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बरोक वास्तुकला

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बरोक वास्तुकला सजावटी और रंगमंचीय शैली है। इसकी व्युत्पत्ति 16वीं शताब्दी के अंत में इटली में हुई जो धीरे-धीरे पूरे यूरोप में फैल गई। इसे मूल रूप से कैथोलिक चर्च जेसुइट्स ने एक नई वास्तुकला, जो आश्चर्य और विस्मय को प्रेरित करती है के साथ अपनाया था।[1] इटली, स्पेन, पुर्तगाल, फ्रांस, बवेरिया और ऑस्ट्रिया के चर्चों और महलों में इसका प्रयोग होने के बाद यह शैली अपने शीर्ष पर पहुँच गई। उत्तर बरोक काल (1675-1750) में, यह शैली रूस, ओट्टोमन साम्राज्य और लातिन अमेरिका में स्पेनी और पुर्तगाली उपनिवेशों तक पहुँच गई थी। 1730 ई. के आसपास रोकोको नामक एक और सजावटी शैली व्युत्पन्न हुई जो मध्य यूरोप में फली-फूली।[2]

बरोक वास्तुकला 16वीं शताब्दी के अंत और 17वीं शताब्दी के प्रारंभ में अस्तित्व में आई। इसे पहली बार रोम में धार्मिक वास्तुकला में प्रोटेस्टेंट सुधार की लोकप्रिय अपील का मुकाबला करने के लिए अपनाया गया। यह पहले के विद्यमान चर्चों की अधिक कठोर और शैक्षणिक शैली के खिलाफ एक प्रतिक्रिया थी। इसका उद्देश्य आश्चर्य, भावों और विस्मय आदि के प्रभावों के ज़रिए आम जन को प्रभावित करना था। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने विरोधाभासी, आंदोलनकारी, नाटकीय तथा रंगमंचीय प्रभावों के संयोजन का उपयोग किया। जैसे - क्वाड्रेटुरा - इसमें चित्रित छतों का उपयोग होता था। इससे यह भ्रम पैदा होता था कि कोई सीधे आकाश की ओर देख रहा है। नई शैली को थेटाइन्स और जेसुइट्स ने पसंद किया जिन्होंने दर्शकों को व्यापक रूप से आकर्षित करने और उन्हें प्रेरित करने के लिए नई चर्चों का निर्माण किया।

इन्हें भी देखें

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  1. गौविन अललक्ज़ेंडर, बैली (2003). बिटवीन रेनेसाँ एंड बरोक: जेसुइट आर्ट इन रोम, 1565–1610. टोरोंटो: यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरोंटो प्रेस.
  2. रॉबर्ट, डचर (1988). कैरेक्टरिस्टिक देस स्टाइल्स (Éd. rev. et corr ed.). पेरिस: फ़्लैमेरियन. p. 102. ISBN 2-08-011539-1.

बाहरी कड़ियाँ

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