बलि प्रथा

बलि प्रथा मानव जाति में वंशानुगत चली आ रही एक सामाजिक प्रथा अर्थात सामाजिक व्यवस्था है। इस पारम्परिक व्यवस्था में मानव जाति द्वारा मानव समेत कई निर्दोष प्राणियों की हत्या यानि कत्ल कर दिया जाता है। विश्व में अनेक धर्म ऐसे हैं, जिनमें इस प्रथा का प्रचलन पाया जाता है। यह मनुष्य जाति द्वारा मात्र स्वार्थसिद्ध की व्यवस्था है, जिसे बलि-प्रथा कहते है।[1][2][3]
कारण
बलि प्रथा के मुख्यत: दो ही कारण पाये जाते हैं।
- धार्मिक
- स्वार्थिक
भेद यानि प्रकार
विभिन्न देशों, धर्मों तथा समुदायों में बलि प्रथा यानि प्राणियों की हत्या कई प्रकार की पायी जाती हैं जैसे:-
नर बलि
कहा और सुना जाता है कि इस दुनियाँ में किसी जमाने में मनुष्यों द्वारा ही निर्दोष मनुष्यों की बलि चढ़ा दी जाती थी। परन्तु इसके प्रमाण अस्पष्ट होते हैं।
पशु बलि
भारत में प्राचीन काल से पशुओं की बलि दी जाती आ रही है। मंदिरों में आज भी कहीं कहीं निर्दोष पशुओं की बलि दी जाती है।
लाभ-हानि तथा समस्यायें
रोकने के उपाय तथा कानून
बलि प्रथा मानव समाज के लिए बहुत बड़ा कलंक है इस पर रोक लगाना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए । बलि प्रथा को एक सामाजिक व्यवस्था बना दी गई है, जो परंपरागत रूप से चलती आ रही है ,निश्चित रूप से यह एक सामाजिक कुरीति ही है ।इस पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले जनजागरूकता फैलाने की आवश्यकता है इसके लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं जैसे नुक्कड़ नाटक आदि।
बलि प्रथा पाई जाने वाले देश
बलि प्रथा पाई जाने वाले धर्म=साक्त[हिंदू] मुसलमान ईसाई बोद्ध सिंतो और विश्वभर के आदिवासी समुदाय
सन्दर्भ
- ↑ "devotees sacrifice thousands of animals in Hindu ritual". Reuters.com. Archived from the original on 1 दिसंबर 2017. Retrieved 21 नवम्बर 2017.
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(help) - ↑ "Is Sacrificial Killing Justified ? (HinduDharma:The Vedas)". KAMAKOTI.ORG. Archived from the original on 1 दिसंबर 2017. Retrieved 21 नवम्बर 2017.
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(help) - ↑ "Ceremonial killings in slaughterhouses,". dailymail.co.uk. Archived from the original on 10 सितंबर 2017. Retrieved 21 नवम्बर 2017.
इन्हें भी देखें
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