बांग्लादेश मुक्ति युद्ध का कालक्रम

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बांग्लादेश मुक्ति युद्ध 26 मार्च 1971 को शुरू हुआ और 16 दिसंबर 1971 को समाप्त हुआ। युद्ध की कुछ प्रमुख घटनाएं नीचे दिए गए समय रेखा में सूचीबद्ध हैं।

कालक्रम[संपादित करें]

बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की इंटरएक्टिव कालक्रम

युद्ध से पहले[संपादित करें]

  • 1 मार्च: जनरल याह्या खान ने एक रेडियो सम्बोधन 3 मार्च को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय परिषद के सत्र को निरस्त करने की घोषणा कर दी। [1]
  • 7 मार्च: अवामी लीग पार्टी के नेता शेख मुजीबुर रहमान -जिन्होंने 1970 में संघीय चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान में शानदार जीत हासिल की थी, लेकिन उन्हें कभी भी अधिकार नहीं दिया गया - ढाका के रेस कोर्स मैदान में एक शानदार भीड़ के समक्ष घोषणा, की "इस बार का संघर्ष समय हमारी मुक्ति का संघर्ष है! इस बार का संघर्ष स्वतंत्रता का संघर्ष है! ” । [2]
  • 9 मार्च: चटगांव बंदरगाह के श्रमिकों ने 'स्वात' नामक जहाज से हथियार उतारने से इनकार कर दिया।
  • 10 मार्च: प्रवासी बंगाली छात्रों ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया और बंगाली लोगों पर हिंसा को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के का आह्वान किया।
  • 16 मार्च: याह्या खान ने शेख मुजीबुर रहमान के साथ बातचीत शुरू की।
  • 19 मार्च: प्रदर्शनकारियों और पाकिस्तान सेना के बीच झड़प के दौरान जयदेवपुर में लगभग 200 लोग घायल हो गए। [3] करीब 50 की मौत। [4]
  • 24 मार्च: पाकिस्तान सेना ने सैयदपुर, रंगपुर और चटगांव में बंगाली प्रदर्शनकारियों पर पथराव किया। एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

युद्ध के दौरान की घटनाएँ[संपादित करें]

मार्च[संपादित करें]

  • 25 मार्च से 25 मई : पाकिस्तानी सेना ने ढाका और देश के बाकी भागों में 'सर्चलाइट' नाम से एक भयंकर जनसंहार कार्यक्रम चलाया। इसमें सामान्य लोगों को, राजनैतिक कार्यकर्ताओं को, विद्यार्थियों को, और सशस्त्र सेना के बंगालियों एवं पुलिस वालों को निशाना बनाया गया।
  • 26 मार्च : रात में 1.15 बजे को पाकिस्तान की ३ कमाण्डो वाली ईकाई ने शेख मुजीबुर्रहमान को गिरफ्तार कर लिया। इसके कुछ मिनट पूर्व शेख मुजीब ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी। लगभग एक घण्टे बाद (2.30 बजे रात में) चटगाँव के अवामी लीग के नेता एम ए हन्नान ने मुजीब की तरफ से कल्लुरघाट में बांग्लादेश के स्वतंत्रता की घोषणा की। २६ मार्च ही बांग्लादेश का आधिकारिक स्वतंत्रता दिवस है।
  • 27 मार्च : शेख मुजीब की तरफ से मेजर जिआउर्रहमान ने पुनः बांग्लादेश की आजादी की घोषणा की।
  • 31 मार्च : कुस्तिया में प्रतिरोध आरम्भ।

अप्रैल[संपादित करें]

मई[संपादित करें]

जून[संपादित करें]

जुलाई[संपादित करें]

अगस्त[संपादित करें]

सितम्बर[संपादित करें]

अक्टूबर[संपादित करें]

नवम्बर[संपादित करें]

दिसम्बर[संपादित करें]

