें हैं। भरवेली एशिया की सबसे बड़ी मैंगनीज खदान हैं। साथ ही भारत सरकार की एक और कंपनी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड़ जो बालाघाट के मलाजखंड नगर पालिका के अंतरगत आता है। बालाघाट मैग्नीज नगरी के नाम से मशहूर है। बालाघाट को शिकारियों का स्वर्ग कहा जाता है।[3][4]
जनसंख्या
[संपादित करें]बालाघाट की वर्तमान जनसंख्या (2023) में लगभग 115,000 होने का अनुमान है। आखिरी आधिकारिक जनगणना 2011 में हुई थी और उस समय जनसंख्या 84,216 थी। हालाँकि, शहर हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ रहा है, और 2023 के लिए अनुमानित जनसंख्या 115,000 है।
आने वाले वर्षों में बालाघाट की जनसंख्या बढ़ने की उम्मीद है। यह शहर मध्य प्रदेश का एक प्रमुख वाणिज्यिक और औद्योगिक केंद्र है, और यह कई शैक्षणिक संस्थानों का घर भी है। परिणामस्वरूप, बालाघाट पूरे राज्य के लोगों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है।
2011 में, मंडला की जनसंख्या 1,054,905 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएं क्रमशः 525,272 और 529,633 थीं।[5]
बालाघाट नगर पालिका की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 2024 में लगभग 118,000 है।[4]
वन्य प्राणी एवं वनस्पति
[संपादित करें]यहां हिरण, बाघ, बाराहसिंगा आदी वन्य पशु पाए जाते हैं। जिनकी संख्या घट रही है। पलाश, सागौन, साल, तेंदू आदी के वृक्ष वनों मे प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
यातायात
[संपादित करें]प्रमुख सड़क पर स्थित है व रेल जंक्शन भी है। यह मध्य प्रदेश के लगभग सभी बडे शहरो भोपाल, जबलपुर और इन्दौर से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। जबलपुर से ब्राडगेज के रेलमार्ग द्वारा यहाँ पहुँचा जा सकता है। यह महाराष्ट्र के नगर नागपुर से और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से भी सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। रायपुर, नागपुर से बडी रेल लाईन से मुम्बई हावडा रेल मार्ग पर गोंदिया शहर पर उतरकर बालाघाट सड़क या रेल मार्ग द्वारा एक घन्टे में पहुँचा जा सकता है। यह मध्य प्रदेश के बडे शहरो जैसे राजधानी भोपाल, सन्स्कारधानी जबलपुर और महानगरी इन्दौर से सीधे सडकमार्ग से जुडा है। जबलपुर से ब्राडगेज के लौहमार्ग (रेलमार्ग) से आप जगप्रसिद्ध सातपुडा एक्सप्रेस पकडकर यहा पहुच सकते है। यह महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर और छतीसगढ की राजधानी रायपुर से भी सीधे सडक मार्ग से जुडा है। नागपुर से आप बडी रेललाईन से मुम्बई हावडा मार्ग पर दो घन्टे मे गोंदिया शहर आ जाये जहा से बालाघाट सडक/रेल मार्ग से सिर्फ एक घन्टे मे पहुंच सकते है।
प्रसिद्ध स्थल
[संपादित करें]- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
- हट्टा की बावड़ी या बाहोली
- लांजी का प्राचीन किला
- गांगुलपारा बाँध एवं जल प्रपात - गांगुलपारा बांध और झरना मध्य भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में स्थित है। यह बालाघाट से 14 किलोमीटर की दूरी पर है। बैहर रोड पर इस झरने की खोज की जा सकती है। यह प्राकृतिक सौंदर्य और भव्यता का एक अद्भुत मिश्रण है, जो दर्शकों की आँखों को आकर्षित करता है। स्थानीय लोगों के लिए एक आदर्श पिकनिक स्थल है। यहां अक्सर सप्ताहांत के लिए उनके द्वारा दौरा किया जाता है। प्रकृति प्रेमी इस जल निकाय की सराहना करते हैं, जो घीसरी नाला के पानी के लिए भंडारण टैंक के रूप में भी काम करता है। यह जल अभ्यारण्य आस-पास के स्थानीय गाँव, टेकड़ी के किसानों की सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करता है। गांगुलपारा बांध बहुत सारी पहाड़ियों से घिरा हुआ है, और इसके बीच में एक प्राकृतिक पानी की टंकी दिखाई देती है। आप 52 घाटों से गुजरते हुए गंगुलपारा बांध को भी देख सकते हैं जो इस बांध से घिरे हुए है। बरसात का यह सत्र बहुत सुंदर तथा यहां प्राकृतिक छोटे-छोटे झरने हर जगह बह बहते है।
