बंच ऑफ़ थोट्स

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बंच ऑफ़ थोट्स (अनुवाद: विचारों का गुच्छा) गोलवालकर द्वारा लिखित पुस्तक है है एक के द्वारा लिखित पुस्तकों माधव सदाशिव गोलवलकर, उन्हें गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे सरसंघचालक (सर्वोच्च नेता) थे.[1][2] यह पुस्तक १९६६ में प्रकाशित किया गया था.आरएसएस नेता राजेंद्र सिंह और देवरस ने एक संयुक्त बयान 1978 में दिया की गोलवालकर का उद्देश्य इस किताब के द्वारा यह था: "आरएसएस का काम...और उसकी गतिविधियों को करने के लिए और सच्चे उद्देश्य, सटीक प्रकृति, दायरे और गुंजाइश को स्पष्ट समझने के."[3]

  • बंच ऑफ़ थोट्स में गोलवालकर भारत और हिंदू धर्म के गौरव की बात कहते हैं।[2]

यह भी देखें[संपादित करें]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Christophe Jaffrelot (1996). The Hindu Nationalist Movement and Indian Politics. पपृ॰ 40.
  2. Guha, Ramchandra (26 November 2006). "The guru of hate". The Hindu (अंग्रेज़ी में). मूल से 23 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 January 2018.
  3. Noorani, A. G. (2001). The RSS and the BJP : a division of labour (Repr., with updated epilogue. संस्करण). New Delhi: Left Word. पपृ॰ 18–21. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 8187496134.