  • 3 दिसम्बर: बांग्लादेश वायुसेना ने पाकिस्तानी तेल डिपो को नष्ट कर दिया।[5] पाकिस्तान द्वारा भारत पर हवाई हमला ; भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
  • 4 दिसम्बर : लांगेवाले का युद्ध ; भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना द्वारा जैसलमेर को निशाना बनाने से रोका।
  • 4 to 5 दिसम्बर : गाजीपुर का युद्ध जिसमें भारतीय सेना तथा मुक्तिवाहिनी ने गाजीपुर पर अधिकार कर लिया।
  • 5 दिसम्बर : बसन्तर का युद्ध ; भारतीय सेना ने जम्मू के सामने स्थित पाकिस्तानी क्षेत्रों पर आक्रमण करके अधिकार कर लिया।
  • 6 दिसम्बर: 'जशोर' बांग्लादेश का पहला स्वतंत्र जिला बना। भारत के बाद भूटान पहला देश था जिसने बांग्लादेश को मान्यता प्रदान की।
  • 7 to 16 दिसम्बर: सिलहट का युद्ध ; जशोर, सिलहट और मौलवी बाजार को मुक्त कराया गया।
  • 8 दिसम्बर: [भारतीय नौसेना ने कराची पर आक्रमण किया (ऑपरेशन पाइथन)।
  • 9 दिसम्बर: कुश्तिया का युद्ध ; भारतीय सेना ने पश्चिम बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान पर आक्रमण करना आरम्भ किया। चन्दपुर और दाउदकन्दी को पाकिस्तान से मुक्त कराया गया।
  • 9 दिसम्बर: मेघना हेली सेतु को पाकिस्तान से मुक्त कराया गया।
  • 10 दिसम्बर: लक्षम की मुक्ति। गलती से भारतीय वायुसेना के आक्रमण से बांग्लादेश के दो जलयान डुबा दिये गए।
  • 11 दिसम्बर: जमुना नदी पर स्थित पुङली ब्रिज (अब बंगबन्धु सेतु) को मुक्त कराया गया। (टांगिल एयरड्रॉप)
  • 11 दिसम्बर: हिल्ली, मैमेनसिंह, कुशिता, और नोआखाली की मुक्ति ; भारतीय नौसेना पर दबाव बनाने के ध्येय से यूएसए ने बंगाल की खाड़ी में "इन्टरप्राइज" नामक जहाज तैनात किया।
  • 13 दिसम्बर: अमेरिकी 'इंतरप्राइज' का जबाब देने के लिए सोवियत नौसेना ने भी कई युद्धपोत तैनात किए। संघर्ष को टालने के लिए अमेरिकी जहाज दक्षिण-पूर्व एशिया की तरफ बढ़ा दिया गया।
  • 14 दिसम्बर: पाकिस्तान द्वारा बंगाली राष्ट्रवादी बुद्धिजीवियों की चुनचुनकर भारी संख्या में हत्या। बोग्रा की मुक्ति।
  • 16 दिसम्बर: बांग्लादेश मुक्ति युद्ध का अन्त। मित्र वाहिनी ने ढाका को अपने अधिकार में ले लिया। पाकिस्तानी सेना ने मित्रवाहिनी के सामने आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने किया गया।
  • 22 दिसम्बर: बांग्लादेश की अस्थायी सरकार अब ढाका में आ गयी।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "March 1, 1971". Liberation War Museum. मूल से 9 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 June 2019.
  2. Ahmed, Helal Uddin (2012). "Seventh March Address". प्रकाशित Islam, Sirajul; Jamal, Ahmed A. (संपा॰). Banglapedia: National Encyclopedia of Bangladesh (Second संस्करण). Asiatic Society of Bangladesh.
  3. "19th March 1971". Liberation War Museum. मूल से 9 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 June 2019.
  4. https://web.archive.org/web/20190416231955/https://core.ac.uk/download/pdf/61806931.pdf
  5. মুক্তিযুদ্ধে বিমান (Airplanes of liberation war), The Daily Prothom Alo, 25 दिसम्बर 2009 (Bengali में)