बारहसिंगा

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बारहसिंगा[1]
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी
वर्ग: स्तनपायी
गण: आर्टियोडैक्टाइला
कुल: सर्विडी
वंश: रुसर्वस
जाति: आर. डुवौचॅली
द्विपद नाम
रुसर्वस डुवौचॅली
(कुविए, १८२३)
ऍतिहासिक इलाका (भूरा); बची आबादी: डुवौचॅली (लाल); ब्रॅन्डॅरी (हरा); रंजीतसिंही (नीला)

बारहसिंगा या दलदल का मृग (Rucervus duvaucelii) हिरन, या हरिण, या हिरण की एक जाति है जो कि उत्तरी और मध्य भारत में, दक्षिणी-पश्चिम नेपाल में पाया जाता है। यह पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में विलुप्त हो गया है।[2]
बारहसिंगा का सबसे विलक्षण अंग है उसके सींग। वयस्क नर में इसकी सींग की १०-१४ शाखाएँ होती हैं, हालांकि कुछ की तो २० तक की शाखाएँ पायी गई हैं। इसका नाम इन्ही शाखाओं की वजह से पड़ा है जिसका अर्थ होता है बारह सींग वाला[3] मध्य भारत में इसे गोइंजक (नर) या गाओनी (मादा) कहते हैं।

अभिलक्षण[संपादित करें]

वयस्क नर कन्धे तक १३२ से.मी. तक हो सकता है और इसका वज़न १७०-१८० कि. तक हो सकता है। औसतन सींग की लंबाई घुमाव के साथ ७५ से.मी. और सींगों के बीच की परिधि १३ से.मी. तक होती है। सींगों की रिकॉर्ड लंबाई १०४.१ से.मी. देखी गई है।[3]

आवास का क्षेत्र[संपादित करें]

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में बारहसिंगे

बारहसिंगा गंगा के मैदान में बहुतायत में पाया जाता था। वह मध्य भारत में भी गोदावरी नदी तक पाया जाता था। गुजरात में इसके १,००० वर्ष पूर्व के अवशेष मिले हैं। आज यह अपने आवासीय क्षेत्र के पश्चिमी परिधि से विलुप्त हो गया है। सन् २००८ ई. में इसकी जंगली आबादी ३,५०० से ५,१०० आंकी गई है, जिनमें से बहुत प्राणी सुरक्षित क्षेत्रों के बाहर असुरक्षित अवस्था में रहते हैं।[2]
तराई इलाके में यह दलदलीय क्षेत्र में रहता है और मध्य भारत में यह वनों के समीप के घास के मैदानों में रहता है।[3]
उत्तर पूर्वी भारत में यह असम में पाया जाता है,[4] जहाँ मुख्यतः काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पाया जाता है, हालांकि कुछ आबादी मानस राष्ट्रीय उद्यान में भी पायी जाती है।[5][6][7] अरुणाचल प्रदेश में शायद यह विलुप्त हो गया है।[8]
पहले दो भौगोलिक वर्ग पहचाने जाते थे। दुवॉचॅली—जो कि मनोनीत वर्ग है— उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र, असम तथा सुन्दरवन के दलदलीय इलाके में रहता है। इस वर्ग के फैले हुये खुर होते हैं और खोपड़ी भी थोड़ी बड़ी होती है। ब्रॅन्डॅरी मध्य भारत, प्रमुखतः मध्य प्रदेश के ठोस मैदानी इलाकों में पाया जाता है।[3] बाद में असम के वर्ग को रंजीतसिंही नाम दिया गया।[9] यही वर्ग सबसे ज़्यादा ख़तरे में है।
मध्य भारत में यह कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के अलावा बाकी सारे क्षेत्र से लुप्त हो गया है। यहाँ पर भी सन् १९५० ई. की ३,००० की आबादी से घट कर केवल एक दशक में यह १०० तक रह गई थी। सन् १९७० ई. में यह सिर्फ़ ६६ रह गई थी।[10]

पर्यावरण एवं व्यवहार[संपादित करें]

मध्य भारत में इनके ८-२० के झुण्ड होते हैं, लेकिन ६० प्राणियों के झुण्ड भी पाये जाते हैं। झुण्डों में मादाओं की संख्या नरों से दुगुनी होती है। प्रजनन काल में यह वयस्कों के बड़े झुण्ड बनाते हैं। प्रजनन काल सितम्बर से अप्रैल तक चलता है और २४०-२५० दिनों के गर्भ काल के पश्चात शावकों का जन्म अगस्त से नवंबर में होता है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में सितम्बर-अक्टूबर में सबसे ज़्यादा जन्म होते हैं।[11]
यह सवेरे और शाम को अधिक खाना पसन्द करता है तथा सांभर से कम निशाचर होता है। भयभीत होने पर यह तीखे स्वर में चिल्लाता है।[3]
यह एक समय में एक ही शावक को जन्म देता है। बंदी अवस्था में यह २३ वर्ष तक जीवित पाया गया है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Grubb, Peter (16 November 2005). Wilson, Don E., and Reeder, DeeAnn M., eds (संपा॰). Mammal Species of the World (3rd संस्करण). Baltimore: Johns Hopkins University Press, 2 vols. (2142 pp.). पपृ॰ 668–669. OCLC 62265494. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8018-8221-0.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: editors list (link) सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: editors list (link)
  2. Duckworth, J.W., Samba Kumar, N., Chiranjibi Prasad Pokheral, Sagar Baral, H., Timmins, R.J. (2008). Rucervus duvaucelii. 2008 संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN लाल सूची. IUCN 2008. Retrieved on 5 अप्रैल 2009. Database entry includes a brief justification of why this species is vulnerable.
  3. Prater, S. H. (1948) The book of Indian animals. Oxford University Press. (10th impression)
  4. Choudhury, A. U. (1997) Checklist of the mammals of Assam. Revised 2nd edition. Gibbon Books & Assam Science Technology & Environment Council, Guwahati, India. 103pp. ISBN 81-900866-O-X
  5. Choudhury, A.U.(2004). Kaziranga: Wildlife in Assam. Rupa & Co., New Delhi.
  6. Choudhury, A. U. (1987). Railway threat to Kaziranga. 'Oryx' 21: 160–163.
  7. Choudhury, A. U. (1986). Manas Sanctuary threatened by extraneous factors. The Sentinel 16 February.
  8. Choudhury, A. U. (2003). The mammals of Arunachal Pradesh. Regency Publications, New Delhi. 140pp.
  9. Groves, Colin (1983). "Geographic variation in the Barasingha or Swamp Deer (Cervus duvauceli)". J. Bombay N.H. Soc. 79: 620–629.
  10. "Animal Info - Barasinha". मूल से 4 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 मार्च 2012.
  11. Schaller, G.B. (1967) The Deer and the Tiger - A Study of Wildlife in India. University Chicago Press, Chicago, IL, USA.