- किरनाई मन्दिर {किरनापुर}
- रामपायली में स्थित प्राचीन मंदिर, जहां स्वयं श्री राम के चरण पड़े थे
- माँ ज्वाला देवी मंदिर भरवेली नगर से 5 किमी में वीराजमान है
- बाहकल प्राचीन देवी मंदिर
- श्री पंवार राम मंदिर, सियारपाट (बैहर)
- राजीव सागर बांध - राजीव सागर बांध बालाघाट में स्थित एक दर्शनीय स्थल है। यह बालाघाट शहर में बरसात के समय में घूमने की अच्छी जगह है। राजीव सागर बांध मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है। यह बांध बालाघाट से करीब 90 किलोमीटर दूर होगा। आप यहां पर पिकनिक का प्लान बनाकर घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर आप दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ घूमने के लिए आया जा सकता है। राजीव सागर बांध को बावनथडी बांध भी कहा जाता है। राजीव सागर बांध बावनथडी नदी पर बना हुआ है।
- धुटी डैम - धुटी बांध बालाघाट जिले की एक दर्शनीय जगह है। धुटी बांध पर आप बरसात के समय आते है, तो आपको बहुत ही मनोरम दृश्य देखने के लिए मिलता है। जब धुटी बांध ओवरफ्लो होता है, तो बांध का पानी बांध के ऊपर से गिरता है, जो झरने की तरह लगता है। यह बांध अंग्रेजो के समय बनाया गया था। धुटी बांध बालाघाट से करीब 50 किलोमीटर दूर होगा। बांध के आसपास का नजारा भी बहुत शानदार है।
- शंकर घाट - शंकर घाट बालाघाट की सुंदर जगह है। यह घाट वैनगंगा नदी के किनारे स्थित है। यहां का वातावरण हरियाली से भरा हुआ है। दोस्तों और परिवार के साथ घूमने के लिए एक अच्छी जगह है। यहां पर आपको शिव भगवान का मंदिर देखने के लिए मिलता है। यहां पर आपको नंदी भगवान, कछुआ और नाग देवता का मूर्ति देखने के लिए मिलती है। यहां पर और भी मूर्तियां बनी हुई है।
- दादा कोटेश्वर धाम - दादा कोटेश्वर धाम बालाघाट जिले में घूमने की एक प्रमुख जगह है। यह बालाघाट जिले का एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहां शिव मंदिर 12 वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह शिव मंदिर बालाघाट से करीब 70 किलोमीटर दूर है। आप इस मंदिर में गाड़ी से आ सकते हैं। यहां पर आपको पत्थर की मूर्तियां देखने के लिए मिलती है, जो पत्थर पर तराशकर बनाई गई है। यहां पर सावन सोमवार को कावड यात्रा निकाली जाती है।
शिक्षण संस्थान
[संपादित करें]यहाँ जबलपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध 6 महाविद्यालय और अन्य कई प्रशिक्षण और पॉलीटेक्निक संस्थान हैं। शासकीय उत्कष्ट विद्यालय कटंगी के विद्यार्थीयो ने जिले का नाम रोशन किया है। यह एक मात्र विद्यायल जो २०,००० विद्यार्थियों की पसंद है। कृषि के क्षेत्र में उन्नति लाने हेतु वर्ष 2012 में जिले की वारासिवनी तहसील में कृषि महाविद्यालय की स्थापना की गई है, जिससे जिले में कृषि की उन्नत तकनीक का प्रसार हो रहा है।[6]जिले से लगभग 18 किलोमीटर दूर ग्राम हट्टा की बावड़ी यहां की मुख्य पर्यटन का केंद्र है
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293
- ↑ "Agriculture News,Rural News,Krishi News,Hindi News,Trending news- Kisan Bharti". kisanbharti.com. मूल से 2 मार्च 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-04-21.
- ↑ अ आ "Hindi News:हिंदी समाचार,हिंदी न्यूज़,News in Hindi – Naidunia". www.naidunia.com. मूल से 1 अप्रैल 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-04-21.
- ↑ "Mandla District - Population 2011-2024".
- ↑ "कृषि मंत्री बिसेन ने किया कृषि महाविद्यालय का निरीक्षण". पत्रिका समाचार. 28 अगस्त 2019. अभिगमन तिथि 24 नवम्बर 2019.