बलराम मिश्र

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प्रोफ़ेसर बलराम मिश्र का सम्बंध चम्पारन, बिहार से है। वे हिन्दी और संस्कृत के बहुत बड़े विद्वान थे। वे एम० जे० के कॉलेज बेट्टिया, बिहार विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग अध्यक्ष के तौर पर सेवा-निवृत्त हुए थे।

जीवन[संपादित करें]

प्रो० प्रोफ़ेसर बलराम मिश्र का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। उन्होंने कम आयु में ही अपने पिता को खोया था और अपने पुश्तेनी गाँव को पड़ा। उनकी माँ उन्हें अन्हे नाना के घर मूसाहरवा गाँव ले गई जो साटी के निकट है।

बलराम मिश्र अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव से गुज़रे परन्तु वे अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटके। उन्होंने पी० एच० डी० की उपाधि प्राप्त की और चम्पारन विभूति प्रो० रविन्द्रनाथ ओझा की बेटी सुशीला से विवाह किया। सुशीला विवाह के समय केवल दसवीं कक्षा तक पढ़ी-लिखी थी परन्तु बलराम मिश्र की देख-रेख में उसने एम० ए० और पी० एच० डी० की शिक्षा पूरी की। इसके बाद वह हिन्दी महिला महाविद्यालय, बेट्टिया, पश्चिमी चम्पारन में विभाग अध्यक्ष बन गई।[1]


कृतियाँ[संपादित करें]

  1. हिंदी व्याकरण : समस्या और समाधान
  2. गोपाल सिंह 'नेपाली' : जीवन और साहित्य
  3. नेपाली की काव्य चेतना
  4. हिंदी का सतसई एवं शतक साहित्य
  5. प्रसाद की गद्य भाषा का शास्त्रीय अध्ययन [1]

सन्दर्भ[संपादित करें]