बाक (असमिया लोककथा)

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बाक या घुँराबाक् (असमिया : বাঁক, IPA: ['bak]) असम के लोकगाथाओं मे पाने जाने वाला एक काल्पनिक प्राणी हैं।। माना जाता हैं कि बाक जलाशयों मे वास करते हैं, और लोगो को, विशेषतः मछवारो को तंग करते हैं। बाक को मछली खाना अत्यंत पसंद हैं। अन्य अनेक प्राणियों के विपरीत, जो असम के केवल कुछ हिस्सो के लोककथाओ मे पाए जाते हैं, बाक असम राज्य के हर अंचल के लोककथाओ मे पाए जाते हैं।[1] [2]

शक्तियां और आदतें[संपादित करें]

साधारणतः बाक को को दुष्ट माना जाता हैं। बाक पानी के पास रहते हैं और मछली का भक्षण करते हैं।[3] बाक जानलेवा हो सकते है, और अपने शिकार को अकसर डुबो कर मार डालते हैं। यह अक्सर मृत्यु के बाद अपने शिकार का रूप धारण कर लेते है या पीड़ित को अपने कब्जे में ले लेते है।[1] [4] इसके बाद वह पीड़ित परिवार के साथ रहने चले जाते है और उन्हें भी मारने की कोशिश करते है। फटे हुए मछली पकड़ने के जाल को ले जाने से बाक से बचने में मदद मिल सकती है, क्योंकि कहा जाता है कि वे इससे डरते हैं। अनेक कहानियों मे बाक किसी को मारकर उसकी पत्नी के साथ रहने के लिए एक उस पुरुष का रूप धारण कर लेता है, और साथ रहने लगता हैं।[5] किशोर भट्टाचार्य ने अनुमान किया हैं कि यह पुरुष दृष्टिकोण से विवाहेतर प्रेम के अचेतन भय से जुड़ा हो सकता है।

बाक को हमेशा हत्यारा नहीं बताया गया है। कई बार, सौम्य बाक केवल पीड़ितों के वश मे करते हैं मजाक मे या उनके साथ छल करते हैं, [6] विशेष रूप से बच्चों के साथ।[1]

कभी-कभी, कहा जाता हैं कि बाक हमेशा एक थैली लेकर चलता है जिसमें उसकी सारी शक्तियां होती हैं। बाक का जीवन इसी पर निर्भर करता है और उस पर अगर कोई अधिकार कर ले तो बाक उसे अपना स्वामी मानने के लिये विवश हो जाता हैं।[4] [5] हालांकि, बेनुधर राजखोवा ने अपने विख्यात ग्रन्थ "आसामीज दीमनौलजी" में इन विशेषताओं को एक अन्य प्राणीदोत को निर्दिष्ट किया है, न कि बाक को।[6]

वर्गीकरण[संपादित करें]

राजखोवा ने अपने "आसामीज दीमनौलजी" में असमिया आत्माओं को "उप-भूभागीय", "स्थलीय ", "हवाई" और "आकाशीय" में वर्गीकृत किया है। वह बाक को स्थलीय प्राणियों के बीच रखते हैं। स्थलीय आत्माओं को जलीय, सिल्वन और घरेलू में वर्गीकृत किया गया है। राजखोवा बाक को एक जलीय आत्मा के रूप में वर्गीकृत करते है, इसे पांच प्रमुख जलीय आत्माओं की अपनी सूची में सबसे पहले सूचीबद्ध करते हुए। [6] राजखोवा बाक को पानी से जोड़ने के लिए निम्नलिखित लोक मुहावरे का वर्णन करते है:

हाँहौर उपौरौत खियाल रौजा

पौता पुखुरित बाक रौजा (असमिया)

(बतखो के ऊपर लोमडी राजा हैं।

सुनसान तालाब में बाक राजा हैं।)

किशोर भट्टाचार्जी ने "फोकलोर ऐज दिस्कोर्स" में अपने योगदान में नोट किया है कि साधारणतः असमिया किंवदंतियां काले जादू; नदियों, झीलों और पेड़ों की आत्माएं; स्थानों के नाम; गुप्त धन; मंदिरों की उत्पत्ति; उपचारक और बुद्धिमान लोग; और संत किंवदंतियों सहित लोगों द्वारा देखे गए इतिहास की अपेक्षाएं उत्पन्न करती हैं। यह विश्लेषण आंशिक रूप से क्रिस्टेंसेन और क्विडलैंड के काम पर आधारित है। [7] बाक की कहानियाँ जाहिर तौर पर दूसरी श्रेणी में आती हैं। लेकिन, भट्टाचार्जी के अनुसार, भूतों और आत्माओं की कहानियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किंवदंतियों के रूप में जाना जाने के बावजूद, इन्हे यहा सांस्कृतिक रूप से किंवदंती के रूप में नहीं पहचाना जाता है।

लोकप्रिय संस्कृति में[संपादित करें]

बाकौर पुतैक (बाक का बेटा) २०१२ में मुक्त हुई एक असमिया फिल्म है जो ग्रामीण असम में अंधविश्वास के सामाजिक और व्यक्तिगत परिणामों पर केंद्रित है। [8] बाक के पति का रूप धारण करने और पति हत्या करने के बाद उसकी पत्नी के साथ रहने की कहानियों में विश्वास एक विवाहित जोड़े के जीवन में परेशानी लाता है।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Sandal, Veenu (11 June 2016). "Malevolent spirits need death to survive". Sunday Guardian Live. मूल से 23 अक्तूबर 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 October 2021.
  2. Kashyap, Samudra Gupta (18 March 2008). "All that haunts Assam now in a thesaurus". The Indian Express. अभिगमन तिथि 24 October 2021.
  3. Bhuyan, Avantika (30 March 2018). "The little fish in big rivers". Live Mint. अभिगमन तिथि 24 October 2021.
  4. Bhattacharya, Rohit. "The Terrifying Baak, A Demon That Drowns You, Hides Your Body, & Takes Your Place". ScoopWhoop. अभिगमन तिथि 24 October 2021.
  5. Muthukumaraswamy, M. D. (2006). Folklore as Discourse (English में). Chennai: National Folklore Support Centre, India. पृ॰ 113.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  6. Rajkhowa, Benudhar (1905). Assamese Demonology. Kolkata: Patrika Press. पपृ॰ 1–4.
  7. Muthukumaraswamy, M. D. (2006). Folklore as Discourse (English में). Chennai: National Folklore Support Centre, India. पृ॰ 106.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  8. "Bakor Putek". IMDb. अभिगमन तिथि 24 October 2021.