बाबा कांशीराम
![]() | इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2018) स्रोत खोजें: "बाबा कांशीराम" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
![]() | यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |
पहाड़ी गांधी(11 जुलाई 1882 – 15 अक्टूबर 1943)) भारत के स्वतंत्रता सेनानी तथा क्रांतिकारी साहित्यकार थे। उन्होंने काव्य से धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्हें 'पहाड़ी गांधी' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने जनसाधारण की भाषा में चेतना का संदेश दिया। बाबा कांशी राम की रचनाओं में जनजागरण की प्रमुख धाराओं के अतिरिक्त छुआछूत उन्मूलन, हरिजन प्रेम, धर्म के प्रति आस्था, विश्वबंधुत्व व मानव धर्म के दर्शन होते हैं। बाबा कांशी राम ने अंग्रेज शासकों के विरुद्ध विद्रोह के गीतों के साथ आम जनता के दुख दर्द को भी कविताओं में व्यक्त किया गया।
परिचय[संपादित करें]
बाबा कांशीराम जी का जन्म हिमाचल प्रदेश के जिला कागंडा के डाडा सीबा में हुआ था। सात वर्ष की आयु में उनका विवाह सरस्वती देवी से हुआ। किन्तु उन्होने शिक्षा नहीं छोड़ी और अपने गाँवं में ही अपनी पूरी शिक्षा ली। कुछ ही दिनों बाद उनके माता-पिता का भी देहान्त हो गया। । यहीँ उनकी भेंट लाला लाप राा, लाला हरदयल, सरदार अजित सिंह, तथा मौलवी बर्कतुल्ला जैसे क्रान्तिकारियों से हुई।